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खांसी की दवा से बच्चों की मौत पर एक्शन मोड में केंद्र सरकार, सभी राज्यों को निर्देश- दवा दुकानों की तुरंत जांच शुरू करें

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि सभी राज्यों और दवा कंपनियों को नियमों का सख्ती से पालन करना होगा ताकि इस तरह की घटनाएं फिर न हों। सरकार बच्चों की सुरक्षा और दवा की गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं करेगी।

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स्वास्थ्य मंत्रालय की मीटिंग

हाल ही में बच्चों की मौत से जुड़ी खांसी की दवाओं की गुणवत्ता को लेकर उठे सवालों के बाद, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक अहम बैठक की। इस बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुन्या सलीला श्रीवास्तव ने दवा कंपनियों को Revised Schedule M के तहत कड़े मानकों का पालन करने की सख्त हिदायत दी और खासकर बच्चों के लिए खांसी की दवाओं को सोच समझ कर इस्तेमाल पर जोर दिया।

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हो चुकी है बच्चों की मौत

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में संदिग्ध सिरप से बच्चों की मौत की जांच में सामने आया कि 'Coldrif' नामक सिरप में जहरीला रसायन DEG तय सीमा से अधिक पाया गया, जिस पर तमिलनाडु की कंपनी के खिलाफ कार्रवाई हुई है। बैठक में विशेषज्ञों ने बताया कि अधिकतर खांसी अपने आप ठीक हो जाती है, ऐसे में दवाओं का अनावश्यक इस्तेमाल बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। सभी राज्यों को निगरानी बढ़ाने, समय पर रिपोर्टिंग करने, और आईडीएसपी टूल के प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए गए हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुन्या सलीला श्रीवास्तव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय के कई बड़े अधिकारी, दवा नियंत्रक, ICMR, NCDC, DGHS और राज्यों के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव शामिल हुए।

कंपनी के खिलाफ कार्रवाई

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कुछ बच्चों की मौत खांसी की दवा से होने की आशंका जताई गई थी। जांच में पता चला कि ‘Coldrif’ नाम की सिरप में जहरीला रसायन (DEG) तय सीमा से ज्यादा पाया गया। यह सिरप तमिलनाडु के कांचीपुरम में बनी थी, जिसकी फैक्ट्री का लाइसेंस रद्द करने और केस दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

क्या-क्या हुआ बैठक में

  • सभी दवा कंपनियों को Revised Schedule M के तहत नियमों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए।
  • बच्चों को खांसी की दवाएं कम से कम दी जाएं क्योंकि ज्यादातर खांसी अपने आप ठीक हो जाती है, दवाओं की जरूरत नहीं होती।
  • स्वास्थ्य केंद्रों (सरकारी और प्राइवेट) से समय पर रिपोर्टिंग हो, इसके लिए निगरानी व्यवस्था (IDSP-IHIP) को और मज़बूत करने को कहा गया।
  • राज्यों को कहा गया कि दवा दुकानों की जांच करें ताकि बिना ज़रूरत की दवाएं बेची न जाएं।
  • "रोग फैलने की स्थिति में तेजी से साझा कार्रवाई कैसे हो", इस पर भी राज्यों को गाइडलाइन दी गई।

क्या कहा विशेषज्ञों ने

  • डॉ. राजीव बहल (ICMR): बच्चों को खांसी की दवा नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि इसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं। राज्यों को मिलकर तेजी से जांच करनी चाहिए।
  • डॉ. सुनीता शर्मा (DGHS): बच्चों के लिए खांसी की दवाओं से फायदा कम, नुकसान ज्यादा होता है। अभिभावकों, डॉक्टरों और फार्मासिस्टों के लिए जल्द ही गाइडलाइन जारी की जाएगी।
  • डॉ. राजीव रघुवंशी (DCGI): कई कंपनियों को दवा निर्माण मानकों के सुधार के लिए दिसंबर 2025 तक का समय दिया गया है, लेकिन नियमों का पालन जरूरी है।

राज्यों ने क्या बताया:

  • राजस्थान: अभी तक की जांच में सिरप से मौत का सीधा संबंध नहीं मिला है, लेकिन सावधानी के तौर पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
  • महाराष्ट्र: नागपुर में भर्ती बच्चों का अच्छे से इलाज किया जा रहा है।

स्वास्थ्य मंत्रालय का सख्त निर्देश

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि सभी राज्यों और दवा कंपनियों को नियमों का सख्ती से पालन करना होगा ताकि इस तरह की घटनाएं फिर न हों। सरकार बच्चों की सुरक्षा और दवा की गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं करेगी।

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भावना किशोर
भावना किशोर Author

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मूल की भावना ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIMC से 2014 में पत्रकारिता की पढ़ाई की. 10 सालों से मीडिया में काम कर रही हैं. न्यू... और देखें

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