CJI Sanjeev Khanna: कौन हैं जस्टिस संजीव खन्ना, जो बने देश के नए CJI; दे चुके हैं कई बड़े मामलों पर फैसला
CJI Sanjeev Khanna: जस्टिस संजीव खन्ना ने आज राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वे मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की जगह लेंगे जो रविवार को सेवानिवृत्त हुए।
जस्टिस संजीव खन्ना बने देश के नए मुख्य न्यायाधीश
CJI Sanjeev Khanna: जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार को देश के 51वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई, 2025 तक रहेगा। दिल्ली के प्रतिष्ठित परिवार से तालुक रखने वाले जस्टिस संजीव खन्ना तीसरी पीढ़ी के वकील रहे हैं। उन्होंने न्यायाधीश बनने से पहले अपने करिअर की शुरुआत 1983 में तीस हजारी कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस के साथ की थी। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में भी वकालत की और अब अगले छह माह तक देश के मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी संभालेंगे।
दिल्ली में हुआ जन्म
जानकारी के मुताबिक, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना दिल्ली के रहने वाले हैं और उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई दिल्ली से ही की है। उनका जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। उनके पिता न्यायमूर्ति देस राज खन्ना थे, जो दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की मां सरोज खन्ना दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज में हिंदी की लेक्चरर थीं। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने अपनी स्कूली शिक्षा नई दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से की और 1977 में स्कूली शिक्षा पूरी की। स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ लॉ के कैंपस लॉ सेंटर (CLC) से कानून की पढ़ाई पूरी की थी।
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जस्टिस संजीव खन्ना को 18 जनवरी 2019 को कॉलेजियम की सिफारिश पर सुप्रीम कोर्ट में एलिवेट किया गया। सुप्रीम कोर्ट आने के बाद वे 17 जून 2023 से 25 दिसंबर 2023 तक सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के अध्यक्ष रहे। अभी नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी के कार्यकारी अध्यक्ष और नेशनल ज्यूडिशल एकेडमी भोपाल के गवर्निंग काउंसिल मेंबर भी हैं।
सुना चुके है कई महत्वपूर्ण फैसले
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहते जस्टिस संजीव खन्ना कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे है। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 26 अप्रैल को ईवीएम (EVM) में हेरफेर के संदेह को निराधार करार दिया था और पुरानी पेपर बैलेट प्रणाली पर वापस लौटने की मांग को खारिज कर दिया था। जस्टिस संजीव खन्ना 5 न्यायाधीशों की उस पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के 2019 के फैसले को बरकरार रखा था। जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने ही पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल को आबकारी नीति घोटाले के मामलों में लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए 1 जून तक अंतरिम जमानत भी दी थी।
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शशांक शेखर मिश्रा टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल (www.timesnowhindi.com/ में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। इन्हें पत्रकारिता में करीब 5 वर्षों का अनुभव ह...और देखें
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