चांद पर उतरने को Chandrayaan-3 पूरी तरह से तैयार, पढ़िए इस Moon mission का अब तक का सफर
चंद्रयान 3 में ही विक्रम लैंडर मौजूद है जिसकी मदद से प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा। विक्रम में लगे कैमरे से इसरो को तस्वीरें भेजी जा रही हैं।
चंद्रयान का अब तक का सफर
Chandrayaan-3 Moon landing: भारत का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 अपना पहला सॉफ्ट-लैंडिंग करने के लिए पूरी तरह तैयार है। रविवार सुबह मिशन का दूसरा और आखिरी डीबूस्टिंग ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा किया गया। इसके बाद मॉड्यूल की आंतरिक जांच की जाएगी और 23 अगस्त को पावर्ड डिसेंट शुरू होने की उम्मीद है। इसरो ने बताया- दूसरे और आखिरी डीबूस्टिंग ऑपरेशन ने एलएम कक्षा को सफलतापूर्वक 25 किमी x 134 किमी तक कम कर दिया है। मॉड्यूल को आंतरिक जांच से गुजरना होगा और तय किए गए लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करना होगा। पावर्ड डिसेंट 23 अगस्त, 2023 को लगभग शाम 5.45 बजे शुरू होने की उम्मीद है।
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चंद्रयान-3 का अब तक का सफर
6 जुलाई: इसरो ने घोषणा की कि चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से लॉन्च होगा।
7 जुलाई: सभी वाहन विद्युत परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए गए।
11 जुलाई: 24 घंटे का लॉन्च रिहर्सल सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
14 जुलाई: इसरो के LVM3 M4 ने चंद्रयान-3 को उसकी निर्धारित कक्षा में लॉन्च किया।
15 जुलाई: मिशन की पहली कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया बेंगलुरु में सफल रही। अंतरिक्ष यान 41762 किमी x 173 किमी की कक्षा में पहुंचा।
17 जुलाई: दूसरे कक्षा-उत्थान प्रक्रिया (orbit-raising manoeuvre) ने चंद्रयान -3 को 41603 किमी x 226 किमी की कक्षा में स्थापित किया।
22 जुलाई: अंतरिक्ष यान को 71351 किमी x 233 किमी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया।
25 जुलाई: कक्षा बढ़ाने का एक और प्रयास सफलतापूर्वक किया गया।
1 अगस्त: एक महत्वपूर्ण कदम में चंद्रयान-3 ने 288 किमी x 369328 किमी की कक्षा के साथ ट्रांसलूनर कक्षा में प्रवेश किया।
5 अगस्त: अंतरिक्ष यान ने 164 किमी x 18074 किमी पर चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया।
6 अगस्त: अंतरिक्ष यान की कक्षा को चंद्रमा के चारों ओर 170 किमी x 4,313 किमी तक कम कर दिया गया।
9 अगस्त: एक और प्रक्रिया के तहत अंतरिक्ष यान को 174 किमी x 1437 किमी तक नीचे लाया गया।
14 अगस्त: मिशन ने 151 किमी x 179 किमी कक्षा के कक्षा गोलाकार चरण में प्रवेश किया।
16 अगस्त: फायरिंग के बाद अंतरिक्ष यान 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में प्रवेश कर गया।
17 अगस्त: लैंडिंग मॉड्यूल, जिसमें विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर शामिल थे, को इसके प्रणोदन प्रणाली से अलग कर दिया गया।
18 अगस्त: अंतरिक्ष यान ने सफलतापूर्वक 'डीबूस्टिंग' ऑपरेशन पूरा किया जिससे इसकी कक्षा 113 किमी x 157 किमी तक कम हो गई। डीबूस्टिंग खुद को एक ऐसी कक्षा में स्थापित करने के लिए धीमा करने की प्रक्रिया है जहां कक्षा का चंद्रमा से निकटतम बिंदु (पेरिल्यून) 30 किमी है और सबसे दूर का बिंदु (अपोल्यून) 100 किमी है।
20 अगस्त: चंद्रयान-3 ने दूसरा और अंतिम डीबूस्टिंग ऑपरेशन किया और एलएम कक्षा को घटाकर 25 किमी x 134 किमी कर दिया।
23 अगस्त का इंतजार
चंद्रयान 3 में ही विक्रम लैंडर मौजूद है जिसकी मदद से प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा। विक्रम में लगे कैमरे से इसरो को तस्वीरें भेजी जा रही हैं। यही कैमरे बताएंगे कि लैंडिंग के लिए कौन सी जगह सबसे बेहतर है। बहरहाल, अब देशवासियों को 23 अगस्त का इंतजार है जब इसरो नया इतिहास रचने के करीब होगा। अगर सब कुछ ठीक रहा तो योजना के मुताबिक अंतरिक्ष यान 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इसरो का अब तक का अभियान अब तक सफल रहा है और उम्मीद है कि करोड़ों देशवासियों की दुआओं के साथ उसकी मेहनत इस बार जरूर रंग लाएगी।
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