Inside Story: अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट, जानें- क्यों नहीं बन पा रही है बात?
Ashok Gehlot Sachin Pilot Controversy: राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन कांग्रेस के अंदर सब कुछ ठीक नहीं है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तलवार खींची हुई है। कांग्रेस आलाकमान की तरफ से विवाद को दूर करने की कोशिश जा रही है। इन सबके बीच हम आपको बताएंगे कि आखिर बात क्यों नहीं बन पा रही है।
Ashok GehlotSachin Pilot Controversy: राजस्थान में गहलोत बनाम पायलट की जंग थम गई है या फिर सचिन पायलट विरोध का सुर अपनी ही सरकार के खिलाफ छेड़े रहेंगे? दिल्ली में होने वाली राजस्थान कांग्रेस की बैठक आखिर टल क्यों गई? ऐसे कई सवाल लोगों के मन में हैं जिनके सवाल आपको टाइम्स नाउ नवभारत देगा।दरअसल कांग्रेस आलाकमान आगामी चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों की आड़ में राजस्थान में गहलोत और पायलट के झगड़े को सुलझाने की कोशिश में लगा हुआ था। लेकिन परदे के पीछे चल रही बातचीत से समय रहते कोई हल नहीं निकाला जा सका। यही वजह रही कि राजस्थान के चक्कर में चारों चुनावी राज्यों की बैठकों को अगली तारीख तक के लिए टाल दिया गया। लेकिन पार्टी की तरफ से हवाला दिया गया कि पहले कर्नाटक के मन्त्रिमण्डल को अंतिम रूप दिया जाएगा उसके बाद ही चुनावी राज्यों को लेकर मंथन होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष की चाह, गहलोत-पायलट में हो शांति समझौता
लंबे समय से राजस्थान में अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट का झगड़ा सड़कों पर कांग्रेस की किरकिरी कराता रहा है। ऐसे में कर्नाटक चुनाव की जीत के बाद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस विवाद का अंत चाहते हैं। उनकी पहली कोशिश यही है कि गहलोत और सचिन एक बीच पावर शेयरिंग फॉर्मूला तय करके एक प्लेटफार्म पर लाया जाए। सूत्रों के मुताबिक खरगे चुनाव तक मुख्यमंत्री पद पर गहलोत बने रहे लेकिन साथ ही साथ पायलट कांग्रेस से बाहर न जाएं।
इसके बाद से ही गहलोत और पायलट के बीच विवाद को सुलझाने की कोशिशें तेज हो गईं। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रभारी सुखजिंदर रन्धावा को निर्देश दे दिए गए। सूत्रों के मुताबिक, इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और एक गैर राजनीतिक व्यक्ति को मामले को सुलझाने की ज़िम्मेदारी दी गई। सूत्र बताते हैं कि इस कदम में रणनीतिकारों को पहली सफलता तब मिली जब सचिन पायलट चुनाव से पहले गहलोत के सीएम बने रहने पर मान गए।
अब कांग्रेस के रणनीतिकारों को पहली सफलता मिलने के बाद 24 और 25 मई को चार राज्यों के लिए चार बैठकें तय हो गई। लेकिन तब तक समझौते के फॉर्मूले पर अंतिम सहमति नहीं बनी तो बैठकों को 26 और 27 मई के लिए बढ़ा दिया गया। लेकिन बात बनती न देख फजीहत से बचने के लिए चारों राज्यों की बैठकों को कर्नाटक मन्त्रिमण्डल बनाये जाने के नाम पर आगे बढ़ा दिया गया।
बनते-बनते आखिर में क्यों बिगड़ गई बात?
सचिन पायलट चाहते है कि गहलोत सरकार इससे पहली की वसुंधरा सरकार पर लगे आरोपों पर एक जांच कमेटी बना दें। लेकिन इसके लिए अशोक गहलोत इसके लिए तैयार नहीं हैं। उनका मानना है कि सरकार के बचे हुए समय में ढंग से जांच करना मुश्किल है बल्कि उल्टे चुनावी मौके पर ये राजनैतिक द्वेष की भावना से उठाया गया कदम लगेगा। सीएम अशोक गहलोत राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर रद्द होने पर मुआवजे की मांग को मानसिक दिवालियापन करार दे चुके हैं।
पायलट की मांगे भी जान लीजिए
राजस्थान में शक्ति संतुलन बनाने के लिए सचिन पायलट को कैम्पेन कमेटी का चैयरमैन बनाने का प्रस्ताव दिया गया, लेकिन सचिन के करीबी सूत्रों के मुताबिक इस प्रस्ताव को उन्होंने महत्वपूर्ण नहीं माना। पायलट कैंप के मुताबिक अगर कांग्रेस विपक्ष में होती तो इस ओहदे का महत्व भी होता। दरअसल सचिन पायलट सरकार और पार्टी में एक अहम भूमिका के साथ ही टिकट बंटवारे में भी अपनी बड़ी भूमिका चाहते हैं। जिससे कि चुनाव के बाद उनके समर्थक विधायकों की संख्या ज्यादा हो।
गांधी परिवार ने इस विवाद से दूरी बना रखी है
सचिन पायलट की मांगों पर गहलोत मानते हुए नजर नहीं आ रहे हैं। चुनाव से पहले दोनो के बीच विवाद को सुलझाने में कांग्रेस के रणनीतिकारों के पसीने छूट रहे हैं। लेकिन यहां ये बात भी जान लेना जरूरी है कि इस पूरे मसले से गांधी परिवार ने खुद को रखा है। लेकिन पार्टी अध्यक्ष खरगे इसको सुलझा पाने में कामयाब नहीं हो पाते हैं तो ये मामला कांग्रेस के लिए एक बड़ा सिरदर्द बनता जाएगा।