BRICS समिट से जिनपिंग ने क्यों बनाई दूरी, क्या खतरे में है चीन के सबसे ताकतवर शख्स की कुर्सी?

ब्रिक्स की शुरुआत ब्राजील, रूस, भारत और चीन ने मिलकर की, फिर बाद में इसमें दक्षिण अफ्रीका शामिल हुआ। अमेरिका और पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था के जवाब चीन ने ब्रिक्स समूह बनाकर एक बड़ी पहल की। एक तरह से मानिए तो ब्रिक्स का कर्ताधर्ता एक तरह से चीन ही है। करीब दो दशक पहले तेजी से उभर रहीं दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाने और उन्हें जोड़ने की जो कवायद हुई उसमें चीन की भूमिका बहुत प्रभावी रही।

Xi Jinping

साल 2012 से चीन के राष्ट्रपति हैं शी जिनपिंग।

Xi jinping skips BRICS Summit: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में रविवार से शुरू हो रहे ब्रिक्स समिट-2025 में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। जिनपिंग की जगह चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग इस समिट में हिस्सा लेंगे। जिनपिंग के ब्रिक्स समिट से अनुपस्थित रहने को लेकर मीडिया में कई तरह की बातें चल रही हैं। रिपोर्टों की मानें तो खुद जिनपिंग करीब दो सप्ताह से चीन में सार्वजनिक जगहों पर कई नजर नहीं आए हैं। इससे कई अटकलें लग रही हैं। रिपोर्टों में यह भी अटकल है कि चीन में जिनपिंग का तख्तापलट हो सकता है। कहा जा रहा है कि वह घरेलू मोर्चे पर बुरी तरह घिरे हुए हैं और उनकी कुर्सी खतरे में है।

12 साल में पहली बार गैर-हाजिर रहेंगे जिनपिंग

पहले बात ब्रिक्स से जिनपिंग के अनुपस्थित रहने की तो बीते 12 सालों में यह पहली बार होगा जब जिनपिंग इस सम्मेलन से नदारद रहेंगे। 2012 में वह चीन के राष्ट्रपति बने तबसे ब्रिक्स सम्मेलनों में शामिल होते आए हैं। ब्रिक्स की अगर बात करें तो इसकी स्थापना से लेकर इसके स्वरूप और इसकी योजनाओं, संयुक्त बयानों में चीन का रसूख और दबदबा रहा है। ब्रिक्स की शुरुआत ब्राजील, रूस, भारत और चीन ने मिलकर की, फिर बाद में इसमें दक्षिण अफ्रीका शामिल हुआ। अमेरिका और पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था के जवाब चीन ने ब्रिक्स समूह बनाकर एक बड़ी पहल की। एक तरह से मानिए तो ब्रिक्स का कर्ताधर्ता एक तरह से चीन ही है। करीब दो दशक पहले तेजी से उभर रहीं दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाने और उन्हें जोड़ने की जो कवायद हुई उसमें चीन की भूमिका बहुत प्रभावी रही। और इसके बाद से इस समूह पर उसका दबदबा रहा है। ऐसे में जिनपिंग का इस सम्मेलन से इस दूरी को कई रूपों में देखा जा रहा है।

एक्सपर्ट ने भी अटकलों को सही बताया

ब्रिक्स में जिनपिंग के न आने पर लग रहीं अटकलों पर यूएस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल में चीन के डाइरेक्टर रेयान हस जो कि अब ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन थिंक टैंक के साथ हैं, उनका कहना है कि 'सम्मेलन सी जिनपिंग की अनुपस्थिति को लेकर लगने वाली अटकलों की वह उम्मीद कर रहे हैं।' ध्यान देने वाली बात यह भी है कि जिनपिंग ही नहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी सम्मेलन में शिरकत करने के लिए ब्राजील नहीं आ रहे हैं, बताया जा रहा है कि पुतिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक से जुड़ेंगे। यही नहीं, इस समूह से बाद में जुड़ने वाले देश ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने भी दूरी बनाई है।

बड़े सम्मेलन-समारोहों से दूर रहे जिनपिंग

हस का मानना है कि जिनपिंग की इस समारोह से दूरी का एक बड़ा कारण ब्राजील में प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत और उन्हें गेस्ट ऑफ ऑनर देना भी हो सकता है। ऐसे मंच जहां जिनपिंग को यह लगता है कि उनसे ज्यादा भारत या किसी और नेता को अहमियत या तवज्जो दी जा रही है, उससे वह दूरी बना लेते हैं। इस साल राष्ट्रपति ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में वह शामिल नहीं हुए। जी-7 बैठक के लिए भी वह नहीं पहुंचे। और अब ब्रिक्स समिट से उनकी दूरी कई अटकलों को जन्म दे रही है। ब्रिक्स सम्मेलन से जिनपिंग, पुतिन की दूरी ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासिओ लूला डि सिल्वा के लिए भी एक झटका माना जा रहा है।

ट्रंप के टैरिफ के बीच हो रही BRICS की बैठक

दरअसल, इस साल ब्राजील में जी-20 समिट और COP30 जलवायु परिवर्तन पर बैठक भी होनी है। ब्राजील में अगले साल होने वाले चुनावों से पहले सिल्वा इन बैठकों एवं सम्मेलनों के जरिए वह खुद को एक ताकतवर और बड़े नेता के रूप में पेश करना चाहते हैं लेकिन राष्ट्राध्यक्षों की अनुपस्थिति उनकी इस चाहत पर पानी फेरने का काम कर रही है। ब्रिक्स की यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अपने टैरिफ को लेकर आक्रामक हैं। दुनिया के देशों पर लगने वाले टैरिफ दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगे। ब्रिक्स के देशों भारत और चीन दोनों का व्यापार अमेरिका के साथ बहुत ज्यादा है। किस देश पर कितना टैरिफ लगेगा यह भी सात जुलाई तक स्पष्ट हो जाएगा। टैरिफ पर अमेरिका के साथ चीन की डील हो गई है जबकि भारत के साथ व्यापार वार्ता समझौते पर मुहर लगनी है। ऐसे में भारत भी नहीं चाहेगा कि ब्रिक्स सम्मेलन से ऐसा कोई संदेश या संकेत जाए जिससे ट्रंप नाराज हो जाएं।

जिनपिंग के पक्ष में नहीं हैं चीन के हालात?

इन सम्मेलनों से जिनपिंग की दूरी के पीछे चीन में जिनपिंग विरोधी गुट का सक्रिय हो जाना भी माना जा रहा है। वैश्विक मंच पर चीन की कमजोर होती छवि, लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था, ताईवान, गलवान घाटी झड़प जैसे तमाम मुद्दे जिनिपंग के खिलाफ गए हैं। कहा जा रहा है कि चीन के शीर्ष सैन्य स्तर में जिनपिंग को लेकर वह भरोसा नहीं रहा जो पहले था। कहा यह भी जा रहा है कि पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओं के करीबी वरिष्ठ पार्टी जनरल झांग यूक्सिया के पीछे लामबंद हो रहे हैं और उनका समर्थन कर रहे हैं। इससे जिनपिंग के उत्तराधिकारी के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई हैं।

मजबूत चेहरे के रूप में उभर रहे जनरल झांग

जनरल झांग चीन के शक्तिशाली सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के पहले उपाध्यक्ष और प्रमुख सैन्य चेहरा हैं। चीन की सेना पीएलए में उनका काफी रसूख और दबदबा माना जाता है। रिपोर्टें यह भी हैं कि चीन में तख्तापलट भी हो सकता है। जिनपिंग अपने ऊपर काफी दबाव महसूस कर रहे हैं। ऐसे उन्हें लगता होगा कि देश छोड़कर जाना उनके हित में नहीं होगा। चीन में जिनपिंग को हटाने की यदि तैयारी चल रही है तो उनकी अनुस्थिति में ये चीजें और तेज हो सकती हैं क्योंकि तख्तापलट में समय नहीं लगता और रातों-रात हो जाता है।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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