क्या है 'गोल्डन डोम'? US को क्यों पड़ी इसकी जरूरत; जद में है पूरी दुनिया, स्पेस से कुछ यूं तबाह होंगे दुश्मन के मंसूबे
Golden Dome: अमेरिका 'गोल्डन डोम' नामक एक मिसाइल डिफेंस सिस्टम परियोजना बनाने की तैयारी कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना का ऐलान किया जिसकी अनुमानित लागत 175 बिलियन डॉलर बताई जा रही है। ट्रंप ने बताया कि रोनाल्ड रीगन (अमेरिका के 40वें राष्ट्रपति) इसे कई साल पहले बनाना चाहते थे, लेकिन उनके पास तकनीक नहीं थी...

गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम (फोटो साभार: एपी)
Golden Dome: अमेरिका 'गोल्डन डोम' नामक एक मिसाइल डिफेंस सिस्टम परियोजना बनाने की तैयारी कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना का ऐलान किया जिसकी अनुमानित लागत 175 बिलियन डॉलर बताई जा रही है। अगर अमेरिका इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम को विकसित कर लेता है तो वह दुश्मनों के नापाक मंसूबों को बेदम कर सकेगा।
क्या है 'गोल्डन डोम' सिस्टम?
गोल्डन डोम सिस्टम अमेरिका का एक प्रस्तावित अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जिसका मकसद बैलिस्टिक मिसाइलों, ड्रोन सहित अन्य हवाई हमलों को निष्क्रिय कर अमेरिका की रक्षा करना है। आसान भाषा में कहें इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम के निर्माण की बदौलत अमेरिका के चारों ओर एक ऐसी अदृश्य दीवार तैनात हो जाएगी जिसको दुश्मन भेद नहीं पाएगा।
गोल्डन डोम कब तक होगा तैयार
ट्रंप ने गोल्डन डोम परियोजना के ऐलान के साथ ही इसके शुरू होने का समय भी बता दिया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि मेरा कार्यकाल समाप्त होने तक गोल्डन डोम सिस्टम चालू हो जाएगा जिसको लेकर यह माना जा रहा कि अमेरिका 2029 तक गोल्डन डोम को बना सकता है, क्योंकि ट्रंप का कार्यकाल 2029 में समाप्त हो रहा है।
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अमेरिका की रक्षा करेगा गोल्डन डोम
ट्रंप ने बताया कि रोनाल्ड रीगन (अमेरिका के 40वें राष्ट्रपति) इसे कई साल पहले बनाना चाहते थे, लेकिन उनके पास तकनीक नहीं थी... उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान मैंने अमेरिकियों से वादा किया था कि मैं अपने देश को विदेशी मिसाइल हमलों के खतरे से बचाने के लिए अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम बनाऊंगा और हम आज यही कर रहे हैं...।
अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, ओवल ऑफिस से बोलते हुए ट्रंप ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम मेरे कार्यकाल के अंत से पहले पूरी तरह चालू हो जाएगा और इसमें अंतरिक्ष से प्रक्षेपित मिसाइलों सो रोकने की क्षमता होगी।
हवा में बेदम होंगे दुश्मन के मंसूबे
आयरन डोम से प्रेरित होकर अमेरिका ने गोल्डन डोम को विकसित करने का मन बनाया है। यह एक अंतरिक्ष आधारित मिसाइल डिफेंस सिस्टम होगा इसमें लॉन्ग-रेंज रडार, स्पेस-बेस्ड इन्फ्रारेड सिस्टम (SBIRS), ग्राउंड-बेस्ड मिडकोर्स डिफेंस (GMD) सहित इत्यादि तकनीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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गोल्डन डोम मिसाइलों को इजरायल के आयरन डोम से प्रेरित होकर तैयार किया जा रहा है। हालांकि, यह आयरन डोम से अधिक शक्तिशाली और लंबी दूरी की मिसाइलों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया जा रहा है।
गोल्डन डोम कैसे करेगा काम
गोल्डन डोम सैटेलाइट के एक पूरे नेटवर्क पर काम करेगा। यह आने वाले खतरों का पता लगाएगा, उन्हें ट्रैक करेगा और फिर नेस्तनाबूत कर देगा। यह सिस्टम मिसाइलों का पता लगाने और उसकी निगरानी के लिए सैकड़ों सैटेलाइट्स को तैनात कर सकेगा।
गोल्डन डोम हाइपरसोनिक, सुपरसोनिक, एडवांस क्रूज जैसी तमाम मिसाइलों को हवा में तबाह करने में कारगर होगा। एलन मस्क की स्पेसएक्स को गोल्डन डोम के अहम हिस्सों को विकसित करने का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है।
अंतरिक्ष आधारित सेंसर से लैस होगा गोल्डन डोम
नए युग के युद्धों से देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के मकसद से इसे बनाया जा रहा है। यह सिस्टम अंतरिक्ष आधारित सेंसर से लैस होगा जिसका मतलब साफ है दुनिया के किसी भी कोने से अमेरिका की ओर बढ़ने वाले खतरे को अंतरिक्ष में मौजूद सेंसर भाप लेंगे और गोल्डन डोन को सक्रिय कर देंगे।
सेंसर: मिसाइलों की गति, दिशा और उसके खतरे को भांपने का काम करेगा।
कमांड पोस्ट: खतरे का आकलन कर लॉन्चर को सिग्नल मुहैया कराएगा।
लॉन्चर: इंटरसेप्टर मिसाइलों के जरिए हवा में ही मिसाइलों को नेस्तनाबूत करेगा।
गोल्डन डोम की क्यों पड़ी जरूरत?
हाल के वर्षों में दुनिया के कई देशों में संघर्ष देखने को मिला या संघर्ष जैसे हालात पनपे। अमेरिका के सबसे करीबी इजरायल ने तो हमास और तेहरान में कई हवाई हमले किए। हूती विद्रोहियों के बढ़ रहे हमले सहित अन्य खतरों को भांपते हुए हवाई हमलों को निष्क्रिय करने की 100 फीसद कारगर तकनीक की जरूरत आन पड़ी है। ट्रंप का मानना है कि अमेरिका के मौजूदा मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर्याप्त नहीं हैं और गोल्डन डोन ज्यादा उन्नत और शक्तिशाली होगा।
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