भारत ने तैयार किया ड्रोन किलर 'भार्गवास्त्र', हर टारगेट पर साधा निशाना, जानिए क्यों इसकी ताकत से थर्राएगा दुश्मन

हार्ड किल मोड में डिजाइन किया गया भार्गवस्त्र 2.5 किमी तक की दूरी पर छोटे और आने वाले ड्रोन का पता लगाने और उन्हें खत्म करने की क्षमताओं से लैस है। इसकी और क्या-क्या खासियतें हैं जानिए।

Bhargavastra

भारत ने भार्गवास्त्र का किया सफल परीक्षण

India Successfully Test Fires Bhargavastra: भारत ने ड्रोन हमलों के बढ़ते खतरे से निपटने में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए एक नए घातक ड्रोन किलर का सफल परीक्षण कर दुश्मनों को साफ संकेत दे दिया है। भारत ने भार्गवस्त्र नाम की कम लागत वाली काउंटर-ड्रोन प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। गोपालपुर में सीवर्ड फायरिंग रेंज में मंगलवार को सिस्टम के माइक्रो रॉकेट का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया, जिसने सभी लक्ष्यों को हासिल किया।

2.5 किमी तक की दूरी तक मार

हार्ड किल मोड में डिजाइन किया गया भार्गवस्त्र 2.5 किमी तक की दूरी पर छोटे और आने वाले ड्रोन का पता लगाने और उन्हें खत्म करने की क्षमताओं से लैस है। सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) द्वारा विकसित रॉकेट के लिए तीन परीक्षण आर्मी एयर डिफेंस के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में किए गए। एक रॉकेट फायर करके दो परीक्षण किए गए। एक परीक्षण दो सेकंड के भीतर साल्वो मोड में दो रॉकेट फायर करके किया गया। सभी चार रॉकेटों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया और जरूरी लॉन्च मापदंड हासिल किए।

ड्रोनों के झुंड को बेअसर करने में सक्षम

भार्गवस्त्र में रक्षा की पहली परत के रूप में गैर-निर्देशित सूक्ष्म-रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है, जो 20 मीटर की घातक घेरे वाले ड्रोनों के झुंड को बेअसर करने में सक्षम है। दूसरी परत के रूप में निर्देशित सूक्ष्म-मिसाइल (जिसका पहले ही परीक्षण किया जा चुका है) का उपयोग किया गया है, जो सटीक और प्रभावी असर दिखाते हुए सटीक निशाना लगाने में सक्षम है।

बेहद ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती

इसे बेहद ऊंचाई वाले क्षेत्रों (समुद्र तल से 5,000 मीटर से अधिक) सहित कई जगहों पर तैनाती के लिए डिजाइन किया गया है। यह सिस्टम भारत के सशस्त्र बलों की हर जरूरत को पूरा करता है। भार्गवस्त्र की उपयोगिता और कम लागत को हाइलाइट करते हुए SDAL ने इसके स्वदेशी डिजाइन और दुश्मन के यूएवी को बेअसर करने के लिए पूरी तरह तैयार रॉकेट और माइक्रो-मिसाइल के विकास पर जोर दिया है। इसके अलावा, सिस्टम मॉड्यूलर है और इसमें जैमिंग और स्पूफिंग को शामिल करने के लिए एक अतिरिक्त सॉफ्ट-किल लेयर है, ताकि सशस्त्र बलों की सभी शाखाओं के लिए एक एकीकृत और पूर्ण कवच दिया जा सके।

जरूरत के अनुसार कॉन्फिगर किया जा सकता है

सिस्टम मॉड्यूलर होने के कारण, सेंसर (रडार, ईओ और आरएफ रिसीवर) और शूटर को जरूरत के अनुसार कॉन्फिगर किया जा सकता है और इसे लेयर्ड और टियर एडी कवर के लिए एकीकृत तरीके से काम करने के लिए बनाया जा सकता है। इससे लंबी दूरी पर लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकता है। इसके अलावा, सिस्टम को मौजूदा नेटवर्क-केंद्रित वॉर इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ बिना रुकावट इंटीग्रेशन के लिए भी तैयार किया गया है।

छोटे हवाई खतरों का पता लगाने में सक्षम

उन्नत C4I (कमांड, कंट्रोल, संचार, कंप्यूटर और इंटेलिजेंस) तकनीक से युक्त एक परिष्कृत कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर से लैस, सिस्टम का रडार 6 से 10 किमी दूर से छोटे हवाई खतरों का पता लगा सकता है। इसका इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड (EO/IR) सेंसर सूट लो रडार क्रॉस-सेक्शन (LRCS) लक्ष्यों की सटीक पहचान सुनिश्चित करता है।

भार्गवस्त्र के डेवलपर्स के अनुसार, यह सिस्टम काउंटर-ड्रोन तकनीक में एक अहम प्रगति को दर्शाती है। इसकी ओपन-सोर्स डिजायन से पता चलता है कि जहां कई विकसित देश इसी तरह के माइक्रो-मिसाइल सिस्टम विकसित कर रहे हैं, लेकिन उनमें भार्गवास्त्र जैसी स्वार्म-ड्रोन को बेअसर करने की क्षमताएं कम ही दिखती हैं। इस तरह के कम लागत वाली प्रभावी काउंटर-ड्रोन सिस्टम को अभी तक वैश्विक स्तर पर कहीं और तैनात नहीं किया गया है।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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