अब फैक्ट्रियों में तैयार होंगी सड़कें! क्या है ये कमाल की तकनीक; नितिन गडकरी ने बताया सारा प्लान
पूरी दुनिया देख रही है कि भारत में कितनी तेजी से सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कमाल की तकनीक के बारे में ऐलान किया है। जिसके तहत सड़कों के निर्माण स्थल पर सिर्फ कंक्रीट मिश्रण वाला हिस्सा ही तैयार किया जाएगा। आखिर क्या है ये नई तकनीक, आपको इस तफसील से समझाते हैं।

नितिन गडकरी ने बताया पूरा प्लान।
भारत में सड़क निर्माण में क्रांतिकारी बदलाव होने जा रहा है, जिसका ऐलान खुद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने किया है। गडकरी ने त्वरित निर्माण तकनीक का अनावरण किया, जिसके तहत अब सड़कें भारत की फैक्ट्रियों में बनेंगी। ये बात भले ही चौंकाने वाली है, मगर ये सच है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब सड़कों का निर्माण पारंपरिक रूप से साइट पर किए जाने के बजाय कारखानों में ही किया जाएगा।
नितिन गडकरी ने उत्तर प्रदेश में एक कार्यक्र के दौरान मलेशिया की शानदार तकनीक का जिक्र करते हुए इसके लाभों के बारे में बताया। उन्होंने आगे कहा कि इस नवाचार से न केवल निर्माण में तेजी आएगी, बल्कि गुणवत्ता में भी सुधार होगा और लागत में कमी आएगी। आपको इस तकनीक से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात समझाते है, साथ ही भारत में सड़क निर्माण को लेकर नितिन गडकरी के लक्ष्य के बारे में बताते हैं।
क्या है वो नई तकनीक, जिससे फैक्ट्रियों में तैयार होंगी सड़कें?
जिन-जिन जगहों पर सड़कों का निर्माण होता है, वहां कंक्रीट मिश्रण के अलावा, नालियों का निर्माण होता है, अन्य जिनती जरूरतमंद संरचनाएं होती हैं, वो निर्माण स्थल पर ही निर्मित होती हैं। लेकिन अब नई तकनीक से निर्माण स्थल पर सड़क का केवल कंक्रीट मिश्रण वाला हिस्सा ही तैयार किया जाएगा। अन्य सभी घटक, जैसे कि प्री-कास्ट नालियां और अन्य संरचनाएं, कारखानों में निर्मित की जाएंगी। इसी बात का ऐलान नितिन गडकरी ने किया है।
इस प्री-कास्ट तकनीक से सड़क निर्माण में तेजी आएगी, सड़कें अधिक टिकाऊ होंगी और इन्हें पर्यावरण के अनुकूल बनाएगी। मलेशिया की इस तकनीक का इस्तेमाल सिंगापुर और भारत में चेन्नई मेट्रो परियोजना में पहले ही किया जा चुका है, जिससे अरबों रुपये की बचत हुई है। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने इस घोषणा के साथ-साथ ये भी बताया कि इस तकनीक के लिए 120 मीटर की दूरी पर सिर्फ दो खंभों की जरूरत होती है, जिससे तीसरे खंभे की लागत बचती है। मतलब साफ है, इस तकनीक के जरिए बचत भी होगी और निर्माण में तेजी भी आएगी।
पैसे की बचत के साथ-साथ ट्रैफिक सिस्टम भी होगा बेहतर
इस मलेशियाई तकनीक के बारे में कई खास बातें सामने आई हैं। हाइवे निर्माण में भी इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। खुद गडकरी ने बताया कि इस तकनीक के इस्तेमाल से मेट्रो के दो पिलर्स के बीच की दूरी 120 मीटर की जा सकेगी, फिलहाल मेट्रो के दो पिलर्स के बीच की दूरी अधिकतम 30 मीटर होती है। उन्होंने एक और खास बात बताई कि इसके इस्तेमाल से अब फ्लाईओवर के ऊपर फ्लाईओवर बनाए जा सकेंगे, जिन पर मेट्रो चल सकती है। यानी पैसे की बचत के साथ-साथ ट्रैफिक सिस्टम भी इस तकनीक के जरिए बेहतर होगा।
इस मलेशियाई तकनीक का कहां हो रहा इस्तेमाल?
चेन्नई मेट्रो प्रोजेक्ट में मलेशियाई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया, जिससे अरबों रुपये की बचत भी हुई। अब महाराष्ट्र के नागपुर में इस तकनीक का इस्तेमाल फ्लाईओवरों के निर्माण में हो रहा है।
सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए क्या है गडकरी का प्लान?
नितिन गडकरी ने सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाने और सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाने का सुझाव दिया है। उनकी योजना में डिवाइडरों की ऊंचाई बढ़ाने, सड़क पार करने से रोकने के लिए दीवारों का निर्माण और जल निकासी व्यवस्था को सुधारने के लिए प्री-कास्ट नालियों को अनिवार्य करना शामिल है। इन उपायों से सड़क सुरक्षा बढ़ेगी और यातायात दुर्घटनाओं को कम करने में मदद मिलेगी। इन उपायों का उद्देश्य न केवल दुर्घटनाओं को कम करना है, बल्कि सड़क अवसंरचना की गुणवत्ता में सुधार करना भी है, जिससे यातायात अधिक सुगम और सुरक्षित बने।
भारत की सड़कों के लिए क्या है केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का लक्ष्य?
नितिन गडकरी का यह लक्ष्य है कि देश में सड़क निर्माण को काफी गति मिले। यदि प्रति दिन 100 किलोमीटर सड़कें बननी शुरू होती हैं, तो यह न सिर्फ सड़कों की गुणवत्ता और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा, बल्कि आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में भी मदद करेगा। अब तक भारत में वर्ष 2020-21 में सबसे ज्यादा तेजी से सड़कों का निर्माण हुआ, जो 37 किलोमीटर प्रति दिन का रिकॉर्ड है। अगर यह गति 100 किलोमीटर तक पहुंचती है और ये लक्ष्य पूरा होता है, तो सड़क परिवहन की संरचना सशक्त होने के साथ-साथ बल्कि पर्यटन, व्यापार, और उद्योगों पर भी बड़ा असर देखने को मिलेगा। गडकरी ने एक बार फिर ये दावा किया कि नई तकनीकों के इस्तेमाल से भारत की सड़कें वर्ष 2047 तक अमेरिका से भी बेहतर हो जाएंगी।
बीते पांच साल में कितनी सड़कें बनी
हाइवे निर्माण की गति बीते साल 2024-25 में धीमी हुई है। इसकी वजह थी कि पिछले वर्ष देश में लोकसभा चुनाव थे। चुनावों के कारण आदर्श आचार संहिता लगने से कई जगह काम में देरी हुई। गडकरी ने बताया कि साल 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से नेशनल हाइवे का नेटवर्क बहुत ही तेजी से आगे बढ़ा है। उन्होंने बताया कि अमेरिका के बाद आज भारत का सड़क नेटवर्क दुनिया में दूसरे नंबर पर है. गडकरी ने ये भी दावा किया है कि अगले डेढ़ साल में भारत का हाइवे नेटवर्क अमेरिका से भी बड़ा हो जाएगा।
नितिन गडकरी का ये भी कहना है कि आने वाले सालों में सड़क परिवहन मंत्रालय देश में 25 हजार किलोमीटर टूलेन और फोर लेन हाइवे बनाने जा रहा है, इसके लिए पैसे की कमी नहीं है। अभी 57 हाइवे परियोजनाओं पर देश में काम चल रहा है, देश में हाइवे को बेहतर करने के लिए अगले दो साल में 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
पूर्वी राज्यों में हाइवे प्रोजेक्ट्स की क्या है स्थिति?
केन्द्रीय मंत्री गडकरी के मुताबिक सड़क नेटवर्क को पूर्वी राज्यों में बेहतर करने के लिए बड़े पैमाने पर काम चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट में ये बताया गया कि इन राज्यों में 784 हाइवे प्रोजेक्ट्स पर काम हो रहा है, जिनकी कुल लागत 3,73,484 करोड़ रुपये है और इनसे 21,355 किलोमीटर सड़कें बनेंगी।
परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए गडकरी का प्लान
हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अधिकारियों से राजमार्ग परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए शीघ्रता से निर्णय लेने को कहा था। गडकरी ने वार्षिक राष्ट्रीय राजमार्ग उत्कृष्टता पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए इस बात पर दु:ख जताया कि मंत्रालय तब तक फाइल आगे नहीं बढ़ाता जब तक कोई इसके लिए जोर से कुछ कहता नहीं। उन्होंने कहा, 'जब तक कोई चिल्लाता नहीं, मंत्रालय में फाइल आगे नहीं बढ़ती... मंत्रालय के कम-से- कम दो प्रतिशत कर्मचारी जो समय पर निर्णय नहीं लेते, उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया जाना चाहिए।'
अपने बेबाक विचारों के लिए जाने जाने वाले मंत्री ने यह भी बताया कि मंत्रालय के अधिकारी ठेकेदारों की बैंक गारंटी वापस करने में करीब एक साल का समय ले रहे हैं। गडकरी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के करीब दो लाख मामले उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं।
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