महेंद्र पाटनी: गुजरात का वो मजदूर जो लड़ रहा विधायकी का चुनाव, जमानत के तौर पर EC को दिया 10 हजार के सिक्के

महेंद्र पाटनी ने कहा कि तीन साल पहले गांधीनगर में महात्मा मंदिर के पास एक झुग्गी बस्ती में स्थित 521 झुग्गियों के विस्थापित निवासियों ने उनसे अपने प्रतिनिधि के रूप में चुनाव लड़ने का आग्रह किया था। जिसके बाद उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया और निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया।

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गुजरात चुनाव में एक उम्मीदवार ने जमानत के तौर पर दिए 10 हजार सिक्के (प्रतीकात्मक तस्वीर - @pixabay)

तस्वीर साभार : भाषा

गुजरात चुनाव के दौरान एक अजीब ही मामला सामने आया है। महेंद्र पाटनी नाम का एक मजदूर जो इस चुनाव में एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में है, उसने जमानत के तौर पर 10 हजार की रकम सिक्के में चुनाव आयोग को दी है। इन सिक्कों को प्राप्त करने के बाद चुनाव आयोग के अधिकारी भी परेशान हो गए।

मिली जानकारी के अनुसार पाटनी ने अपने समर्थकों से दान के रूप में ये सिक्के जुटाए हैं। उन्होंने समर्थकों से एक-एक रुपये के सिक्के लिए और इस तरह से उन्होंने 10,000 रुपये जुटाए। इसके बाद इसे जमानत राशि के तौर पर इस हफ्ते की शुरूआत में आयोग के पास जमा कराया, ताकि वह राज्य में अगले महीने होने जा रहा विधानसभा चुनाव लड़ सकें।

पाटनी ने कहा कि तीन साल पहले गांधीनगर में महात्मा मंदिर के पास एक झुग्गी बस्ती में स्थित 521 झुग्गियों के विस्थापित निवासियों ने उनसे अपने प्रतिनिधि के रूप में चुनाव लड़ने का आग्रह किया था। पाटनी उसी बस्ती के एक निवासी हैं, जिसके निवासियों को दो बार विस्थापित किया गया। ऐसा पहली बार 2010 में किया गया, जब सरकार ने महात्मा गांधी को समर्पित एक दांडी कुटीर संग्रहालय का निर्माण करवाया, जो होटल से अधिक दूर नहीं है। वहीं, दूसरी बार 2019 में, जब झुग्गी बस्ती में रहने वालों को फिर से पास के इलाके में जाने के लिए मजबूर किया गया, ताकि वहां होटल का निर्माण किया जा सके।

पाटनी ने कहा- "मैं बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा हूं। मैं श्रमिक परिवार से हूं। वहां 521 झुग्गियां थी, जिन्हें होटल बनाने के लिये उजाड़ दिया गया। उनमें से कई लोगों की नौकरी चली गयी। हम पास के इलाके में चले गये, लेकिन वहां न तो पानी और ना ही बिजली थी।"

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