Maha Shivaratri 2023: गुलाबी नगरी के इस मंदिर में महादेव स्वयं प्रकट हुए थे, ये है इसका पौराणिक इतिहास, शिवरात्रि पर जरूर विजिट करें

Maha Shivaratri 2023: गुलाबी नगरी के परकोटे में स्थित चौड़ा रास्ता में है ऐतिहासिक ताड़केश्वर महादेव मंदिर। बता दें कि, मंदिर का निर्माण राजस्थानी स्थापत्य शैली में करवाया गया था। जयपुर शहर को सन 1727 में आमेर के महाराज जय सिंह द्वितीय ने अपने नाम से बसाया था। जयपुर बसने से पहले ही इस इलाके में ताड़केश्वर मंदिर में शिवलिंग मौजूद था। वहीं दावा किया गया है कि, यहां पर शिवलिंग स्वयंभू प्रकट हुआ था।

Jaipur Tarkeshwar shiv Temple

जयपुर के ताड़केश्वर मंदिर में शिवलिंग स्वयंभू प्रकट माना जाता है

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • जयपुर से पुराना है ताड़केश्वर महादेव मंदिर का उद्भव
  • इसका निर्माण राजस्थानी स्थापत्य शैली में करवाया गया है
  • इतिहासविद् दावा करते हैं कि यहां शिवलिंग स्वयंभू प्रकट हुआ था

Maha Shivaratri 2023: राजस्थान की राजधानी जयपुर जिसे गुलाबी नगरी भी कहा जाता है। वैसे तो जयपुर अपने रजवाड़ी वैभव व भव्य इमारतों और किलों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां का गौरवशाली अतीत हर किसी को लुभाता है। शहर की बसावट सबसे सुदंर है, जो यहां आने वाले सैलानियों का मन मोह लेती है।

इसके अलावा इस शहर की एक और खास पहचान है, यहां के पौराणिक मंदिर जो कि, इस शहर के बसने से पहले के हैं। महाशिवरात्रि के पर्व की तैयारियों काे दौर शुरू हो चुका है। ऐसे में आप अगर जयपुर घूमने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको बताएंगे यहां के फेमस शिव मंदिरों के बारे में। इसी कड़ी में जानते हैं गुलाबी नगरी के प्रसिद्ध महादेव मंदिर के बारे में, जो कि, जयपुर के बसने से पूर्व ही यहां मौजूद था।

ऐतिहासिक है ताड़केश्वर मंदिरगुलाबी नगरी के परकोटे में स्थित चौड़ा रास्ता में है ऐतिहासिक ताड़केश्वर महादेव मंदिर। बता दें कि, मंदिर का निर्माण राजस्थानी स्थापत्य शैली में करवाया गया था। जयपुर शहर को सन 1727 में आमेर के महाराज जय सिंह द्वितीय ने अपने नाम से बसाया था। जिसे पहले जैपोर कहा जाता था, जो बाद में जयपुर हो गया। इतिहासकारों के मुताबिक, जयपुर बसने से पहले ही इस इलाके में ताड़केश्वर मंदिर में शिवलिंग मौजूद था। वहीं दावा किया गया है कि, यहां पर शिवलिंग स्वयंभू प्रकट हुआ था। इसका नाम ताड़केश्वर पड़ने के पीछे की कहानी ये है कि, इस इलाके में ताड़ के पेड़ों की बहुतायत थी। इसी के चलते मंदिर में विराजित शिवलिंग का नाम ताड़केश्वर प्रचलित हुआ। बताया जाता है कि, सांगानेर में स्थित अंबिकेश्वर महादेव मंदिर के महंत ने सबसे पहले इस शिवलिंग के दर्शन किए थे। इसके बाद एक छोटा सा मंदिर जयपुर रियासत की ओर से बनवाया गया। बाद में जयपुर राज परिवार के वास्तुविदों ने इस मंदिर का डिजाइन तैयार किया व एक भव्य विशाल मंदिर का निर्माण करवाया गया।

स्वयं प्रकट हुए थे यहां महादेवजयपुर के इतिहाविदों के मुताबिक, यहां पर शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था, इसकी किसी ने स्थापना नहीं की थी। इस मंदिर को शुरूआत में ताड़कनाथ मंदिर के तौर पर जाना जाता था। इस मंदिर में यहां के लोगों की गहरी आस्था है। जयपुर के लोगों के मुताबिक, महादेव से मांगी गई हर इच्छा वे पूरी करते हैं। हालांकि इस मंदिर में पूरे साल श्रद्धालुओं का आवागमन रहता है। मगर सावन व शिवरात्रि के मौके पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है।

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