Vedanta के डिमर्जर का बड़ा फैसला! प्रमोटर हिस्सेदारी और स्टील बिक्री पर आई बड़ी अपडेट
vedanta demerger 2025: वेदांता ने अपने विभिन्न व्यवसायों को अलग-अलग कंपनियों में बांटने का निर्णय लिया है। प्रमोटर्स 50% से अधिक हिस्सेदारी बनाए रखेंगे और स्टील कारोबार की संभावित बिक्री पर भी चर्चा जारी है। वेदांता लिमिटेड अपने एल्यूमिनियम, तेल और गैस, पावर और स्टील व्यवसायों को अलग-अलग कंपनियों में विभाजित करने की योजना बना रहा है।

Vedanta Demerger 2025: 50 से ज्यादा हिस्सेदारी रखेंगे प्रमोटर्स, जानें पूरी डिटेल
- प्रमोटर हिस्सेदारी बरकरार।
- स्टील कारोबार बिक्री की संभावना।
- सही कीमत मिलने पर वेदांता अपना स्टील कारोबार बेच सकता है।
vedanta demerger 2025: वेदांता लिमिटेड के प्रमोटर्स अपनी डिमर्ज की गई कंपनियों में 50% से अधिक हिस्सेदारी बनाए रखेंगे। वेेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल के अनुसार, इस फैसले का उद्देश्य स्वतंत्र और बेहतर कार्यप्रणाली वाली कंपनियों का निर्माण करना है, जो उद्योग में नई संभावनाओं को भुना सकें। वेदांता लिमिटेड अपने एल्यूमिनियम, तेल और गैस, पावर और स्टील व्यवसायों को अलग-अलग कंपनियों में विभाजित करने की योजना बना रहा है। वर्तमान में ये सभी व्यवसाय वेेदांता लिमिटेड के तहत संचालित होते हैं, जो यूके स्थित वेेदांता रिसोर्सेज की भारतीय शाखा है।
लोन कटौती के लिए हिस्सेदारी बेचने की जरूरत नहीं
अनिल अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि प्रमोटर्स की हिस्सेदारी घटाने की कोई योजना नहीं है और कंपनी अपनी आंतरिक आय से अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए पूरी तरह सक्षम है। हालांकि, यदि स्टील व्यवसाय के लिए उपयुक्त मूल्य मिलता है, तो वे इसे बेचने पर विचार कर सकते हैं। डिमर्जर प्रक्रिया के तहत प्रत्येक नई कंपनी को स्वतंत्र पूंजी संरचना और प्रबंधकीय स्वायत्तता मिलेगी। इससे व्यवसायों को तेजी से निर्णय लेने में मदद मिलेगी, जिससे उत्पादों और भागीदारों की गुणवत्ता में सुधार होगा और अधिक लाभदायक अवसर सृजित होंगे।
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में आवेदन दाखिल
वेदांता ने मार्च 2025 में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) में डिमर्जर के लिए अंतिम स्वीकृति हेतु आवेदन किया है। न्यायाधिकरण की सुनवाई 6 से 8 सप्ताह के भीतर होगी, जिसके बाद अलग हुई कंपनियों के शेयर सूचीबद्ध किए जाएंगे।
अनिल अग्रवाल का मानना है कि डिमर्जर के बाद ये कंपनियां $100 बिलियन के स्तर तक पहुंच सकती हैं। उनका कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा संक्रमण के चलते वेेदांता की कंपनियों और उनके उत्पादों की मांग लगातार बनी रहेगी।
डिविडेंड नीति बनी रहेगी बरकरार
वेदांता उच्च डिविडेंड देने वाली कंपनी के रूप में जानी जाती है और यह परंपरा डिमर्जर के बाद भी जारी रहेगी। अनिल अग्रवाल के अनुसार, अगले पांच वर्षों में इन कंपनियों से $40 बिलियन का राजस्व और 30-35% का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन उत्पन्न होने की उम्मीद है।
स्टील व्यवसाय की बिक्री संभव
कंपनी ने संकेत दिया है कि यदि स्टील व्यवसाय के लिए सही मूल्य मिलता है, तो इसे बेचा जा सकता है। अनिल अग्रवाल ने बताया कि वेेदांता का स्टील कारोबार लाभदायक है और बाज़ार तक उसकी अच्छी पहुंच है। यदि सही बाजार मूल्य की पेशकश की जाती है, तो कंपनी इस डिवीजन को बेचने पर विचार करेगी।
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