बढ़ती EMI से परेशान,ऐसे कम करें होम लोन का बोझ
How To Reduce the EMI: आरबीआई ने पिछले 10 महीने में छठीं बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। और इसकी वजह से रेपो रेट में 2.50 फीसदी बढ़कर 6.5 फीसदी हो गया है। और इसका असर यह हुआ है कि होम लोन के मौजूदा ग्राहकों की ईएमआई लगातार बढ़ रही है।
ऐसे घटेगी होम लोन की ईएमआई
How To Reduce the EMI: आरबीआई ने एक बार फिर रेपो रेट बढ़ाकर कर्ज महंगा कर दिया है। रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद, ऐसी पूरी संभावना है कि बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेंगी। और इसका असर मौजूदा होम लोन ग्राहकों से लेकर नए ग्राहकों पर भी पड़ने वाला है। आरबीआई ने पिछले 10 महीने में छठीं बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। और इसकी वजह से रेपो रेट में 2.50 फीसदी बढ़कर 6.5 फीसदी हो गया है। और इसका असर यह हुआ है कि होम लोन के मौजूदा ग्राहकों की ईएमआई लगातार बढ़ रही है। केवल 0.25 फीसदी ब्याज दरों में बढ़ोतरी से 20 लाख के होम लोन पर 20 साल की अवधि के लिए कर्ज लेने वाले ग्राहकों को 77,280 रुपये एक्स्ट्रा ब्याज चुकाना होगा।
10 महीने में इतना बड़ा बोझ
अगर पिछले 10 महीने में होम लोन की ब्याज दरों को देखा जाय तो वह औसतन 7.0 फीसदी से बढ़ाकर 9.0 फीसदी पहुंच चुका है। और नई बढ़ोतरी के बाद उसे 9.25 फीसदी तक पहुंचने की पूरी संभावना है। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति का 30 लाख रुपये का लोन ले रखा है। तो उसकी ईएमआई पिछले 10 महीने में 23,259 रुपये से बढ़कर 26,992 रुपये हो चुकी है। और अगर बैंक-हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां 8 फरवरी को बढ़े रेपो रेट को देखते हुए कर्ज महंगा करती हैं, तो यह ईएमआई 27,476 रुपये पहुंच जाएगी। यानी 10 महीने में 30 लाख रुपये को होम लोन पर ईएमआई का बोझ 4217 रुपये बढ़ जाएगा।
इसे देखते हुए कुछ तरीके हैं, जिन्हें इस्तेमाल कर होम लोन का बोझ कम किया जा सकता है..
पीएफ अकाउंट का कर सकते हैं इस्तेमाल
ईएमआई कम करने के लिए सबसे अहम है कि लोन के प्रिंसिपल अमाउंट में कमी की जाए। ऐसे में आप पीएफ अकाउंट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके जरिए नौकरीपेशा वर्ग होम लोन रिपेमेंट के नाम पर ईपीएफओ के नियमानुसार रकम निकाल सकता है। और उसके जरिए अपने होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट को कम कर सकता है। इसके जरिए न केवल ब्याज का बोझ कम होगा। बल्कि लोन भी जल्द खत्म होगा।
इंटरेस्ट रिजीम पर भी करें फोकस
आपका होमलोन इंटरेस्ट रेट की किस रिजीम पर चल रहा है। यह भी भी ईएमआई के बोझ में कमी कर सकता है। पुराने ग्राहकों के होम लोन MCLR, BPLR या बेस रेट पर भी तय होते हैं। ऐसे में अगर आपकी ब्याज दर मौजूदा रिजीम EBLR के मुकाबले कम है, तो फिलहाल उसे जारी रखना आपके लिए बेहतर होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद पुरानी इंटरेस्ट रिजीम में ब्याज दरें बढ़ने में ज्यादा वक्त लगता है।
ट्रांसफर का भी होता है विकल्प
कई बार ऐसा भी होता है कि आपने जिस बैंक या फाइनेंस कंपनी से होम लोन लिया है, उसकी ब्याज दरें, दूसरे बैंक की तुलना में ज्यादा है। ऐसे में आप कम ब्याज दर वाले बैंक या फाइनेंस कंपनी में अपना लोन ट्रांसफर करा सकते हैं। हालांकि लोन ट्रांसफर में प्रोसेसिंग फीस आदि का भी कैलकुलेशन करना चाहिए। जिससे लोन ट्रांसफर आपके लिए फायदे का सौदा हो।
सिबिल स्कोर भी आता है काम
बैंक अच्छे सिबिल स्कोर वाले ग्राहकों को कम ब्याज दर पर कर्ज देते हैं। ऐसे में अगर आपका सिबिल स्कोर अच्छा है, तो अपने बैंक से लोन को कम ब्याज दर पर शिफ्ट करने की मांग कर सकते हैं।
कर्ज की अवधि बढ़ाना भी विकल्प
अगर एक्स्ट्रा इनकम या सेविंग्स नहीं हो पा रही है, तो आप लोन की अवधि बढ़ा बढ़वा कर EMI कम करा सकते हैं। लेकिन, इसमें एक नुकसान यह होता है कि आप को फौरी तौर पर ईएमआई कम होने की राहत मिल जाती है। लेकिन आपको कुल लोन पर कहीं ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है।
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