चीन की करेंसी अमेरिका को दिखा रही आंखें, क्या डॉलर को देगी मात; 10 पॉइंट में समझें

China’s global financial influence: यहां हम आपको चीन की रेनमिनबी (युआन) कैसे दुनिया के वित्तीय बाजार में अमेरिकी डॉलर के प्रभाव को चुनौती दे रही है। आगे बेल्ट एंड रोड पहल, करेंसी एक्सचेंज और अंतर्राष्ट्रीय बांड जैसे मुद्दा के जरिए चीन के बढ़ते प्रभाव के बारे में 10 पॉइंट में जानते हैं।

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चीन की करेंसी, क्या डॉलर को देगी मात

China's Renminbi Rising Challenging the US Dollar's Global Dominance: डॉलर दुनिया की सबसे पावरफुल करेंसी कैसे बनी, इसके पीछे कई ऐतिहासिक, आर्थिक और राजनीतिक कारण हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1944 में ब्रेटन वुड्स समझौते ने डॉलर को वैश्विक आरक्षित करेंसी के रूप में स्थापित किया, जो सोने से जुड़ी थी, जिससे इसकी स्थिति मजबूत हुई। अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध से सबसे बड़ी और सबसे स्थिर अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा, जिसमें युद्ध का न्यूनतम प्रभाव पड़ा और इसके वित्तीय संस्थानों, जैसे फेडरल रिजर्व, ने दुनियाभर के देशों का विश्वास हासिल किया।

इसके अलावा, डॉलर का वैश्विक व्यापार, विशेषकर तेल लेन-देन में उपयोग इसकी स्थिति को और मजबूत किया। देशों को व्यापार और भंडार के लिए डॉलर रखना जरूरी था। यही वजह थी कि अमेरिका के डॉलर ने दुनिया के बाजार में अपनी धाक जमाई।

डॉलर को एक और पावरफुल देश से मिल रही चुनौती

अब समय बदल रहा है। डॉलर को चुनौती देने वालों में सबसे पहला नाम चीनी युआन/रेनमिनबी का आने लगा है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन अब अपने देश के करेंसी रेनमिनबी को दुनिया में व्यापार के लिए बढ़ाने में लगा हुआ है। रेनमिनबी (आरएमबी) का प्रभाव बढ़ रहा है।

यहां हम आपको 10 पॉइंट में समझा रहे हैं कि चीन अपनी करेंसी को डॉलर को टक्कर देने और रेनमिनबी/युआन को दुनिया में पहुंचाने के लिए क्या-क्या कर रहा है।

1.चीन की करेंसी का उभार

2010 में 0% से बढ़कर 2023 में चीनी युआन (Renminbi) की दुनियाभर में पेमेंट या लेन-देन में हिस्सेदारी 4.3% तक पहुँच गई है और इसने जापानी येन को भी पीछे छोड़ दिया है।

2.रूस में युआन का दबदबा

2023 में युआन ने रूस में डॉलर को पीछे छोड़ते हुए सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली सीमा पार करेंसी के रूप में अपना स्थान बना लिया है।

3.चीन का डॉलर बांड इश्यू

चीन ने रियाद, सऊदी अरब में 2 बिलियन डॉलर के डॉलर बांड जारी किए, जो अमेरिकी ट्रेजरी बांड्स के मुकाबले कम ब्याज दरों पर थे।

4.चीन का 'लोन देकर' दबाव वाला बनना

चीन ने बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के जरिए कई देशों को कर्ज देना शुरू किया है, जिनमें श्रीलंका, पाकिस्तान और लाओस शामिल हैं।

5.बीआरआई देशों को कर्ज देना

चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत 152 देशों को कर्ज़ देने का आंकड़ा है, जो चीन को वैश्विक वित्तीय भूमिका में महत्वपूर्ण बनाता है।

6.चीन की करेंसी स्वैप डील्स

चीन ने 40 देशों के साथ करेंसी स्वैप डील्स साइन की हैं, जिनका कुल मूल्य 4 ट्रिलियन युआन (लगभग 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर) है।

7.चीन के सरकारी बॉड्स

चीन के 10-वर्षीय सरकारी बॉंड्स की यील्ड 2% के पास पहुंचने की संभावना है, और ये वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षक बन गए हैं।

8.चीन का अमेरिकी बांड होल्डिंग इश्यू

चीन ने अमेरिकी ट्रेजरी बांड्स की अपनी होल्डिंग को कम कर दिया है, जो 2013 में 1.3 ट्रिलियन डॉलर से घटकर 2024 के अंत तक 780.2 बिलियन डॉलर हो गई है।

9.युआन को इंटरनेशनल करेंसी बनाना

चीन अपनी करेंसी युआन को वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य बनाने के लिए लगातार कदम उठा रहा है, जिससे डॉलर पर निर्भरता कम हो सके।

10.डॉलर को चुनौती देना

चीन अब डॉलर की अंतरराष्ट्रीय करेंसी के रूप में प्रभुत्व को चुनौती देने की दिशा में बढ़ रहा है, जैसा कि एक सदी पहले डॉलर ने ब्रिटिश पाउंड को पीछे छोड़ दिया था।

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आशीष कुशवाहा author

आशीष कुमार कुशवाहा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। वह 2023 से Timesnowhindi.com के साथ जुड़े हैं। वह यहां शेयर बाजार, ...और देखें

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