शुभमन गिल (फोटो- BCCI)
Shubman Gill on Captaincy: शुभमन गिल की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने वेस्टइंडीज के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट सीरीज में 2-0 से शानदार क्लीन स्वीप किया है। इंग्लैंड दौरे पर 2-2 से सीरीज ड्रॉ कराने के बाद, वेस्टइंडीज के खिलाफ यह क्लीन स्वीप गिल के कप्तानी करियर की एक और बड़ी सफलता है। मैच के बाद गिल ने कप्तानी, रणनीतियों और टीम के भविष्य को लेकर खुलकर बात की।
युवा कप्तान शुभमन गिल ने कहा कि वह अब कप्तानी की जिम्मेदारियों की आदत डाल रहे हैं। उन्होंने कहा, "मैं अब इसकी आदत डाल रहा हूं। सभी खिलाड़ियों को मैनेज करना, इस टीम का नेतृत्व करना एक बड़ा सम्मान है। यह किसी भी परिस्थिति में सही विकल्प चुनने के बारे में है। मैं उस स्थिति में सबसे संभावित निर्णय लेने की कोशिश करता हूं जिसमें हम उस खेल में होते हैं। कभी-कभी आपको एक साहसिक निर्णय लेना पड़ता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि कौन-सा खिलाड़ी आपको रन या विकेट दिला सकता है।"
दिल्ली टेस्ट में 270 रनों की बड़ी बढ़त के बावजूद वेस्टइंडीज को फॉलोऑन देने के साहसिक फैसले पर गिल ने अपनी रणनीति स्पष्ट की। उन्होंने कहा, "हम लगभग 300 रन (270 रन) आगे थे। हमने सोचा कि अगर हम 500 रन भी बना लेते हैं और हमें पांचवें दिन 6 या 7 विकेट लेने हैं, तो यह हमारे लिए एक कठिन दिन हो सकता है।" गिल का मानना था कि फॉलोऑन लागू करके मैच को जल्दी खत्म करने की संभावना अधिक थी, भले ही यह फैसला टीम पर दबाव डाल सकता था।
गिल ने युवा ऑलराउंडर नीतीश रेड्डी को सीरीज में भरपूर मौके दिए जाने के अपने निर्णय को समझाया। नीतीश रेड्डी को अहमदाबाद टेस्ट में गेंदबाजी और दिल्ली टेस्ट की पहली पारी में 43 रन बनाने का मौका मिला था।
कप्तान ने कहा, "हम नहीं चाहते कि खिलाड़ी सिर्फ विदेशों में ही मैच खेलें। इससे खिलाड़ियों पर बहुत दबाव पड़ता है। हम कुछ ऐसे खिलाड़ियों को तैयार करना चाहते हैं, जो हमें लगता है कि विदेशों में मैच जीतने में हमारी मदद कर सकते हैं, क्योंकि यह हमारे लिए एक चुनौती रही है।" यह बयान स्पष्ट करता है कि टीम प्रबंधन भविष्य के कठिन विदेशी दौरों के लिए अभी से एक मजबूत कोर टीम तैयार करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
इस सीरीज में गिल ने बल्ले से भी शानदार प्रदर्शन किया, जिसमें 50, नाबाद 129 और 13 रन की पारियां शामिल हैं। अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन पर बात करते हुए गिल ने कहा, "जब मैं मैदान पर जाता हूं, तो मैं बस एक बल्लेबाज के तौर पर फैसले लेना चाहता हूं। एक चीज जो आप हमेशा चाहते हैं, वो है अपनी टीम को मैच कैसे जिताएं। जब मैं बतौर बल्लेबाज मैदान पर जाता हूं, तो मेरे दिमाग में बस यही ख्याल आता है।" गिल ने साबित किया है कि कप्तानी का अतिरिक्त बोझ उनके स्वाभाविक खेल पर हावी नहीं हुआ है।
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