Vat Savitri Vrat Niyam: वट सावित्री व्रत करने वाली महिलाएं कर लें नोट, व्रत में ना हो चूक, ये चीजें होती हैं वर्जित

Vat Savitri Vrat Mein Kya nahi Khana chahiye: वट सावित्री व्रत महिलाएं सुहाग के लंबे जीवन की कामना के साथ रखती है। इस व्रत में वट वृक्ष की भी पूजा होती है। अगर आप वट सावित्री व्रत करती हैं तो इसके नियमों की जानकारी जरूरी है। जानें वट सावित्री व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए। क्या है वट सावित्री व्रत में वर्जित।

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वट सावित्री व्रत के नियम

Vat Savitri Vrat Mein Kya nahi Khana chahiye: ज्येष्ठ मास में वट सावित्री व्रत महिलाओं के लिए खास माना जाता है। इस व्रत को ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और महिलाएं इसे पूरी आस्था से अपने सुहाग यानी पति की लंबी उम्र की कामना के साथ रखती हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन महिलाएं वटवृक्ष यानी बरगद के नीचे पूजा करती हैं। यह व्रत कठिन माना जाता है। अगर आप ये व्रत कर रही हैं तो इसके नियमों की जानकारी होना भी जरूरी है। इस व्रत को लेकर खासतौर पर खानपान के सेवन में कई तरह की दुविधा सामने आती है। मन में शंका बनी रहती है कि अगर ये चीज खा ली तो हमारा कहीं व्रत खंडित न हो जाए। जानें इसके बारे में।

वट सावित्री व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए

व्रत के दौरान महिलाओं को फल, मेवे, खिचड़ी, दही, और शहद का सेवन करना चाहिए। इस दिन किसी भी तरह का अनाज ग्रहण न करें। अंडा, मांस, मछली, प्याज, लहसुन जैसी चीजें पूरी तरह से वर्जित होती हैं, इसलिए इससे बचें। व्रत का उद्देश्य शरीर और मन को शुद्ध करना होता है, ताकि जो भी शुभ काम किया जाए, उसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। व्रत में घर पर बनी शुद्ध मिठाई, हलवा या पुआ का सेवन किया जा सकता है।

स्वास्थ्य के नजरिए से देखें तो किसी भी व्रत से एक दिन पहले सादा भोजन करने की सलाह दी जाती है। वो इसलिए क्योंकि तामसिक भोजन को भारी और न पचने योग्य माना जाता है। इससे शरीर को नुकसान हो सकता है। तामसिक भोजन से व्रत की अवधि में शरीर को ऊर्जा नहीं मिलती और व्रत के नियमों का पालन करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

वट सावित्री का व्रत 2025 में कब है

पंचांग के अनुसार, वट सावित्री का व्रत 26 मई 2025 को, सोमवार के दिन किया जाएगा। 26 मई को अमावस्या तिथि का आरंभ दोपहर में 12:11 मिनट पर होगा और 27 तारीख को सुबह 8:31 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त हो जाएगी। मान्यता है कि इस दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान की जिंदगी वापस मंगवाई थी, और तभी से यह व्रत हर साल श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है।

वट सावित्री व्रत कैसे किया जाता है

इस व्रत को करने की पूजा विधि बेहद खास होती है। व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस व्रत में बरगद के पेड़ का विशेष महत्व होता है। पूजा करने से पहले बरगद के पेड़ यानी वट वृक्ष के नीचे सफाई करें और पूजा स्थल तैयार करें। सावित्री और सत्यवान की पूजा करें, और वट वृक्ष को जल चढ़ाएं। लाल धागे से वट वृक्ष को बांधें और 7 बार परिक्रमा करें। व्रत कथा का पाठ करें और अंत में आरती करें। गरीबों और ब्राह्मणों को दान दें और उनसे आशीर्वाद लें। व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करें।

इनपुट : आईएएनएस

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मेधा चावला author

हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें

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