Shab E Barat Roza Iftar Time And Dua: शब ए बारात रोजा खोलने का समय और दुआ यहां जानें
Shab E Barat Roza Iftar Time And Dua: शब ए बारात के दिन कई मुस्लिम लोग रोजा यानी उपवास रखते हैं। हालांकि इस दिन रोजा रखना हर किसी के लिए जरूरी नहीं है। यहां जान लें शब ए बारात रोजा की सहरी और इफ्तार समय।

Shab E Barat Roza Iftar Time
शबे बरात का रोजा कैसे रखे (Shab E Barat Roza)
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शबे बरात एक इस्लामिक उत्सव है जो मुसलमान लोग मनाते हैं। इस दिन मुसलमान लोग रात में नमाज पढ़ते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। ताकि उनका पूरा साल अच्छा रहे। शबे बरात के दिन कई मुस्लिम रोजा रखते हैं लेकिन रमजान महीने की तरह इस दिन रोजा रखना अनिवार्य नहीं माना गया है। अगर आप इस दिन रोजा रख रहे हैं तो जान लें सहरी और इफ्तार समय।
शब ए बारात इफ्तार समय (Shab E Barat Iftar Time 2024)
शब ए बारात के दिन इफ्तार का समय शाम 6 बजकर 20 मिनट का है। बता दें शाम को रोजा खोलने की परंपरा को ही इफ्तार नाम से जाना जाता है। इस दौरान मुस्लिम लोग एक साथ अपना उपवासतोड़ने के लिए इकट्ठा होते हैं।
शब ए बरात रोज़ा खोलने की दुआ (Shab E Barat Roza Kholne Ki Dua)
शब ए बारात रोजा खोलने की दुआ है- “अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुमतु व अला रिजा’इ व फित्रि उम्र बियादिक अल्लाहुम्म अन्तस्सलाम व मिन्कस्सलाम तबारक्तयायाथदाल्जलाली व इक्राम”। इस दुआ को पढ़ते हुए अपना रोजा खोलें।
शब ए बरात रोजा खोलने की नियत (Shab E Barat Roza Kholne Ki Niyat)
शब ए बारात रोजा खोलने से पहले ये नियत पढ़ें। “अल्लाह के नाम से मैं इस रोजे का इफ्तार करता हूं और अल्लाह के लिए उसके रोजे का आदा करने का इंतजाम करता हूं या करती हूं” यह नियत अपने मन में दोहराते हुए रोजा खोल सकते हैं।
शब ए बारात सहरी समय (Shab E Barat Sehri Time 2024)
शब ए बारात के दिन सहरी का समय सुबह 5.30 बजे का है। आप शब ए बारात के रोजे के लिए सुबह की नमाज के बाद सहरी कर सकते हैं। सहरी के समय अच्छी तरह से भोजन करें ताकि आपको पूरे दिन रोजा रखने के लिए शक्ति प्रदान हो सके।
Shab e Barat ki Nafal Namaz ka Tarika (शब ए बारात नामाज का तरीका)
शब ए बरात की रोजा रखने की नियत (Shab E Barat Roza Ki Niyat)
शब ए बरात की रोजा रखने की नियत बहुत सरल होती है। इस दिन आप मन में ये नियत कर सकते हैं। “मैं यह रोजा शब ए बरात के मौके पर अल्लाह के लिए रख रहा हूं या रख रही हूं। मैं अपने तमाम गुनाहों की अल्लाह से माफी मांगता हूं और अल्लाह से दुआ करता हूं या करती हूं कि वह मुझे अगले साल के लिए अधिक तक़दीर और बेहतर जीवन प्रदान करें।” इस नियत को मन में जितनी बार हो सके दोहराते हुए शबे बरात की रोजा रख सकते हैं। आप यह नियत सुबह सहरी से पहले भी कर सकते हैं।शब ए बारात की रात में क्या पढ़े? (Shab E barat Ki Namaz)
शब ए बारात को गुनाहों की माफी की रात कहा जाता है। कहते हैं इस रात में की गई इबादत एक हजार रात की इबादत के बराबर होती है। जानिए शब ए बारात के दिन क्या पढ़ना चाहिए और इस दिन क्या करते हैं।
- जियारत
- पवित्र ग्रंथ कुरान पाक की तिलावत
- नफल व तहजुद की नमाज
- कब्रिस्तान में जाकर फातिहा पढ़ना
- मगफिरत की दुआ करना
- सलातुल तस्बीह की नमाज करना
- कजा़ ए उमरी की नमाज करना
शब ए बरात रोजा रखने की दुआ (Shab E Barat Roza Rakhne Ki Dua)
शब ए बारात रोजा रखने की दुआ ये है- “बिस्मिल्लाहि र-रहमानी र-रहीम, अल्लाहुम्मा बारीक लना फी रजब व शबान व बल्लिग्ना रमदान।” बता दें ये दुआ आपको रोजे रखने से पहले पढ़नी है।
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