Sant Kabir Jayanti 2025: संत कबीर दास के वो 10 अमर दोहे, जो आज भी दिलों को झकझोर देते हैं
Sant Kabir Jayanti 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, संत कबीर जयंती हर साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, जिसे उनके जन्मदिवस के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। 2025 में संत कबीर दास जयंती 11 जून को मनाई जाएगी। इस शुभ अवसर पर जानेंगे संत कबीर दास जी के लोकप्रिय दोहों के बारे में।

Kabir Das Ke Dohe In Hindi
Sant Kabir Jayanti 2025: संत कबीर दास न केवल एक प्रसिद्ध कवि थे, बल्कि एक प्रभावशाली संत और विचारशील समाज सुधारक भी थे। उन्होंने अपने समय की सामाजिक कुरीतियों और आडंबरों का खुलकर विरोध किया और भक्ति के माध्यम से ईश्वर प्राप्ति का सरल मार्ग बताया। संत कबीर दास जी की दोहों के माध्यम से कम शब्दों में गहरी बात कहने की अनोखी शैली आज भी लोगों को गहराई से प्रभावित करती है। बता दें इनकी जयंती के शुभ दिन पर भक्त मठों और सत्संगों में एकत्र होते हैं, पाठ, कीर्तन और दोहों का गायन किया जाता है। चलिए आपको बताते हैं कबीर दास जी के सबसे लोकप्रिय दोहों के बारे में।
संत कबीर दास के प्रसिद्ध दोहे (Sant Kabir Das Ke Dohe In Hindi)
1. "ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय ।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होय ॥"
अर्थ: ऐसी भाषा बोलें कि आपकी वाणी सुनने वाले को शीतलता दे और स्वयं भी सुकून का अनुभव हो
2. "जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ ।
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ ॥"
अर्थ: जो लोग गहराई तक प्रयास करते हैं, उन्हें सफलता मिलती है; वहीं जो डर के कारण किनारे ही रहें, वे कुछ नहीं पाते
3. "बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥"
अर्थ: जब मैं संसार में बुराई खोजने चला तो कोई बुरा नहीं मिला। जब मैंने अपने दिल में झाँका, तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं।
4. "पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥"
अर्थ: किताबें पढ़ते-पढ़ते लोग जीवनभर मर गए, पर असली ज्ञानी कोई नहीं हुआ। जो प्रेम के सिर्फ ढाई अक्षर पढ़ ले, वही सच्चा ज्ञानी है।
5. "काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब॥"
अर्थ: जो काम कल करने की सोच रहे हो, उसे आज ही कर लो; और जो आज करना है, उसे अभी करो। समय का भरोसा नहीं, अगले ही पल प्रलय हो सकती है।
6. "दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय॥"
📖 अर्थ: लोग दुख में भगवान को याद करते हैं, सुख में नहीं। यदि वे सुख में भी सुमिरन करें तो दुख आए ही क्यों?
7. "साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहे, थोथा देई उड़ाय॥"
अर्थ: सच्चा साधु वही है जो सूप की तरह सार को ग्रहण करे और निरर्थक चीज़ों को उड़ा दे।
8. "माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर॥"
अर्थ: वर्षों से माला फेरने पर भी मन नहीं बदला। बाहरी मनकों को छोड़ो और अपने अंदर के मन को बदलो।
9. "जहां दया तहां धर्म है, जहां लोभ तहां पाप।
जहां क्रोध तहां काल है, जहां क्षमा तहां आप॥"
अर्थ: जहां दया है, वहीं धर्म है; जहां लालच है, वहीं पाप है; जहां क्रोध है, वहां मृत्यु है; और जहां क्षमा है, वहीं परमात्मा है।
10. "निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय।
बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय॥"
अर्थ: आलोचक को अपने पास ही रखना चाहिए, क्योंकि वह बिना साबुन और पानी के ही हमारे स्वभाव को साफ कर देता है।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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