Ganesh Aarti: गणेश भगवान की आरती, स‍िंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको, दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको...पढ़ें पूरे लिरिक्स

Ganesh Chaturthi Aarti, Sindoor Lal Chadhayo Lyrics in Hindi: हिंदू धर्म में गणेश जी की आरती (ganesh aarti) पुण्‍यफल देने वाली मानी जाती है। गणेश चतुर्थी पूजा (Ganesh Chaturthi 2023) गणपति जी की आरती (Ganpati Aarti) के बिना अधूरी मानी जाती है। यहां देखें गणपति की आरती स‍िंदूर लाल चढ़ायो (sindoor lal chadhayo lyrics in hindi) के ह‍िंदी ल‍िर‍िक्‍स।

Updated Sep 21, 2023 | 08:00 PM IST

Sindoor Lal Chadhayo Aarti

Sindoor Lal Chadhayo Aarti In Hindi

Sindoor Lal Chadhayo Aarti Lyrics in Hindi: हिंदू धर्म में गणेश जी को सर्वप्रथम पूजनीय देवता देवता माना गया है। यानि किसी भी पूजा की शुरुआत में सबसे पहले गणपति बप्पा का आवाह्न क‍रना जरूरी होता है। साथ ही पूजा-पाठ के समय सबसे पहले गणेश जी की ही आरती (Ganesh Ji Ki Aarti In Hindi) की जाती है। यहां आप जानेंगे गणेश जी की आरती स‍िंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुख को वाली गणेश के ह‍िंदी ल‍िर‍िक्‍स (Ganesh Aarti)।

Ganesh Chaturthi Aarti, Sindoor Lal Chadhayo Aarti Lyrics in Hindi, सिंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गणेश आरती

स‍िंदूर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥1॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥धृ॥
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥2॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥
भावभगत से कोई शरणागत आवे।
संतत संपत सबही भरपूर पावे।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥3॥
जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥

गणेश चतुर्थी पर्व का इतिहास

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को मां पार्वती और भगवान शिव का पुत्र माना गया है। उन्हें विघ्नहर्ता, हिरम्बा, एकदंत, बप्पा, लंबोदर, गणपति, विनायक आदि नामों से जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के इतिहास की बात करें तो बताया जाता है कि मराठा साम्राज्य के सम्राट छत्रपति शिवाजी ने अपनी बाल्यावस्था में अपनी माता के साथ मिलकर चतुर्थी मनाने की शुरुआत की थी। इसके बाद से ही ये पर्व पूरे देश में व्यापक रूप से मनाया जाने लगा।
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