Aja Ekadashi 2023 Parana Time: अजा एकादशी व्रत का पारण समय यहां जानें
Aja Ekadashi 2023 Parana Time And Vrat Katha In Hindi: कहते हैं अजा एकादशी की कथा सुनने से अश्वमेध यज्ञ, कठिन तपस्या और तीर्थों में दान-स्नान आदि करने से मिलने वाले फल से भी कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है और साथ ही व्यक्ति इस लोक में सुख भोग कर अंत में विष्णु लोक में पहुंच जाता है। यहां आप जानेंगे एकादशी व्रत का पारण समय और कथा।
Aja Ekadashi Vrat Katha In Hindi
Ekadashi Parana Time 2023: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। आज अजा एकादशी है। हिंदू पंचांग अनुसार ये एकादशी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ती है। मान्यता है इस दिन जो व्यक्ति व्रत करता है उसे उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। अजा एकादशी पर विधि विधान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए और अजा एकादशी की कथा भी जरूर सुननी चाहिए। यहां देखें अजा एकादशी की व्रत कथा और पारण समय।
Ekadashi Parana Time Today 2023 (एकादशी व्रत पारण समय 2023)
अजा एकादशी व्रत का पारण समय 11 सितंबर की सुबह 06:04 से 08:33 मिनट तक रहेगा। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय रात 11:52 बजे का है।
अजा एकादशी की व्रत कथा (Aja Ekadashi Ki Vrat Katha)
पौराणिक काल में एक राज्य में हरिश्चंद्र नाम का एक चक्रवर्ती राजा रहता था। वह राजा अपनी सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध था। एक बार देवताओं ने उसकी परीक्षा लेने की योजना बनाई। राजा ने सपने में देखा कि ऋषि विश्ववामित्र को उन्होंने अपना राजपाट दान कर दिया है। सुबह जब राजा की आंख खुली तो सच में विश्वामित्र उसके द्वार पर पहुंचे और कहने लगे तुमने स्वप्न में मुझे अपना राज्य दान कर दिया।
राजा ने सत्यनिष्ठ व्रत का पालन करते हुए अपना संपूर्ण राज्य विश्वामित्र को सौंप दिया। दान के लिए दक्षिणा चुकाने हेतु राजा हरिश्चन्द्र को पूर्व जन्म के कर्म फल के कारण अपनी पत्नी, बेटा और खुद को बेचना पड़ा। हरिश्चन्द्र को एक डोम ने खरीद लिया जो श्मशान भूमि में लोगों के दाह संस्कार का काम करवाता था।
स्वयं वह एक चाण्डाल का दास बन गया। उसने उस चाण्डाल के यहां कफन लेने का काम किया। जब इसी प्रकार उसके कई साल बीत गये तो उसे अपने इस नीच कर्म पर बड़ा दुख हुआ और उसने इससे मुक्त होने का उपाय खोजना शुरू कर दिया। वह सदैव इसी चिन्ता में रहने लगा कि मैं क्या करूं? किस प्रकार इस नीच कर्म से मुक्ति पाऊं? एक बार वह इसी चिन्ता में बैठा था कि गौतम ऋषि उसके पास पहुंचे। हरिश्चन्द्र ने उन्हें प्रणाम किया और अपना दुख बताया।
राजा हरिश्चन्द्र की दुख-भरी कहानी सुनकर महर्षि गौतम भी अत्यन्त दुःखी हुए और उन्होंने राजा से कहा: हे राजन! तुम भादों माह के कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी का विधानपूर्वक व्रत करो और रात्रि को जागरण करो। इससे तुम्हारे सभी पाप अवश्य ही नष्ट हो जाएंगे।
महर्षि गौतम के कहे अनुसार राजा हरिश्चन्द्र ने अजा एकादशी का विधानपूर्वक उपवास कर रात्रि जागरण किया। इस व्रत के प्रभाव से राजा के सभी पाप नष्ट हो गये। उस समय स्वर्ग में नगाड़े बजने लगे और पुष्पों की वर्षा होने लगी। उसने अपने सामने ब्रह्मा, विष्णु, महेश और देवेन्द्र आदि देवताओं को खड़ा पाया। उन्होने अपने मृतक पुत्र को भी जीवित और अपनी पत्नी को राजसी वस्त्र तथा आभूषणों से परिपूर्ण देखा।
व्रत के प्रभाव से राजा को उसका राज्य फिर से मिल गया। वास्तव में एक ऋषि ने राजा की परीक्षा लेने के लिए यह सब किया था। परन्तु अजा एकादशी का व्रत करने से ऋषि द्वारा रची गई सारी माया समाप्त हो गई और अन्त समय में हरिश्चन्द्र अपने परिवार सहित स्वर्ग लोक को गया।
अत: जो मनुष्य इस उपवास को विधानपूर्वक करते हैं उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अन्त में स्वर्ग को प्राप्त करते हैं। इस एकादशी व्रत की कथा के श्रवण मात्र से ही अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति हो जाती है।
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