UP की इस जगह पर श्री राम ने जमकर खाए थे सत्तू और मूली, इस त्योहार के जरिए आज भी कायम है परंपरा
आज यानी 14 अप्रैल 2025 को बिहार में सतुआन पर्व (Satuan Festival) मनाया जा रहा है। इस दिन लोग सत्तू और मूली का सेवन करते हैं। लोक मान्यता अनुसार इस पर्व की कथा भगवान श्रीराम से जुड़ी है। कहते हैं अयोध्या परिक्रमा के दौरान प्रभु राम ने सत्तू और मूली का सेवन किया था।

भगवान राम के सत्तू और मूली खाने की कथा
बिहार में सतुआन पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है जो इस साल 14 अप्रैल को मनाया जा रहा है। इस पर्व वाले दिन लोग सत्तू से बनी चीजों का खूब सेवन करते हैं। इसके अलावा इस दिन मूली खाने का भी विशेष महत्व माना जाता है। मान्यताओं अनुसार अयोध्या परिक्रमा के दौरान भगवान राम ने लोगों से सत्तू और मूली का सेवन करने के लिए कहा था और खुद भी इसका सेवन किया था। कहते हैं तभी से अयोध्या परिक्रमा के दौरान सत्तू और मूली का सेवन करना पुण्य कारी माना जाता है। चलिए जानते हैं भगवान राम ने सत्तू और मूली का सेवन कब किया था।

संतों और ऋषियों ने दी ये सलाह
संतों और ऋषियों के कहने पर प्रभु राम एक लंबी परिक्रमा पर निकले। यह परिक्रमा अयोध्या के 84 कोसी क्षेत्र को घेरती है और इसे अयोध्या की 84 कोस परिक्रमा के नाम से जाना जाता है। यह परिक्रमा अब 14 कोस की होती है।

प्रभु राम ने की अयोध्या की परिक्रमा
कथा के अनुसार अयोध्या परिक्रमा का मार्ग लम्बा और कठिन था। जहां भोजन और सुविधा का अभाव था। तभी परिक्रमा के समय लोगों से भगवान श्रीराम ने कहा कि यदि परिक्रमा के समय सरल और सात्विक भोजन किया जाए, तो शरीर स्वस्थ रहेगा और मन भी स्थिर रहेगा।

श्री राम ने सत्तू और मूली खाने की दी सलाह
तब भगवान राम ने परिक्रमा में साथ चल रहे लोगों से सत्तू और मूली का सेवन करने के लिए कहा। कहते हैं तब से ही अयोध्या परिक्रमा के दौरान सत्तू और मूली का सेवन करना पुण्य कारी माना जाता है।

प्रभु राम ने भी खाया सत्तू और मूली
कई लोककथाओं में ऐसा वर्णित है कि, भगवान श्रीराम ने स्वयं भी एक स्थान पर सत्तू और मूली का भोजन किया और वहां तपस्या भी की। उस स्थल को "सत्तू-स्थान" नाम दिया गया।

धार्मिक तप, त्याग और संतुलित जीवनशैली का संदेश
ऐसा कहा जाता है कि श्रीराम की अयोध्या परिक्रमा में सत्तू और मूली का सेवन सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य का ही साधन नहीं था, बल्कि यह धार्मिक तप, त्याग और संतुलित जीवनशैली का संदेश भी था।

सतुआन पर्व पर जरूर सुनी जाती है ये कथा
कहते हैं भगवान राम की इस कथा का स्मरण आज भी सतुआन पर्व के दौरान किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी पौराणिक परंपरा से जुड़कर सतुआन पर्व विकसित हुआ, जिसमें आज भी लोग गर्मियों की शुरुआत में सत्तू, मूली, गुड़ और कच्चे आम का सेवन करते हैं।

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