Munir Niazi Shayari: सवाल सारे गलत थे जवाब क्या देते.., गुलमोहर के फूल से हैं मुनीर नियाज़ी के ये चुनिंदा शेर
Munir Niazi Shayari in Hindi: मुनीर नियाजी की शायरी को पढ़कर आप समझेंगे कि उनके कलामों में किसी तरह के शोर, विद्रोह या हंगामे के लिए कोई जगह ना थी। उन्होंने अपने पढ़ने सुनने वालों को हमेशा शांति और निर्मलता से नवाज़ा।

Munir Niazi Shayari in Hindi (मुनीर नियाज़ी शायरी)
Munir Niazi Shayari in Hindi, Urdu: मुनीर नियाज़ी का जन्म पंजाब के होशियारपुर में हुआ था। बंटवारे के बाद उनका परिवार पाकिस्तान के साहीवाल में बस गया। उनका असली नाम मुनीर अहमद था। बंटवारे के बाद भी मुनीर नियाज़ी दिल से हिंदुस्तानी ही रहे। मुनीर ने अपने शायरियों में प्रीतम, मीत, खोज, दीप जैसे तमाम हिंदुस्तानी शब्दों का खूब इस्तेमाल किया। शायरी में जब लोग क्लासिकी से अधिक प्रभावित थे, मुनीर नियाज़ी ने अलग डिक्शन गढ़ा। उनका गीत-गज़ल कहने का अंदाज एकदम निराला था. मुशायरों में उन्हें सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे। आइए पढ़ते हैं मुनीर नियाजी के कलम से निकले उनके चंद बेहतरीन कलाम:
Munir Niazi Shayari in Hindi 2 line (मुनीर नियाज़ी की शायरी)
1. ऐसा सफ़र है जिस की कोई इंतिहा नहीं
ऐसा मकाँ है जिस में कोई हम-नफ़स नहीं
2. देखे हुए से लगते हैं रस्ते मकाँ मकीं
जिस शहर में भटक के जिधर जाए आदमी
3. अच्छी मिसाल बनतीं ज़ाहिर अगर वो होतीं
इन नेकियों को हम तो दरिया में डाल आए
Munir Niazi Urdu Shayari
4. अपने घरों से दूर बनों में फिरते हुए आवारा लोगो
कभी कभी जब वक़्त मिले तो अपने घर भी जाते रहना
5. ग़म की बारिश ने भी तेरे नक़्श को धोया नहीं
तू ने मुझ को खो दिया मैं ने तुझे खोया नहीं
6. कितने यार हैं फिर भी 'मुनीर' इस आबादी में अकेला है
अपने ही ग़म के नशे से अपना जी बहलाता है
7. किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते
सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते
8. कुछ वक़्त चाहते थे कि सोचें तेरे लिए
तू ने वो वक़्त हम को ज़माने नहीं दिया
Munir Niazi Famous Shayari
9. कटी है जिस के ख़यालों में उम्र अपनी 'मुनीर'
मज़ा तो जब है कि उस शोख़ को पता ही न हो
10. अपनी ही तेग़-ए-अदा से आप घायल हो गया
चाँद ने पानी में देखा और पागल हो गया
11. आदत ही बना ली है तुम ने तो 'मुनीर' अपनी
जिस शहर में भी रहना उकताए हुए रहना
12. नक्शा उठा के कोई नया शहर ढूंढिए
इस शहर में तो सबसे मुलाकात हो गई
मुनीर नियाजी के इन नज्मों को पढ़कर आपको समझ तो आ ही गया होगा कि उनके कलामों में किसी तरह के शोर, विद्रोह या हंगामे के लिए कोई जगह ना थी। उन्होंने अपने पढ़ने सुनने वालों को हमेशा शांति और निर्मलता से नवाज़ा। अगर आपको उनकी ये शायरी पसंद आई हो तो आप इन्हें अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर भी कर सकते हैं।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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