Munir Niazi Shayari: शायद कोई देखने वाला हो जाए हैरान.., पढ़ें यादों के अर्क में लिपटे मुनीर नियाज़ी के चुनिंदा शेर

Munir Niazi Shayari in Hindi (मुनीर नियाज़ी शायरी): खुद को हमेशा पंजाबी कहने वाले पाकिस्तानी शायर मुनीर नियाज़ी ने अपनी उर्दू और पंजाबी की शायरी के द्वारा कम से कम तीन पीढ़ियों पर गहरा प्रभाव डाला है और अपने वुजूद के ऐसे गहरे नक़्श बिठाए कि वो अपने दौर के लीजेंड बन गए।

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Munir Niazi Shayari in Hindi, Urdu: मुनीर नियाज़ी का नाम उर्दू के अलहदा शायरों में शुमार हैं। वह 19 अप्रैल 1928 को होशियारपुर, पंजाब में पैदा हुए। वो बंटवारे के बाद पाकिस्तान में जाकर बस गये, लेकिन ताउम्र ख़ुद को पंजाबी ही कहते थे। मुनीर ने महज साल भर की उम्र में अपने वालिद को खो दिया। पिता का साया उठा तो उन्होंने अपना बचपन वह मंटो के अफसाने और मीरा की नज्मों में डुबो दिया। यहीं से उन्हें लिखने का शौक पैदा हुआ। बहुत छोटी उम्र से शायरी लिखने वाले मुनीर नियाजी ने कई फिल्मों के गाने भी लिखे। उनके मुताबिक उन्हें 40 बार इश्क हुआ। मुनीर की शायरी में इश्क की वो खलिस साफ नजर भी आती है। यहां पढ़ें मुनीर नियाज़ी के चुनिंद शेर:

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1. वो जो मेरे पास से हो कर किसी के घर गया

रेशमी मल्बूस की ख़ुश्बू से जादू कर गया

2. सुन बस्तियों का हाल जो हद से गुज़र गईं

उन उम्मतों का ज़िक्र जो रस्तों में मर गईं

3. ज़िंदा लोगों की बूद-ओ-बाश में हैं

मुर्दा लोगों की आदतें बाक़ी

4. लाई है अब उड़ा के गए मौसमों की बास

बरखा की रुत का क़हर है और हम हैं दोस्तो

5. शायद कोई देखने वाला हो जाए हैरान

कमरे की दीवारों पर कोई नक़्श बना कर देख

6. अब किसी में अगले वक़्तों की वफ़ा बाक़ी नहीं

सब क़बीले एक हैं अब सारी ज़ातें एक सी

7. मैं बहुत कमज़ोर था इस मुल्क में हिजरत के बाद

पर मुझे इस मुल्क में कमज़ोर-तर उस ने किया

8. ख़ुश्बू की दीवार के पीछे कैसे कैसे रंग जमे हैं

जब तक दिन का सूरज आए उस का खोज लगाते रहना

9. मिरे पास ऐसा तिलिस्म है जो कई ज़मानों का इस्म है

उसे जब भी सोचा बुला लिया उसे जो भी चाहा बना दिया

10. उठा तू जा भी चुका था अजीब मेहमाँ था

सदाएँ दे के मुझे नींद से जगा भी गया

11. ऐसा सफ़र है जिस की कोई इंतिहा नहीं

ऐसा मकाँ है जिस में कोई हम-नफ़स नहीं

12. देखे हुए से लगते हैं रस्ते मकाँ मकीं

जिस शहर में भटक के जिधर जाए आदमी

13. अच्छी मिसाल बनतीं ज़ाहिर अगर वो होतीं

इन नेकियों को हम तो दरिया में डाल आए

14. अपने घरों से दूर बनों में फिरते हुए आवारा लोगो

कभी कभी जब वक़्त मिले तो अपने घर भी जाते रहना

15. ग़म की बारिश ने भी तेरे नक़्श को धोया नहीं

तू ने मुझ को खो दिया मैं ने तुझे खोया नहीं

16. कितने यार हैं फिर भी 'मुनीर' इस आबादी में अकेला है

अपने ही ग़म के नशे से अपना जी बहलाता है

17. किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते

सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते

18. कुछ वक़्त चाहते थे कि सोचें तेरे लिए

तू ने वो वक़्त हम को ज़माने नहीं दिया

19. कटी है जिस के ख़यालों में उम्र अपनी 'मुनीर'

मज़ा तो जब है कि उस शोख़ को पता ही न हो

20. अपनी ही तेग़-ए-अदा से आप घायल हो गया

चाँद ने पानी में देखा और पागल हो गया

21. आदत ही बना ली है तुम ने तो 'मुनीर' अपनी

जिस शहर में भी रहना उकताए हुए रहना

बता दें कि मुनीर नियाज़ी की शायरी में ऐसा जादू था कि सुनने वाले बस उसी में खो कर रह जाता था। मुनीर नियाज़ी की गजलों को मेहंदी हसन और नूर जहां जैसे मशहूर पाकिस्तानी फनकारों ने भी अपनी आवाज से सजाया।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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