Jaun Elia Shayari: बिन तुम्हारे कभी नहीं आई, क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है.., जुदाई के जख्म पर मलहम से हैं जौन एलिया के ये चुनिंदा शेर
Jaun Elia Shayari in Hindi जौन एलिया का जन्म 14 दिसंबर, 1931 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में हुआ था। आजादी के बाद बंटवारे के दौरान जौन पाकिस्तान चले गए। वह भले पाकिस्तान चले गए लेकिन आजीवन वह खुद को हिंदुस्तानी ही कहा करते हैं।

Jaun Elia Shayari in Hindi, Urdu
Jaun Elia Shayari in Hindi, Jaun Elia Breakup Shayari: जौन एलिया की शख्सियत को बयां करने के लिए ये शेर ही काफी है- ये है एक ज़बर इत्तेफ़ाक़ नहीं, जौन होना कोई मज़ाक़ नहीं..। दुनिया के सबसे अलहदा शायरों में मजबूती से अपनी मौजूदगी दर्ज कराने वाले जौन एलिया की शायरी में ऐसी हनक है कि पढ़ने वाले बस उसी में डूब कर रह जाते हैं। युवाओं ने हमेशा जौन को सर आंखों पर बिठाया। जौन का हुलिया, ख़ुशी और उत्साह के साथ शेर सुनाने का उनका अंदाज़ किसी को भी बांध लेता था। जौन एलिया की शायरी में इश्क और महबूब के साथ जो तल्खी दिखती है वो बेहद जुदा है। उनके लिखे शेरों को पढ़कर यह लगता है कि उन्होंने खुद को इश्क़ में इस कदर आबाद कर लिया था कि आज तक की पीढ़ियों में भी जौन की मक़बूलियत बरकरार है। पेश हैं उनके चंद मशहूर शेर
Jaun Elia Sad Shayari | Jaun Elia Love Shayari
1. ज़ख़्म-हा-ज़ख़्म हूं और कोई नहीं ख़ून का निशां
कौन है वो जो मेरे ख़ून में तर है मुझ में
2. इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊं
वरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने
3. मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूं कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
4. क्या सितम है कि अब तेरी सूरत
ग़ौर करने पर याद आती है
5. मिल रही हो बड़े तपाक के साथ
मुझ को यकसर भुला चुकी हो क्या
6. बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या
7. मुझ से बिछड़ कर भी वो लड़की कितनी ख़ुश ख़ुश रहती है
उस लड़की ने मुझ से बिछड़ कर मर जाने की ठानी थी
8. तू भी चुप है मैं भी चुप हूँ ये कैसी तन्हाई है
तेरे साथ तेरी याद आई क्या तू सचमुच आई है
9. बिन तुम्हारे कभी नहीं आई
क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है
10. सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है
11. कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
12. मुझ को ये होश ही न था तू मेरे बाज़ुओं में है
यानी तुझे अभी तलक मैंने रिहा नहीं किया
13. अब जो रिश्तों में बँधा हूँ तो खुला है मुझ पर
कब परिंद उड़ नहीं पाते हैं परों के होते
14. ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
15. ऐ ख़ुदा जो कहीं नहीं मौजूद
क्या लिखा है हमारी क़िस्मत में
उम्मीद करते हैं जौन एलिया के ये चुनिंदा शेर आपके दिल को सुकून देंगे और जुदाई के दर्द को भुलाने में मरहम का काम करेंगे। अगर आपको जौन की ये शायरी पसंद आई हो तो आप इन्हें अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर भी कर सकते हैं।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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