'RSS और मुसलमान समंदर के दो किनारे हैं जो कभी नहीं मिल सकते', ओवैसी ने DNA थ्योरी को किया खारिज
ओवैसी से भागवत की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी कि हिंदुओं और मुसलमानों का डीएनए एक है और हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग नहीं ढूंढना चाहिए। ओवैसी ने क्या-क्या कहा जानिए।

एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी (फोटो साभार: @asadowaisi)
Owaisi on RSS: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने मुसलमानों के प्रति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के बयानों को खारिज कर दिया। ओवैसी ने कहा कि आरएसएस और मुसलमान समंदर के दो किनारे हैं जो कभी नहीं मिल सकते। ओवैसी ने यह भी कहा कि आरएसएस भारत की विविधता को नष्ट करना चाहता है। ओवैसी ने पीटीआई वीडियो को दिए साक्षात्कार में कहा, आप भले ही नजदीकी बताने वाली बातें कर रहे हों, लेकिन ये आपके ही लोग हैं जो यह (मुस्लिम विरोधी) तमाशा कर रहे हैं। अगर आपको लगता है कि वे गलत हैं, तो आप उन्हें क्यों नहीं रोक रहे।
भागवत के डीएनए बयान पर दी प्रतिक्रिया
ओवैसी से भागवत की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी कि हिंदुओं और मुसलमानों का डीएनए एक है और हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग नहीं ढूंढना चाहिए। भागवत ने यह बयान देश की स्वतंत्रता से पहले की, मुगल-काल की या उससे भी पहले की मस्जिदों को लेकर उपजे विवादों को लेकर दिया था। कुछ हिंदुओं का मानना है कि ये मस्जिदें, मंदिरों को नष्ट करके बनाई गई थीं। हैदराबाद से पांच बार के सांसद और संसद में अपनी पार्टी के एकमात्र प्रतिनिधि ओवैसी ने कहा, क्या ये सभी लोग जो अदालतों में जा रहे हैं और वाद दायर कर रहे हैं (मस्जिदों की उत्पत्ति की जांच की मांग कर रहे हैं) मोहन भागवत के समर्थक नहीं हैं?
खीर का स्वाद खाने पर ही पता चलता है...
ओवैसी से जब पूछा गया कि शायद भागवत इन्हीं लोगों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा, खीर का स्वाद खाने पर ही पता चलता है। उन्हें रोकिए। इसका मतलब है कि वे आपकी बात नहीं सुन रहे हैं। क्या आप उन्हें रोकने में असमर्थ हैं? नहीं, ऐसा भी नहीं है। यह आपके नियंत्रण में है। यह आपके आदेश पर हो रहा है। यह आपकी सहमति से हो रहा है।
उन्होंने कहा कि भागवत की टिप्पणी के तुरंत बाद आरएसएस के एक अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी ने बयान जारी कर कहा कि भागवत ने जो कहा, उसका मतलब वह नहीं था। ओवैसी ने कहा, यह आरएसएस का भ्रम का सिद्धांत है। भागवत के बयान पाखंडपूर्ण हैं। यह सिर्फ बेतुकी बातें हैं, फिजूल की बातें हैं, जिनका उद्देश्य अमेरिका या खाड़ी क्षेत्र के मुस्लिम देशों को संदेश देना है। उनसे जब पूछा गया कि क्या वह भागवत से मिलकर उनके रुख पर स्पष्टीकरण मांगना चाहेंगे तो उन्होंने कहा, मैं उनसे मिलने के लिए उत्सुक नहीं हूं। मेरे पेट में दर्द नहीं है।
हम समंदर के दो किनारे हैं जो कभी नहीं मिल सकते
ओवैसी ने कहा, मैं आरएसएस को अच्छी तरह से जानता हूं। हम जानते हैं कि इसकी विचारधारा क्या है। आरएसएस इस देश की बहुलता और विविधता को नष्ट करना चाहता है, और एक धर्मशासित देश बनाना चाहता है। उनके नेता अकसर यह बात कहते रहे हैं। चाहे वह डॉ. हेडगेवार हों या गोलवलकर, देवरस, भागवत या रज्जू भैया। ओवैसी ने कहा, वे और हम समंदर के दो किनारे हैं जो कभी नहीं मिल सकते। आरएसएस अपनी विचारधारा पर अड़ा रहेगा। आरएसएस के जनसंपर्क अभियान के तहत भागवत ने मुस्लिम समुदाय के नेताओं और बुद्धिजीवियों से मुलाकात भी की है। (PTI)
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