विदेश मंत्री एस. जयशंकर (फोटो- @DrSJaishankar)
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि भारत और अमेरिका के बीच किसी भी व्यापारिक समझौते में नई दिल्ली की “लक्ष्मण रेखाओं” का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि दोनों पक्ष इस मुद्दे पर साझा आधार खोजने के प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस बारे में “साझा आधार” खोजने के प्रयास किये जा रहे हैं। जयशंकर ने एक कार्यक्रम के संवाद सत्र में स्वीकार किया कि भारत और अमेरिका के बीच कुछ मुद्दे हैं, और इनमें से कई प्रस्तावित व्यापार समझौते को अंतिम रूप न दिए जाने से जुड़े हुए हैं।
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जयशंकर ने कौटिल्य इकोनॉमिक एन्क्लेव में ‘‘उथल-पुथल के दौर में विदेश नीति का स्वरूप’’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में कहा कि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है, इसलिए व्यापारिक समझौता बनाना आवश्यक है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत पर लगाए गए कुछ शुल्क—विशेषकर रूस से ईंधन खरीद पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क—अनुचित और अवांछित हैं। विदेश मंत्री ने कहा, “हमने सार्वजनिक रूप से कहा है कि यह शुल्क बेहद अनुचित है। कई अन्य देश रूस से ईंधन खरीद रहे हैं, लेकिन सिर्फ भारत को निशाना बनाया गया है।” उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि भारत और अमेरिका के बीच कुछ मुद्दे हैं, जिनमें प्रस्तावित व्यापार समझौते को अंतिम रूप न देने से उत्पन्न तनाव शामिल है।
जयशंकर ने जोर देकर कहा कि किसी भी समझौते में कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन पर बातचीत की जा सकती है, लेकिन कुछ ऐसी भी होती हैं जिन पर बातचीत नहीं हो सकती। उनका कहना था, “भारत का दृष्टिकोण बिल्कुल स्पष्ट है। हमें साझा आधार तलाशना है, और इस पर मार्च से बातचीत चल रही है।” उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में भारत और अमेरिका ने कुछ हफ्तों के अंतराल के बाद प्रस्तावित व्यापार समझौते पर बातचीत फिर से शुरू की है। जयशंकर ने कहा, “समस्याएं हैं, मुद्दे हैं, और उनका समाधान तलाशने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बावजूद, हमारे संबंधों का बड़ा हिस्सा पहले की तरह ही सामान्य रूप से या कुछ मामलों में पहले से बेहतर तरीके से चल रहा है।”
भारत-अमेरिका संबंधों में हालिया तनाव अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर आयात शुल्क दोगुना कर 50 प्रतिशत करने और रूस से कच्चे तेल की खरीद पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के कारण उत्पन्न हुआ था। विदेश मंत्री ने यह साफ किया कि संबंधों में यह तनाव व्यापारिक बातचीत के हर पहलू को प्रभावित नहीं कर रहा है, और दोनों देश मिलकर समाधान खोजने का प्रयास कर रहे हैं।
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