गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के लिए अहम दिन, प्रभात गुप्ता मर्डर केस में हाई कोर्ट सुनाएगा फैसला

Ajay Mishra Teni News: लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता प्रभात गुप्ता हत्याकांड में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ द्वारा फैसला सुनाया जाना है। यह मामला करीब 23 साल पुराना है।

Updated May 19, 2023 | 07:06 AM IST

Ajay Mishra Teni, Prabhat Gupta Murder

अजय मिश्रा टेनी, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री

मुख्य बातें
  • 2000 में प्रभात गुप्ता को मारी गई थी गोली
  • अजय मिश्रा को किया गया था नामजद
  • निचली अदालत से मिली थी राहत
Ajay Mishra Teni News: आज के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी 23 साल पहले राजनीति में जगह बनाने की कोशिश कर रहे थे। साल 2000 में उनके गृह जनपद लखीमपुर खीरी के तिकोनिया में एक शख्स की हत्या हुई जिसका नाम प्रभात गुप्ता था(Prabhat Gupta Murder Case)। प्रभात गुप्ता, लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र नेता थे। उस हत्याकांड में अजय मिश्रा नामजद किए गए। पिछले 14 साल से इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में लंबित है और तीन बार फैसले को अदालत ने सुरक्षित रख लिया था। 2000 में लखीमपुर खीरी में जिला पंचायत चुनाव हो रहे थे। बताया जाता है कि दोनों पक्षों में विवाद हुआ जिसके बाद प्रभात गुप्ता की हत्या हो गई थी।कुछ अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। प्रभात गुप्ता तिकोनिया के ही रहने वाले थे। बता दें कि अजय मिश्रा का गांव तिकोनिया के पास बनवारीपुर है। इन दोनों लोगों के बीच राजनीतिक लड़ाई पहले से ही थी।

एक नजर में मामला

  • 23 साल पहले लखीमपुर के तिकोनिया इलाके में प्रभात गुप्ता की हत्या हुई थी
  • प्रभात गुप्ता, लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र नेता थे।
  • इस केस में चार लोग नामजद थे
  • अजय मिश्रा, सुभाष मामा, राकेश, शशिभूषण के खिलाफ मुकदमा कायम हुआ
  • 2009 से हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हो रही है।
  • इस मामले में अदालत ने तीन बार फैसला सुरक्षित रख लिया था।

कौन थे प्रभात गुप्ता

प्रभात गुप्ता वैसे तो लखनऊ विश्वविद्यालय के जरिए अपनी राजनीति आगे बढ़ा रहे थे उसके साथ ही उनका संबंध समाजवादी पार्टी से भी था। इस मामले में जब निचली अदालत से मुल्जिम बरी हुए तो उसके खिलाफ प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट में हुई थी। 2004 में निचली अदालत ने सभी चारों आरोपियों को बरी कर दिया था। उसके बाद मामला हाईकोर्ट और सुनवाई शुरू हुई। 12 मार्च 2018 को इस केस में पहली बार फैसला सुरक्षित रख लिया गया था और तब से दो बार और फैसला सुरक्षित हुआ।
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