देश

सेना के पूर्व डॉक्टरों की याचिका पर दिल्ली हाइकोर्ट करेगा सुनवाई, PG सीटों के बंटवारे में लगाया भेदभाव का आरोप

सेना के पूर्व डॉक्टरों की याचिका पर दिल्ली हाइकोर्ट 10 अक्टूबर को करेगा सुनवाई, पीजी सीटों के बंटवारे में भेदभाव का आरोप है।

COURT

प्रतीकात्मक फोटो

दिल्ली हाईकोर्ट 10 अक्टूबर को एक अहम याचिका पर सुनवाई करने जा रही है जिसमें पूर्व सैन्य चिकित्सकों (Ex-Servicemen Doctors) ने सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (AFMS) में पोस्ट ग्रेजुएट (PG) सीटों के बंटवारे में भेदभाव का आरोप लगाया है।दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका मेजर आशीष कुमार पांडेय (सेवानिवृत्त) बनाम भारत सरकार के नाम लिस्टेड है और इसकी सुनवाई जस्टिस विकास महाजन की सिंगल बेंच के सामने होगी।

यह याचिका पूर्व शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) मेडिकल अफसरों की ओर से दाखिल की गई है। इनकी ओर से अधिवक्ता सत्यम सिंह राजपूत अदालत के सामने दलीलें रखेंगे।

आखिरी डॉक्टरों ने क्यों किया अदालत का रुख?

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा में शैक्षणिक सत्र 2025-28 के लिए जारी सीट मैट्रिक्स में भारी असमानता की गई है। उनके अनुसार कुल 417 सीटों में से 210 सीटें तो प्राथमिकता-I यानी सेवारत सैन्य अधिकारियों) के लिए आरक्षित हैं, जबकि बाकी 207 सीटें प्राथमिकता-II, III, IV और V समूहों के लिए खुली छोड़ी गई हैं।

प्राथमिकता-IV में आने वाले पूर्व सैन्य चिकित्सकों का कहना है कि उन्हें उनके अनुभव और सेवा के बावजूद उचित अवसर नहीं मिल रहा है। उनका आरोप है कि वर्तमान व्यवस्था में प्राथमिकता-III और प्राथमिकता-V यानी सामान्य नागरिक उम्मीदवार अधिकतर क्लिनिकल सीटें ले जाते हैं, जिससे पूर्व सैनिक चिकित्सक वंचित रह जाते हैं।

याचिका में और क्या कहा गया है?

पूर्व सैन्य डॉक्टरों ने यह भी आरोप लगाया है कि परीक्षा के बाद कुछ प्राथमिकता-I अधिकारी खुद को प्राथमिकता-IV श्रेणी में स्थानांतरित करा लेते हैं, जिससे वास्तविक पूर्व सैनिक उम्मीदवारों के अधिकार प्रभावित हो रहे हैं। यह कदम AFMS के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन बताया गया है।

याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि ऐसा परिवर्तन परीक्षा के बाद नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे निष्पक्षता पर असर पड़ता है और मेरिट सूची की पारदर्शिता समाप्त हो जाती है।

क्या मांगा गया है अदालत से?

याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अंतरिम राहत के रूप में कई मांगे रखी हैं

1.AFMS संस्थानों में चल रही काउंसलिंग और सीट आवंटन प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए जब तक केस का अंतिम फैसला नहीं होता।

2. किसी भी ऐसे उम्मीदवार को प्राथमिकता-IV के तहत सीट न दी जाए जिसे NEET-PG 2025 परीक्षा (3 अगस्त 2025) के बाद NOC या रिलीज अप्रूवल मिला हो।

3.AFMS को आदेश दिया जाए कि 1 अगस्त 2025 के बाद जारी सभी रिलीज एप्लिकेशन और NOC अदालत में पेश किए जाएं ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

यह मामला केवल मेडिकल सीटों के बंटवारे का नहीं बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 21 के तहत समानता और अवसर के अधिकार से जुड़ा है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि AFMS में चयन प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए ताकि वर्षों तक सेवा देने वाले सैन्य डॉक्टरों को भी आगे बढ़ने का समान अवसर मिले। देशभर में ऐसे हजारों पूर्व सैन्य डॉक्टर हैं जो इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं। कोर्ट 10 अक्टूबर को इस मामले में प्रारंभिक सुनवाई करेगी और यह देखेगी कि याचिकाकर्ताओं को अंतरिम सुरक्षा दी जाए या नहीं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। देश (India News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

लेटेस्ट न्यूज

गौरव श्रीवास्तव
गौरव श्रीवास्तव Author

टीवी न्यूज रिपोर्टिंग में 10 साल पत्रकारिता का अनुभव है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानूनी दांव पेंच से जुड़ी हर खबर आपको इस जगह मिलेगी। साथ ही चुना... और देखें

End of Article