अब क्या करेगा पाकिस्तान? पर्यटन पर G-20 सम्मेलन में UN के प्रतिनिधि भी हुए शरीक

G20 Tourism Working Group meeting: बैठक में यूएन के प्रतिनिधियों का शामिल होना भारतीय कूटनीति की एक बड़ी जीत है। क्योंकि पाकिस्तान वर्षों से कश्मीर समस्या का समाधान संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के मुताबिक निकालने का राग अलापता आया है। जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने कहा कि भारत के लिए जी-20 की अध्यक्षता करना गर्व का विषय है।

Updated May 24, 2023 | 09:43 AM IST

G 20 meeting in Kashmir

पर्यटन पर जी-20 की कार्यकारी समूह की बैठक।

G20 Tourism Working Group meeting: पर्यटन पर G-20 देशों की कार्यकारी समूह की बैठक कश्मीर में बुलाकर भारत ने पाकिस्तान को एक बड़ा झटका तो दिया ही है। साथ ही दुनिया को एक बड़ा संदेश गया है कि पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। बैठक की एक और खबर पाकिस्तान की टेंशन और बेचैनी और बढ़ाने वाली है। पाकिस्तान के दबाव में चीन, तुर्की और सऊदी अरब ने इस बैठक से तो दूरी बना ली लेकिन संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि मंगलवार को इस बैठक में शामिल हुए।

भारतीय कूटनीति की बड़ी जीत

बैठक में यूएन के प्रतिनिधियों का शामिल होना भारतीय कूटनीति की एक बड़ी जीत है। क्योंकि पाकिस्तान वर्षों से कश्मीर समस्या का समाधान संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के मुताबिक निकालने का राग अलापता आया है। जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने कहा कि भारत के लिए जी-20 की अध्यक्षता करना गर्व का विषय है। आज की बैठक में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों का शामिल होना यह दर्शाता है कि दुनिया यहां इस तरह के कार्यक्रम होना देखना चाहती है।

क्या है कश्मीर पर यूएन चार्टर

दरअसल, 1947-48 में कश्मीर युद्ध के बाद इस समस्या का समाधान निकालने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का रुख किया। विवाद के समाधान के लिए यूएन ने अपना प्रस्ताव पेश किया। इसमें कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की बात कही गई लेकिन साथ ही यह भी कहा गया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से इस्लामाबाद को अपनी सेना हटानी होगी। इसके लिए पाकिस्तान तैयार नहीं था। दरअसल, पाकिस्तान यूएन प्रस्ताव की बार-बार दुहाई तो देता है लेकिन वह प्रस्ताव की पूरी सच्चाई नहीं बताता। चूंकि, जनमत संग्रह उसके एजेंडे को सूट करता है इसलिए वह बार-बार इसका राग अलापता है।

17 देशों से आए प्रतिनिधि

सिन्हा ने यह बात एक विदेशी पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए कही। पत्रकार ने पूछा था कि पाकिस्तान का कहना है कि कश्मीर में जी-20 की बैठक आयोजित कर भारत ने इस वैश्विक मंच का 'दुरुपयोग' किया है। पर्यटन पर हो रही इस अहम बैठक में 17 देशों के करीब 120 शिष्टमंडल भाग ले रहे हैं। रिपोर्टों के मुताबिक चीन से कोई प्रतिनिधिमंडल इस बैठक में शामिल नहीं हुआ है लेकिन तुर्की और सऊदी अरब से निजी क्षेत्र के कुछ नुमाइंदे यहां पहुंचे हैं।
तीन दिनों तक चलने वाले इस बैठक में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ हिस्सा ले रहे हैं।

30 वर्षों तक प्रायोजित आतंक का दंश झेला-सिन्हा

मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू कश्मीर ने 30 वर्षों तक पाकिस्तान द्वारा राष्ट्र-प्रायोजित आतंकवाद को झेला है लेकिन सीमा पार समर्थन से फला-फूला आतंकवाद का पारिस्थितिकी तंत्र अब अलग-थलग कर दिया गया है। सिन्हा ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश अब एक नया युग देख रहा है जिसने वृद्धि और शांति की असीम संभावनाएं खोल दी हैं। उन्होंने यहां एसकेआईसीसी में जी20 देशों की पर्यटन पर कार्यकारी समूह की बैठक के उद्घाटन सत्र में कहा, ‘सभी धार्मिक समुदाय के साथ मिलकर शांतिपूर्ण निवास वाली इस भूमि ने तकरीबन 30 साल तक हमारे पड़ोसी देश के राष्ट्र-प्रायोजित आतंकवाद को झेला है।’
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