पायलट-गहलोत की सुलह में अब भी कुछ अनसुलझे सवाल! क्या बदलने वाली है जादूगर की भूमिका? अब खड़गे के बयान का इंतजार

Ashok Gehlot Sachin Pilot Controversy: ऐसा पहली बार नहीं है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लड़ाई में कांग्रेस आलाकमान को दखल न करनी पड़ी हो। और यह भी पहली बार नहीं है कि आलाकमान ने दोनों के बीच सबकुछ ठीक होने की बात कही है। इससे पहले भी दोनों नेता कई बार आमने-सामने आए और पार्टी में आंतरिक कलह की कलई खुल गई।

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Updated May 30, 2023 | 10:24 PM IST

क्या बदल जाएगी जादूगर की भूमिका

क्या बदल जाएगी जादूगर की भूमिका

Ashok Gehlot Sachin Pilot Controversy: राजस्थान (Rajasthan Congress) में इस साल के अंत तक विधानसभा (Rajasthan Election) चुनाव होने हैं। इससे पहले राज्य कांग्रेस के अंदर सियासी भूचाल मचा हुआ है। राजस्थान कांग्रेस (Congress) के दो धुरंधर अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) एक बार फिर आमने-सामने हैं। हालांकि, कांग्रेस आलाकमान की ओर से दावा किया गया है कि दोनों के बीच समझौता हो गया है और कांग्रेस पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ेगी।
कांग्रेस की ओर से यह बयान तब सामने आया है, जब सोमवार को अशोक गहलोत और सचिन पायलट की बीते सोमवार को हाईकमान के सामने पेशी हुई। इस बैठक में दोनों नेताओं के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल, राहुल गांधी भी मौजूद रहे। बैठक करीब चार घंटे तक हुई और इसके बाद केसी वेणुगोपाल बाहर आए और उन्होंने दोनों के बीच समझौते का ऐलान किया। हालांकि, यह समझौता किस फार्मूले पर हुआ है, इसकी जानकारी उन्होंने नहीं दी। न ही अब तक दोनों नेताओं (अशोक गहलोत और सचिन पायलट) की ओर से इसके बारे में कोई बयान जारी किया गया है। अब सभी की निगाहें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से टिकी हुई हैं।

क्या सबकुछ ठीक हो गया है?

ऐसा पहली बार नहीं है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लड़ाई में कांग्रेस आलाकमान को दखल न करनी पड़ी हो। और यह भी पहली बार नहीं है कि आलाकमान ने दोनों के बीच सबकुछ ठीक होने की बात कही है। इससे पहले भी दोनों नेता कई बार आमने-सामने आए और पार्टी में आंतरिक कलह की कलई खुल गई। इसकी शुरुआत 2018 से हुई, जब राजस्थान में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। माना जा रहा था कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तब से लेकर अब तक जब-जब सचिन पायलट को मौका मिलता है, वह अशोक गहलोत पर निशाना साधने से नहीं चूकते हैं। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि दोनों के बीच इस बार विवाद पूरी तरह खत्म हो गया है।

सुलह का क्या है फार्मूला?

राजस्थान कांग्रेस के दोनों नेताओं के बीच विवाद को किस फार्मूले पर सुलझाया गया? यह सबसे बड़ा सवाल है। दरअसल, आगामी विधानसभा चुनाव में अगर कांग्रेस को दोबारा सत्ता हासिल करनी है, तो पार्टी के लिए ये दोनों नेता बहुत जरूरी हैं। ऐसे में आलाकमान किभी भी सूरत में दोनों को नाराज नहीं करना चाहेगा। हालांकि, दोनों के विवाद में कांग्रेस आलाकमान ने बीच का रास्ता क्या निकाला है, यह मल्लिकार्जुन खड़गे ही जानते हैं। हालांकि, उन्होंने इस पर अब तक चुप्पी साध रखी है।

क्या बदल जाएगी जादूगर की भूमिका?

इस सवाल को समझने से पहले इसके मूल में जाते हैं। दरअसल, अशोक गहलोत ने आज एक बयान दिया-अगर सचिन पायलट पार्टी में हैं तो साथ मिलकर काम क्यों नहीं करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि मेरे लिए पद मायने नहीं रखता है। मैं तीन बार मुख्यमंत्री रहा, काम में कोई कसर नहीं छोड़ी है। आज मेरी ड्यूटी यह है कि मैं उस दिशा में काम करूं कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार फिर से वापस आए। अशोक गहलोत के इस बयान के कई सियासी मायने हैं। इससे यह भी संकेत जा रहा है कि आलाकमान के साथ बैठक में जो फार्मूला तय हुआ है, उसमें कहीं अशोक गहलोत की भूमिका बदलने तो नहीं वाली है?
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