निज्जर मामले में कनाडा को ज्यादा तवज्जो दे रहा अमेरिका, कहां तक सही है संप्रभुता के उल्लंघन की बात?
America Statement On Nijjar Killing : मीडिया रिपोर्टों में यह कहा गया कि 'फाइव आइज' में शामिल अमेरिका ने निज्जर की हत्या से जुड़ी जानकारी कनाडा को उपलब्ध कराई जिसके बाद ट्रूडो ने भारत के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। 'फाइव आइज' पांच देशों का एक इंटेलिजेंस नेटवर्क है जो एक दूसरे का सहयोग करता है। इस नेटवर्क में अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
अमेरिका ने भारत से जांच में सहयोग करने की बात कही है।
America Statement On Nijjar Killing : खालिस्तान के मुद्दे पर कनाडा और भारत के रिश्तों में आई तल्खी के बीच अमेरिका की ओर से बयानबाजी की जा रही है। अमेरिका के बयान यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा लगाए गए आरोपों में कुछ न कुछ आधार है और भारत को जांच में सहयोग करना चाहिए। जबकि भारत ट्रूडो के बयान को बेबुनियाद बताते हुए सिरे से खारिज कर चुका है। विदेश मंत्रालय स्पष्ट कर चुका है कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट का हाथ होने का कनाडा का आरोप 'गलत मंशा' से प्रेरित है।
अमेरिका के इनपुट पर ट्रूडो ने दिया बयान
साथ ही भारत ने यह भी कहा है कि निज्जर की हत्या से जुड़े सबूत यदि कनाडा के पास हैं तो उसे पेश करना चाहिए। इसके बाद जांच में सहयोग की बात आती है, लेकिन कनाडा की ओर से हत्या में भारत की संलिप्तता दिखाने वाले कोई भी सबूत अभी तक पेश नहीं किए गए हैं। दरअसल, मीडिया रिपोर्टों में यह कहा गया है कि 'फाइव आइज' में शामिल अमेरिका ने निज्जर की हत्या से जुड़ी जानकारी कनाडा को उपलब्ध कराई जिसके बाद ट्रूडो ने भारत के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। 'फाइव आइज' पांच देशों का एक इंटेलिजेंस नेटवर्क है जो एक दूसरे का सहयोग करता है। इस नेटवर्क में अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
अमेरिका की 'दोहरी चाल'?
सवाल है कि कनाडा के पास अगर निज्जर की हत्या से जुड़े सबूत हैं तो उसे दुनिया के सामने अपने इन सबूतों को पेश करना चाहिए लेकिन अब तक वह ऐसा नहीं कर पाया है। निज्जर आतंकवादी था। वह मारा भी गया तो कनाडा को इतनी तकलीफ क्यों हो रही है? कनाडा, अमेरिका का करीबी सहयोगी देश है। दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ संबंध हैं तो भारत और अमेरिका के बीच आपसी रिश्ते एवं सहयोग भी ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचे हैं। नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच इतने मजबूत संबंध अभी तक नहीं रहे हैं। जाहिर है कि अमेरिका अपने बयानों से कनाडा को सांत्वना देने की कोशिश कर रहा है। वह मुश्किल घड़ी में कनाडा को अलग-थलग होते हुए शायद न देखना चाहता हो। या उसकी यह 'दोहरी चाल' भी हो सकती है।
पश्चिमी देशों को बात पच नहीं रही
पश्चिमी देशों को कहीं न कहीं यह बात पच नहीं रही कि उनकी धरती पर निज्जर की हत्या हो गई। खासकर, कनाडा इसे अपनी संप्रभुता के उल्लंघन के तौर पर देख रहा है। लेकिन संप्रभुता का उल्लंघन तो तभी होगा जब उसकी हत्या में कोई बाहरी शक्ति शामिल हो। निज्जर की हत्या की शुरुआती जांच करने वाली कनाडा पुलिस ने किसी विदेशी ताकत का हाथ होने से इंकार किया है। रिपोर्टों में यह खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या की वजह गुरुद्वारों से होने वाली कमाई पर दो गुटों के बीच लड़ाई को बताया गया। कनाडा में ऐसे कई गुरुद्वारें हैं जिनका प्रबंधन एवं देखरेख खालिस्तानी करते हैं और इन गुरुद्वारों में दान के रूप में बड़ी राशि एकत्र होती है।
कई बार कर चुके हैं संप्रभुता का उल्लंघन
पश्चिमी देशों द्वारा संप्रभुता के उल्लंघन की बात करना बेतुका और बेमानी है। यह अमेरिका ही है जिसने 2001 में न्यूयॉर्क पर आतंकवादी हमला (9/11) होने के बाद साल 2003 में इराक पर हमला बोल दिया। खाड़ी के इस देश को तहस-नहश करते हुए सद्दाम हुसैन को फांसी पर लटका दिया। अमेरिका और उसके सहयोगियों के हमलों में हजारों निर्दोष लोग मारे गए। अफगानिस्तान में करीब 20 सालों तक अमेरिका, कनाडा सहित नाटो के बलों ने अफगान नागरिकों का खून बहाया। कनाडा ने अफगानिस्तान में अपने 40 हजार सैनिक भेजे थे। ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए अमेरिका के सील कमांडो पाकिस्तान के ऐबटाबाद में घुस गए। यहां भी तो संप्रभुता का उल्लंघन हुआ लेकिन उन पर सवाल नहीं उठाया जा सकता क्योंकि वे 'गोरे' हैं और वे मानकर चलते हैं कि उन्हें ये सब करने की छूट मिली हुई है।
अमेरिकी अधिकारियों के बयान
भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गारसेटी ने कहा है कि उनका देश भारत और कनाडा दोनों देशों के साथ अपने संबंधों को काफी महत्व देता है। हमारे संबंध दोनों देशों के साथ पत्थर की तरह मजबूत हैं। हमें ऐसे देश के रूप में सामने आने की जरूरत है जो संप्रभुता, सुरक्षा और आपसी संबंधों को गंभीरता से ले। इससे पहले अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि हम (कनाडा के) प्रधानमंत्री (जस्टिन) ट्रूडो द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर बहुत चिंतित हैं। हम अपने कनाडाई साझेदारों के निकट संपर्क में हैं। मिलर ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘मेरा मानना है कि कनाडा की जांच को आगे बढ़ाना और अपराधियों को न्याय के दायरे में लाया जाना अहम है। हमने भारत सरकार ने कनाडा की जांच में सहयोग करने की सार्वजनिक और निजी रूप से अपील की है।
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