चुनाव में कमला से दूर रहे लैटिनो-अश्वेत, युवा वोटर, स्पष्ट एजेंडा भी नहीं पेश कर पाईं डेमोक्रेट उम्मीदवार
US Election Result 2024 : चुनावी रेस से जो बाइडेन के पीछे हट जाने के बाद हैरिस डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनीं। इसके बाद उन्होंने अपना 100 दिन का चुनाव अभियान शुरू किया। अपने अभियान में उन्होंने अबॉर्शन अधिकार, ऊंची कीमतों को कम करने सहित सर्विस क्लास को लुभाने के लिए कई वादे किए।
अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बने हैं डोनाल्ड ट्रंप।
- अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की हुई है जीत
- डोनाल्ड ट्रंप को शानदार जीत मिली है, वह अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बने हैं
- डेमोक्रेट उम्मीदवार एवं उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की इस चुनाव में हार हुई है
US Election Result 2024 : अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की हार हुई है। चूंकि चुनाव में उनकी शिकस्त हो गई है तो उनकी हान की वजहें भी तलाशी और बताई जा रही हैं। मतदान के एक दिन पहले तक अमेरिकी मीडिया इस चुनाव का कांटे का टक्कर और उससे पहले कमला को चुनाव जीतता हुआ पेश कर रहा था लेकिन चुनाव नतीजे जब आने शुरू हुए तो यह कथित कांटे की टक्कर कहीं नहीं दिखा। इसे इस बात से समझा जा सकता है कि चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार को 50.8 प्रतिशत वोट और कमला हैरिस को 47.5 फीसद वोट मिले है। इसे कांटे का टक्कर नहीं कहा जाता। अमेरिकी मीडिया का यह अनुमान गलत साबित हुआ।
चार साल बाद राष्ट्रपति पद पर ट्रंप की फिर वापसी
रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने शानदार जीत दर्ज करते हुए चार साल बाद राष्ट्रपति पद पर एक बार फिर वापसी की। अब बात की जा रही है चुनाव प्रचार के दौरान कमला को बढ़त बताने वाले अनुमान आखिर धाराशाही क्यों हो गए। कमला की हार की नुक्ता-चीनी होने लगी है। उनकी हार की वजहें बताई जाने लगी हैं। हैरिस का इस हार पर उनका प्रचार अभियान चलाने वाली टीम को सूझ नहीं रहा है कि वह क्या कहे। टीम ने चुप है। बुधवार को जब चुनाव नतीजे आए तो हैरिस के कम्पेन मैनेजर जेन ओ मैली ने अपने स्टॉफ को भेजे ई-मेल में बस इतना कहा कि यह हार पीड़ादायक है, यह बहुत दुखद है। हार क्यों हुई, इसे समझने में थोड़ा वक्त लगेगा।
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ठोस योजना पेश नहीं कर पाईं कमला
चुनावी रेस से जो बाइडेन के पीछे हट जाने के बाद हैरिस डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनीं। इसके बाद उन्होंने अपना 100 दिन का चुनाव अभियान शुरू किया। अपने अभियान में उन्होंने अबॉर्शन अधिकार, ऊंची कीमतों को कम करने सहित सर्विस क्लास को लुभाने के लिए कई वादे किए। शुरुआत में आजादी, लोकतंत्र की ये बातें लोगों ने पसंद भी कीं लेकिन हैरिस ये बातें समझा पाने में चूक गईं कि राष्ट्रपति बनते ही उनका एजेंडा क्या होगा। वह महंगाई, बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था को संभालने, अवैध अप्रवासी घुसपैठ से निपटने और युद्ध रोकने के लिए उनके पास क्या योजना और तरीका है। वह केवल बातें करती रहीं। इसके अलावा उन्होंने अपने विरोधी डोनाल्ड ट्रंप पर तीखे हमले जारी रखे। ट्रंप पर सीधे तौर पर निशाना साधना कहीं न कहीं उन्हें नुकसान पहुंचा गया।
ट्रंप की बातें ज्यादा वास्तविक लगीं
ट्रंप कैसे हैं, ये बातें अमेरिकी लोगों को पहले से पता हैं। उन्हें ट्रंप के बारे में नहीं बल्कि उनकी समस्याओं, मुसीबतों से छुटकारा और बेहतर भविष्य की योजना चाहिए थी, लोगों की समस्याओं का हल निकालने के लिए हैरिस के पास नीतियों एवं एजेंडे का अभाव दिखा। जबकि ट्रंप इन मुद्दों पर खुले तौर पर और बेबाकी से बोलते रहे। उन्होंने अपने 2016 से 2020 के चार साल की तुलना बाइडेन प्रशासन के कार्यकाल से की। ट्रंप अपनी रैलियों में बताते रहे कि उनका कार्यकाल किस तरह से बाइडेन से बेहतर था। उन्होंने अवैध घुसपैठ, महंगाई, बेरोजगारी दूर करने, अमेरिका को फिर से शक्तिशाली और महान बनाने का वादा किया।
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अपने मजबूत गढ़ में भी हारीं कमला हैरिस
चूंकि, अमेरिकी ट्रंप के चार साल देख चुके हैं और आंकड़े बताते हैं कि 2016 से 2020 के दौरान महंगाई और बेरोजगारी की दर बाइडेन के कार्यकाल की तुलना में कम रही। इससे लोगों का भरोसा हैरिस से ज्यादा ट्रंप में जगा। दूसरा, हैरिस की हार की एक बड़ी वजह डेमोक्रेट मतदाताओं में बिखराव को भी माना जा रहा है। 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान बाइडेन को अमेरिकी समाज के जितने वर्गों का समर्थन मिला था, वह एकजुटता हैरिस के साथ नहीं रही। खासकर, लैटिनो और अश्वेत वर्ग इस बार हैरिस के साथ मजबूती के साथ खड़ा नहीं रहा। यहां तक कि युवा मतदाताओं पर हैरिस की पकड़ कमजोर रही। लैटिनो और अश्वेत वोटर परंपरागत रूप से डेमोक्रेट वोटर बताए जाते हैं लेकिन ट्रंप ने यहां भी सेंधमारी कर ली।
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