आखिर क्यों खास है भुज एयरबेस, 1971 के युद्ध में निभाई थी बड़ी भूमिका; महिलाओं ने दिखाई गजब की दिलेरी

Indo-Pak War: 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान 8 दिसंबर की रात को पाकिस्तानी वायुसेना के जेट विमानों के एक स्क्वाड्रन ने गुजरात के भुज में भारतीय वायुसेना (IAF) की हवाई पट्टी पर 64 बम गिराए थे। आठ जगहों पर क्षतिग्रस्त होने के कारण रनवे बेकार हो गया था, जिससे भारतीय लड़ाकू विमानों के लिए उड़ान भरना संभव नहीं था। यही वह समय था जब भुज से 5 किलोमीटर दूर माधापार गांव की 300 महिलाओं ने आगे आने का फैसला किया। महिलाओं ने केवल 72 घंटों में उस हवाई क्षेत्र का पुनर्निर्माण किया, जिस पर 14 दिनों में 35 बार हमला किया गया था, 92 बम और 22 रॉकेट से हमला किया गया था।

Bhuj Airbase

भुज एयरबेस, 1971

Indo-Pak War: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दो दिवसीय गुजरात दौरे पर है। वे भुज एयरबेस भी गए। अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान रक्षा मंत्री भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र का भी दौरा करेंगे। सिंह से इस क्षेत्र में भारतीय सशस्त्र बलों की तैयारियों का मूल्यांकन करने और पाकिस्तान की असफल ड्रोन घुसपैठ के बाद मजबूत सुरक्षा उपायों की प्रभावशीलता की जांच करने की उम्मीद है। सैन्य तनाव के बीच, पाकिस्तानी सेना ने ड्रोन का उपयोग करके भारत के भुज को निशाना बनाने का प्रयास किया था। हालांकि, भारत के सुरक्षा बलों ने वायु रक्षा प्रणालियों की सहायता से पाकिस्तान के बार-बार हमलों को सफलतापूर्वक विफल कर दिया। आखिरकार, लगातार सैन्य असफलताओं का सामना करने और कोई सफलता नहीं मिलने के बाद, पाकिस्तान ने युद्धविराम की घोषणा की थी। युद्धविराम के बाद एक बार फिर से भुज एयरबेस चर्चाओं में है। बता दें, सबसे पहले भुज एयरबेस 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान चर्चाओं में आया था। आइए जानते भुज एयरबेस की वो कहानी जिसके कारण भारत समेत पूरी दुनिया में फेमस है भुज एयरबेस...

भुज एयरबेस

8 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने 14 नापालम बम भारत के भुज स्थित एयरफोर्स बेस पर गिराए थे। इन धमाकों से भारतीय वायुसेना का रनवे पूरी तरह से तबाह हो गया था जिसके कारण हवाई ऑपरेशंस में बाधा आ गई थी। 1971 में जब पाकिस्तान के हमले से भुज के एयर स्ट्रिप बर्बाद हो गए थे तो विजय कार्णिक इसी भुज एयरपोर्ट के इंचार्ज थे। हालांकि भारतीय वायुसेना के पास इतने श्रमिक नहीं थे जो एयरस्ट्रिप को तुरंत ठीक कर पाते। इसके बाद कैंप के नजदीक स्थित माधापुर गांव की 300 महिलाओं ने फिर से रनवे बनाने में मदद की थी।

महिलाओं ने बिना किसी चीज की परवाह किए हुए लगातार मेहनत की और 72 घंटे के अंदर उन्होंने नया रनवे बना दिया था। ऐसे में विजय कार्णिक ने महिलाओं की मदद से इस रनवे को दोबारा खड़ा करवाया था। दरअसल सुरेंदरबन जेठा माधरपाया ने महिलाओं को इस काम के लिए इकट्ठा किया था और विजय कार्णिक से मिलवाया था। ये लड़ाई भारत ने सिर्फ अपने सैनिकों ही नहीं बल्कि गांव की इन महिलाओं के सहयोग से भी जीती थी।

1971 में भुज एयरबेस के कमांडर रहे विजय कार्णिक के अनुसार, पाकिस्तान ने कच्छ को अलग-थलग करने और उस पर कब्जा करने के लिए भुज हवाई क्षेत्र को नष्ट करने की योजना बनाई थी। उन्होंने कहा कि भुज सेक्टर से हम कराची पर हमला कर रहे थे। युद्ध अपने चरम पर था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के हमले में हमारा रनवे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। बमबारी इतनी भीषण थी कि भुज शहर में रहने वाले सभी लोगों ने शहर खाली करना शुरू कर दिया।

300 महिलाओं ने की थी हवाई पट्टी की मरम्मत

विजय कार्णिक ने कहा कि यहां तक कि ठेकेदार और मजदूर भी भाग गए थे, जो पहले छोटे-मोटे नुकसान की मरम्मत करते थे। हमने मरम्मत की मशीनरी और सामग्री रनवे के किनारे 200 फीट दूर रख दी थी लेकिन किसी ने भी पट्टी के पास जाने की हिम्मत नहीं की। उन्होंने कहा कि तभी माधापार की इन 300 महिलाओं ने देशभक्ति के जज्बे से लैस होकर हवाई पट्टी की मरम्मत का व्यावहारिक रूप से असंभव कार्य अपने हाथ में ले लिया। उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं को बम हमलों के दौरान शरण लेने और झाड़ियों के नीचे छिपने के बारे में जानकारी दी गई थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने निर्देशों का पालन करने का साहस दिखाया। उन्होंने बहुत जल्दी रनवे का पुनर्निर्माण किया, जिससे हमारा बेस फिर से चालू हो गया।

एजेंसी इनपुट के साथ...

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Shashank Shekhar Mishra author

शशांक शेखर मिश्रा टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल (www.timesnowhindi.com/ में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। इन्हें पत्रकारिता में करीब 5 वर्षों का अनुभव ह...और देखें

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