बिहार में नए समीकरण की आहट! महागठबंधन के साथ जाने को बेताब AIMIM, लालू को खुद ओवैसी की पार्टी के नेता ने लिखा खत

इस समय, AIMIM महागठबंधन में शामिल होना चाहती है, लेकिन महागठबंधन की तरफ से कोई हां या ना अभी तक नहीं आया। अगर जल्द कुछ निर्णायक नहीं होता, तो AIMIM अलग चुनाव लड़ने की तैयारी भी रख रही है।

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बिहार चुनाव में ओवैसी बदल सकते हैं चुनावी समीकरण

बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। लड़ाई इस बार भी मुख्य रूप से एनडीए और महागठबंधन में दिख रही है। लेकिन बिहार में इनके अलावा भी कुछ ऐसे नेता हैं, जो पूरा समीकरण बदल सकते हैं, उसी में एक है असदुद्दीन ओवैसी। असदुद्दीन ओवैसी पिछली बार भी विधासनभा चुनाव में उतरे थे, 5 सीटों पर जीत हासिल की थी। सीमांचल में काफी प्रभाव डाला था। हालांकि बाद में 4 विधायक आरजेडी में चले गए। अब जब बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव का शोर है, तारीख का ऐलान भले ही नहीं हुआ हो, लेकिन जमीन पर पूरी राजनीति चल रही है, प्रचार चल रहा है। ऐसे में अब ओवैसी की पार्टी की चाहत है कि उसे महागठबंधन में एंट्री मिल जाए। इसके लिए AIMIM ने राजद प्रमुख लालू यादव को पत्र भी लिखा है।

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महागठबंधन में AIMIM होना चाहता है शामिल

ओवैसी की पार्टी AIMIM के बिहार प्रमुख और विधायक अख्तरुल ईमान ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू यादव को एक पत्र लिखा है। ईमान ने लिखा है कि सेक्यूलर वोटों का बिखराव रोकने के लिए हमें एकजुट होना चाहिए। AIMIM पहले भी 2020 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन के साथ जाने की कोशिश की थी, लेकिन तब सफलता हासिल नहीं हुई। इस बार के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम महागठबंधन में शामिल होने के लिए कांग्रेस और वाम दलों से भी संपर्क साध चुकी है। एआईएमआईएम प्रवक्ता आदिल हसन ने कहा- "अख्तरुल ईमान ने आज राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और अन्य सभी महागठबंधन दलों को पत्र लिखकर इस बात पर जोर दिया है कि धर्मनिरपेक्ष वोटों का बंटवारा नहीं होना चाहिए।"

ओवैसी कहां बिगाड़ सकते हैं खेला

ओवैसी की पार्टी ने पिछले चुनाव में भी बिहार के सीमांचल एरिया मे दांव खेला था। जहां उसने महागठबंधन को तगड़ा झटका दिया था। सीमांचल में अल्पसंख्यक वोटों के लिए कड़ा मुकाबला होगा। किशनगंज में 67 फीसदी, कटिहार में 38 फीसदी, अररिया में 32 फीसदी और पूर्णिया में 30 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में AIMIM का प्रदर्शन

2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में, AIMIM ने 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से पांच पर जीत हासिल की, ये सभी मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में हैं, जिसमें अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज जिले शामिल हैं। हालांकि, बाद में उनमें से चार विधायक राजद में शामिल हो गए, जिससे विधानसभा में AIMIM का प्रतिनिधित्व करने वाले केवल अख्तरुल ईमान ही बचे। 2020 में जिन सीटों पर AIMIM ने चुनाव लड़ा, उनमें से 14.28% वोट हासिल किए, जो सीमांचल में इसके प्रभाव को दर्शाता करता है।

अगर महागठबंधन में लालू नहीं देते हरी झंडी तो?

अब सवाल ये है कि अगर लालू यादव पिछली बार की तरह महागठबंधन में ओवैसी की एंट्री नहीं होने देत हैं। कांग्रेस भी ओवैसी के पक्ष में नहीं है, तो क्या होगा? जाहिर है ओवैसी के लड़ने से सीधा घाटा महागठबंधन को होगा। पिछली बार के आंकड़े ये गवाह हैं कि राजद-कांग्रेस को सीमांचल में ओवैसी झटका दे सकते हैं। ओवैसी ने संकेत दिया है कि एआईएमआईएम सीमांचल से आगे भी अपनी चुनावी लड़ाई का विस्तार कर सकती है, हालांकि उन्होंने सीटों की संख्या बताने से इनकार कर दिया और कहा कि अभी घोषणा करना जल्दबाजी होगी। बहरहाल, उन्होंने बहादुरगंज और ढाका निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा पहले ही कर दी है। इससे पहले, ओवैसी ने संकेत दिया था कि उनकी पार्टी राज्य में 50 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।

आरजेडी ने पत्र पर क्या कहा

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी द्वारा बिहार के 'महागठबंधन' में शामिल होने की मांग पर आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव पर सबकी नजर है। बिहार में तेजस्वी यादव की सरकार बनने को तैयार है। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे भारतीय राजनीति की दिशा तय करेंगे। एआईएमआईएम को बीजेपी की बी टीम माना जाता है, लेकिन अगर उन्होंने चिट्ठी लिखी है तो आखिरी फैसला तेजस्वी यादव और लालू यादव ही लेंगे।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025

बिहार में सभी 243 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव अक्टूबर या नवंबर 2025 में होने की संभावना है। पिछली बार ये चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2020 में हुए थे। उस चुनाव के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सरकार बनाई, जिसमें नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। अगस्त 2022 में, नीतीश कुमार की पार्टी जेडी(यू) ने एनडीए से नाता तोड़कर आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाई। इसके बाद जनवरी 2024 में जेडी(यू) ने महागठबंधन से अपना संबंध खत्म कर दिया और पुनः भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली।

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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