बेहद गोपनीय था 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' मिशन, वाशिंगटन में चुनिंदा लोग ही जानते थे, अभियान में शामिल हुए 125 से ज्यादा एयरक्राफ्ट

सीबीएस न्यूज के मुताबिक 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' के बारे में चेयरमैन जनरल डैन केयन ने बताया कि 'यह बेहद गोपनीय मिशन था और हमला कब और किस तरह से होगा, वाशिंगटन में गिने-चुने लोगों को ही इसके बारे में जानकारी थी।' इस अभियान में एक दो नहीं बल्कि सात बी-2 स्पिरिट बॉम्बर्स को शामिल किया गया। ये सात विमान मिसूरी के व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से पूर्व की तरफ उड़े।

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ईरान के तीन परमाणु संयंत्रों पर अमेरिका ने किया हमला।

Operation Midnight Hammer : ईरान के तीन न्यूक्लियर साइट्स फोर्डो, नतांज और एस्फाहान पर अमेरिकी हमले की कहानी भी कम रोचक और सनसनीखेज नहीं है। ईरान पर अमेरिकी हमले की आशंका तो जताई जा रही थी लेकिन यह इतनी जल्दी हो जाएगा, इसकी उम्मीद कम थी क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो सप्ताह के बाद इस बारे में फैसला करने की बात कही थी लेकिन दो सप्ताह की मोहलत की बात कह ट्रंप ने एक तरह से ईरान को झांसा दे दिया। अमेरिका की तरफ से वह बेफिक्र होकर वह इजरायल को ही जवाब देने में लगा रहा, उधर अमेरिकी बमवर्षक फाइटर जेट्स ने अपना काम कर दिया। ईरान पर हमला करने के लिए अमेरिका ने अपने इस अभियान का नाम 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' दिया। पेंटागन का यह अभियान बेहद गोपनीय था, इसके बारे में किसी को भनक तक नहीं लगी।

पाक के एयरबेस का इस्तेमाल नहीं

मीडिया में ऐसी रिपोर्टें चल रही थीं कि ईरान पर हमले के लिए अमेरिका, पाकिस्तान के एयरबेस का इस्तेमाल कर सकता है लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। बी-2 बॉम्बर सीधे अमेरिका से उड़े और ईरान के तीन परमाणु संयंत्रों पर बम गिराकर वापस लौट गए। यह अभियान कैसे अंजाम दिया गया, इसके बारे में पेंटागन के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया है। अमेरिका के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन ने इसे अमेरिकी इतिहास में बी-2 बॉम्बर का सबसे बड़ा अभियान बताया है। अधिकारी का कहना है कि इस अभियान से दुश्मन के ठिकानों पर भीषण तबाही हुई।

वाशिंगटन में गिने-चुने लोगों को ही पता था

सीबीएस न्यूज के मुताबिक 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' के बारे में चेयरमैन जनरल डैन केयन ने बताया कि 'यह बेहद गोपनीय मिशन था और हमला कब और किस तरह से होगा, वाशिंगटन में गिने-चुने लोगों को ही इसके बारे में जानकारी थी।' इस अभियान में एक दो नहीं बल्कि सात बी-2 स्पिरिट बॉम्बर्स को शामिल किया गया। ये सात विमान मिसूरी के व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से पूर्व की तरफ उड़े। तो बी-2 बॉम्बर का एक समूह झांसा देने के लिए एयरबेस से प्रशांत महासागर में पश्चिम की तरफ उड़ा। शनिवार को ही मीडिया में रिपोर्टें आईं कि बॉम्बर का एक समूह गुआम स्थित अमेरिका बेस की तरफ रवाना हुआ।

मध्य-पूर्व पहुंचते ही आसमान में हुई री-फ्यूलिंग

पूर्व की तरफ उड़ान भरने वाले बॉम्बर ने 18 घंटे की उड़ान भरते हुए अटलांटिक और भूमध्य सागर को जैसे ही पार किया उन्हें री-फ्यूलिंग की जरूरत पड़ी और मध्य पूर्व में पहुंचते ही अमेरिकी फाइटर जेट्स और सपोर्ट एयरक्राफ्ट ने एक बेहद जटिल री-फ्यूलिंग की प्रक्रिया पूरी की। केयन ने इस ऑपरेशन को समझाने के लिए मैप का इस्तेमाल किया। उन्होंने बॉम्बर्स के एयरबेस छोड़ने से लेकर हमला कर उनके लौटने तक के अभियान को ग्राफिक के जरिए समझाया।

पनडुब्बी से दागी गईं टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें

अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने बताया कि शनिवार शाम पांच बजे के करीब बॉम्बर्स ईरान के वायु क्षेत्र में दाखिल हो गए। तभी एक अमेरिकी पनडुब्बी से दो दर्जन से ज्यादा टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें एस्फाहान न्यूक्लियर साइट पर दागी गईं। बॉम्बर जैसे ही अपने टारगेट के नजदीक आए तो इसी समय अमेरिकी सेना ने ईरान को झांसा देने के लिए कई तरह की पैंतरेबाजी की। अमेरिकी फाइटर जेट्स ने ईरानी फाइटर जेट्स और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों पर नजर रखते हुए टार्गेट तक का एयरस्पेस खतरों से बिल्कुल मुक्त कर दिया था।

फोर्डो और नतांज पर 25 मिनट तक हुए हमले

ईरान में रात के जब दो बजकर 10 मिनट हो रहे थे तो मिशन में सबसे आगे चलने वाले बी-2 बॉम्बर ने ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर संयंत्र पर दो 'बंकर बस्टर' यानी 'जीबीयू-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेटरेटर्स' (MOP) बम गिराए। इसके अगले 25 मिनट तक फोर्डो और नतांज न्यूक्लियर साइट्स पर कुल 16 'बंकर बस्टर' बम गिराए गए। दो अन्य साइटों पर बम गिराए जाने के बाद एस्फाहान परमाणु संयंत्र पर टॉमहॉक मिसाइलें दागी गईं। केयन ने कहा कि अमेरिका फाइटर प्लेन पर कोई गोलीबारी नहीं हुई और बॉम्बर सुरक्षित ईरान की वायु सीमा से बाहर निकल आए। अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि ईरान के फाइटर प्लेन उड़े नहीं और ऐसा लगता है कि ईरान की सतह से हवा में मार करने वाला सिस्टम हमें देख नहीं पाया। पूरे मिशन के दौरान हमने सरप्राइज बनाकर रखा।

मिशन में 125 से ज्यादा एयरक्रॉफ्ट शामिल हुए

जनरल ने कहा कि इस मिशन में बी-2 बॉम्बर, फाइटर जेट, रीफ्यूलिंग प्लेन और सर्विलांस एयरक्राफ्ट सहित 125 से ज्यादा अमेरिकी एयरक्राफ्ट ने हिस्सा लिया और इस पूरे अभियान में 75 से ज्यादा प्रेसिजन गाइडेड हथियार इस्तेमाल हुए। सैन्य अधिकारी ने बताया कि सैटेलाइट से जो तस्वीरें मिली हैं, उन्हें देखने से साफ लगता है कि ईरान के सभी तीन परमाणु संयंत्रों को भारी नुकसान पहुंचा और वहां भारी तबाही हुई है। हालांकि, नुकसान का सहीं आंकड़ा पेश करने में थोड़ा समय लगेगा। चेयरमैन ने ईरान को आगाह करते हुए कहा कि यदि यह देश जवाबी कार्रवाई करता है तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी। उन्होंने कहा कि 'हमारे सुरक्षाबल पूरी तरह से हाई अलर्ट पर हैं। ईरान या उसके प्रॉक्सी की तरफ से हमला होने पर वे जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।'

रक्षा मंत्री ने मिशन को बताया ऐतिहासिक

वहीं, अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने इस मिशन को अविश्वसनीय और शानदार सफलता बताया है। हेगसेथ ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का यह ऑपरेशन साहसिक और शानदार था। हमारे बी-2 ईरान के अंदर दाखिल हुए और वापस चले आए। दुनिया को इसकी भनक नहीं लग पाई। इस तरह से यह मिशन ऐतिहासिक है। यह 2001 के बाद बी-2 स्पिरिट बॉम्बर का सबसे बड़ा अभियान था।

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आलोक कुमार राव author

आलोक कुमार राव न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं। यूपी के कुशीनगर से आने वाले आलोक का पत्रकारिता में करीब 19 साल का अनुभव है। समाचार पत्र, न्यूज एजेंसी, टेल...और देखें

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