यूपी की 9 सीटों में से यह सीट बनी सपा के लिए नाक का सवाल, BJP की बिछाई बिसात बढ़ा रही टेंशन
UP By Election 2024 : करहल सीट पर सपा ने तेज प्रताप यादव को मैदान में उतरा है। तेज प्रताप मुलायम सिंह यादव के पोते और बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव के दामोद हैं तो वहीं भाजपा ने इस सीट पर अनुजेश प्रताप यादव को मैदान में उतारा है, अनुजेश मुलायम सिंह यादव के दामाद और सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के सगे बहनोई हैं।
23 नवंबर को आएगा करहल सीट का चुनाव नतीजा।
- मैनपुरी लोकसभा सीट के 5 विधानसभा सीटों में से एक है करहल
- 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से अखिलेश यादव जीते थे
- इस सीट पर हो रहे उपचुनाव में सपा से तेज प्रताप यादव उम्मीदवार
UP By Election 2024 : वैसे तो उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 9 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं और इन सभी सीटों पर राजनीतिक दल अपने पूरे दम-खम के साथ ताल ठोक रहे हैं लेकिन जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे इन सीटों पर मुकाबला दिलचस्प और कांटे का होता जा रहा है। इन सीटों पर शुरुआत में मुख्य रूप से मुकाबला भारतीय जनता पार्टी गठबंधन और समाजवादी पार्टी गठबंधन के बीच माना जा रहा था लेकिन अब ऐसा नहीं है, इसकी वजह बहुजन समाज पार्टी (बसपा) है। आम तौर बसपा उप चुनाव नहीं लड़ती लेकिन इस बार बसपा सुप्रीमो ने इन सभी नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर इन सीटों पर मुकाबला दिलचस्प और कहीं जगहों पर त्रिकोणीय बना दिया है।
करहल सीट पर जून तक विधायक थे अखिलेश
बसपा के मैदान में आ जाने से भाजपा और सपा के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। चुनावी मैदान में तीसरे खिलाड़ी के आ जाने से दोनों दलों ने नए सिरे से अपने सियासी और जातीय समीकरण को बिठाने पड़े हैं। इन नौ सीटों में एक बेहद खास सीट करहल है, इस सीट पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव जून तक विधायक थे। अखिलेश के लोकसभा पहुंचने के बाद यह सीट खाली हुई और इस पर उप चुनाव हो रहा है। यह सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ है, और इस सीट के चुनाव नतीजे पर सबकी नजर बनी हुई है, लेकिन बसपा के उम्मीदवार और भाजपा के बिछाए सियासी समीकरण सपा की राह मुश्किल बना रहे हैं।
उपचुनाव में सपा से तेज प्रताप यादव उम्मीदवार
इस सीट पर सपा ने तेज प्रताप यादव को मैदान में उतरा है। तेज प्रताप मुलायम सिंह यादव के पोते और बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव के दामोद हैं तो वहीं भाजपा ने इस सीट पर अनुजेश प्रताप यादव को मैदान में उतारा है, अनुजेश मुलायम सिंह यादव के दामाद और सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के सगे बहनोई हैं, इस सीट पर भाजपा और सपा के बीच राजनीतिक लड़ाई तो है ही, रिश्ते की लड़ाई भी है। अखिलेश यादव ने साल 2022 में पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर वे विधानसभा पहुंचे लेकिन 2024 में कन्नौज से सांसद बनने के बाद उन्होंने करहल विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। इस सीट से अखिलेश के रिश्ते और सपा के दबदबे को देखते हुए यह सीट तेज प्रताप के लिए मुफीद मानी जा रही थी लेकिन अनुजेश और बसपा उम्मीदवार अवनीश कुमार शाक्य के आ जाने से इस सीट पर सपा के समीकरण उलझ गए हैं।
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करहल सीट पर 3.7 लाख मतदाता
करहल सीट की अगर बात करें तो इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 3.7 लाख है। इनमें से यादव वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा करीब 1.4 लाख है। इसके बाद शाक्य वोटर करीब 60 हजार, दलित मतदाता 40 हजार और मुस्लि 15 हजार हैं। ब्राह्मण और ठाकुर समुदाय के वोटरों की संख्या करीब 25-25 हजार है। करहल, मैनपुरी लोकसभा की पांच विधानसभा सीटों में से एक है, जहां से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव सांसद हैं। ऐसे में इस सीट से सपा को जीत दिलाना डिंपल के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है।
बसपा ने उतारा शाक्य उम्मीदवार
यादव वोटरों में भाजपा की सेंध न लग जाए, इससे सपा सहमी हुई है। दूसरा बसपा का शाक्य उम्मीदवार से भी खतरा लग रहा है। यादव वोटरों में भाजपा की सेंधमारी के साथ-साथ शाक्य, दलित एवं मुस्लिम वोटरों में बिखराव सपा की टेंशन बढ़ा रहा है। डिंपल इस बात को समझ रही हैं, इसलिए वह तेज प्रताप के समर्थन में करहल में लगातार जनसभाएं एवं रैलियां कर रही हैं। बीते गुरुवार को डिंपल ने बदायूं के सांसद और अपने देवर आदित्य यादव के साथ चुनाव प्रचार किया। आदित्य, शिवपाल सिंह यादव के बेटे हैं। इससे पहले 27 अक्टूबर को डिंपल ने शिवपाल और आजमगढ़ से सांसद धर्मेंद्र यादव के साथ चुनावी रैली की।
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2002 में इस सीट पर भाजपा हुई विजयी
सपा से इस सीट को छीनने के लिए भाजपा ने यादव का मुकाबला यादव से कराया है। यादव उम्मीदवार उतारने के पीछे भाजपा की एक और वजह है। करहल सीट भाजपा का परचम एक ही बार 2002 के चुनाव में फहरा। वह भी तब जब उसने इस चुनाव में यादव उम्मीदवार उतारा। इस बार भी वह इसी फॉर्मूले पर आगे बढ़ी है। ऐसे में करहल सीट पर अगर यादव वोटों का बिखराव होता है तो सपा के लिए करहल में जीतना मुश्किल हो जाएगा। सपा की कोशिश यादव-मुस्लिम गठजोड़ के साथ पीडीए समीकरण के जरिए जीत दर्ज करने की है तो भाजपा सवर्ण, शाक्य और यादव वोटों के जरिए इस सीट पर भगवा फहराना चाहती है।
बसपा भी ठोक रही ताल
बसपा सुप्रीमो भी करहल सहित सभी नौ सीटों जीतने का दावा कर रही हैं। मायावती दलित वोटरों को संदेश देना चाहती हैं कि बसपा पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है, इसलिए वे उनके पीछे लामबंद हो जाएं। बहरहाल, करहल सीट अखिलेश परिवार के लिए प्रतिष्ठा का सवाल तो बनी ही है, भाजपा भी इस सीट पर जीत दर्ज कर यह जताने की कोशिश करेगी कि अखिलेश के किसी भी गढ़ को भेजने में वह सक्षम है। इस सीट की जीत एवं हार से कई सियासी संदेश निकलेंगे, फिलहाल नतीजे को जानने के लिए हमें 23 नवंबर का इंतजार करना होगा।
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