यूपी बिहार से लेकर राजस्थान और वायनाड, सियासी दलों का दबदबा तय करेंगे उपचुनाव के नतीजे
By Elections 2024: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की नौ सीटों पर उपचुनाव हो रहा है। ये नौ सीटें हैं- अंबेडकर नगर की कटेहरी, मैनपुरी की करहल, कानपुर शहर की सीसामऊ, अलीगढ़ की खैर, प्रयागराज की फूलपुर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, गाजियाबाद शहर, मिर्जापुर की मझवां और मुरादाबाद की कुंदरकी।
उपचुनाव 2024
- उत्तर प्रदेश की नौ और बिहार की चार सीटों पर हो रहा है उप चुनाव
- राजस्थान की सात और पश्चिम बंगाल की पांच सीटों पर भी है मुकाबला
- इन सभी सीटों पर 13 नवंबर को होगा मतदान, नतीजे 23 नवंबर को
By Elections 2024: महाराष्ट्र और झारखंड में सियासी पारा गर्म है। विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहराने और विरोधियों को शिकस्त देने के लिए सियासत की बिसात पर मोहरे बिछाए जा चुके हैं। अपनी-अपनी जीत का दावा है। दोनों ही राज्यों में चुनावी रंगत अपनी जोर पकड़ चुका है। चुनावी शोर वाले इन दोनों राज्यों के अलावा हिंदी बेल्ट के राज्यों यूपी, बिहार, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश सहित दक्षिण भारत के वायनाड सीट पर चुनावी सरगर्मी बनी हुई है। यहां उपचुनाव हो रहे हैं। हैं तो ये उपचुनाव लेकिन इनकी राजनीतिक अहमियत काफी ज्यादा बताई जा रही है। इन उपुचनावों में भाजपा, कांग्रेस, सपा, राजद, जद-यू और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की नई नवेली पार्टी जन सुराज पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर है। उपचुनाव के नतीजे इन दलों के रसूख एवं उनके दबदबे को तय करने वाले होंगे।
यूपी में नौ सीटों पर हो रहा उपचुनाव
सबसे पहले बात देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की। यहां नौ सीटों पर उपचुनाव हो रहा है। ये नौ सीटें हैं- अंबेडकर नगर की कटेहरी, मैनपुरी की करहल, कानपुर शहर की सीसामऊ, अलीगढ़ की खैर, प्रयागराज की फूलपुर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, गाजियाबाद शहर, मिर्जापुर की मझवां और मुरादाबाद की कुंदरकी। ये सीटें लोकसभा चुनाव में विधायकों के सांसद बनने के बाद खाली हुई हैं। इन सीटों पर सीधा मुकाबला एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच है। हालांकि, यूपी का यह उपचुनाव सीट बंटवारे पर सपा और कांग्रेस के बीच अंदरूनी खींचतान एवं गतिरोध को लेकर ज्यादा है। रणनीतिकारों का मानना है कि सीट बंटवारे पर अखिलेश यादव ने ऐसा दांव चला कि कांग्रेस हाथ मलते रह गई। कांग्रेस चुनाव लड़ने के लिए पांच सीट चाह रही थी लेकिन सपा मुखिया ने दो सीटें गाजियाबाद और खैर को छोड़कर उसकी मंशा पर पानी फेर दिया। अब कांग्रेस ने उप चुनाव से अपने हाथ खींच लिए हैं। उसने पूरा मैदान सपा के लिए छोड़ दिया है।
सपा और कांग्रेस में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं?
लोकसभा चुनाव में यूपी में छह सीटें जीतने वाली और कई सीटों पर दमदार प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस ने सपा के सामने सरेंडर क्यों किया? यह एक अलग बहस है। सूत्रों का कहना है कि यूपी की राजनीति में मरणासन्न अवस्था और हाशिये पर पहुंच चुकी कांग्रेस ने बीते लोकसभा चुनाव में जिस तरह से प्रदर्शन किया, उससे भीतर ही भीतर समाजवादी पार्टी डरी हुई है। उसे डर है कि यूपी में कांग्रेस अगर मजबूत हुई या पनपने का मौका मिला तो इसका राजनीतिक नुकसान उसी को होगा। क्योंकि दोनों की विचारधारा और डीएनए कमोबेश एक जैसा ही है। इसलिए, सीट बंटवारे पर सपा ने दांव चला। पांच सीटों की मांग करने वाली कांग्रेस के खाते में उसने उन दो सीटों को डाला जहां उसकी जीत की संभावना कम हो। उपचुनाव से कांग्रेस के पीछे हटने के बाद सपा ने अब खैर और गाजियाबाद सीट पर भी अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। गाजियाबाद से सिंह राज जाटव को और खैर से डॉ. चारू कैन को टिकट दिया है। सपा अब सभी नौ सीटों पर चुनाव अपने प्रत्याशी उतार चुकी है। जाहिर है कि कांग्रेस और सपा में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है लेकिन ऑल इज वेल दिखाने की कोशिश हो रही है।
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बिहार में PK की पहली सियासी परीक्षा
अब बात बिहार की। बिहार में विधानसभा की चार सीटों पर उप चुनाव हो रहा है। ये चार सीटें हैं-रामगढ़, तरारी, बेलागंज और इमामगंज। बिहार उपचुनाव में इन सीटों पर मुकाबला इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच है तो है ही उपचुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज पार्टी की एंट्री ने इस चुनाव को और दिलचस्प और रोचक बना दिया है। रणनीतिकार से नेता बने पीके के लिए उपचुनाव एक कठिन परीक्षा है। पीके की पार्टी का राजनीतिक भविष्य क्या होगा, यह भी बहुत कुछ चुनाव नतीजे से तय होगा। बेलागंज और रामगढ़ सीट यदि राजद अपने पास रखने में सफल हो जाती है तो उसके सीटों की संख्या बढ़कर 79 हो जाएगी, जो कि भाजपा से एक अधिक होगी। यहां उपचुनाव के नतीजे राज्य की राजनीति में नया मोड़ और सत्ता समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।
राजस्थान में सात सीटों पर मुकाबला
राजस्थान में सात सीटों पर उपचुनाव हो रहा है। ये सात सीटें हैं -झुंझुनू, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, चौरासी, सलूंबर और रामगढ़। प्रदेश की 7 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच आमने-सामने का मुकाबला है। असम की पांच सीटों बेहाली, सिडली, बोंगाईगांव, धोलाई और सामागुरी सीट पर कर्नाटक की चन्नपटना, संदूर, शिग्गांव। पंजाब की गिद्दड़बाहा, डेरा बाबा नानक, चब्बेवाल और बरनाला। मप्र की बुधनी। बंगाल की मदारीहाट, नैहाटी, मेदिनीपुर, तालडांगरा। सिक्किम की सोरेंग-चाकुंग, नामची- सिंघीथांग सीट पर उपचुनाव है। केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी उम्मीदवार हैं। इस सभी सीटों पर मतदान 13 नवंबर को होगा और इन सभी सीटों के चुनाव परिणाम 23 नवंबर को महाराष्ट्र और झारखंड के साथ आएंगे।
जाहिर है कि इन राज्यों के चुनाव नतीजे दूरगामी परिणाम और सियासी समीकरणों को प्रभावित करने वाले होंगे। इनकी धमक संसद के शीतकालीन सत्र में भी महसूस की जाएगी। उपचुनाव के नतीजे दलों के रुतबे बढ़ाने और घटाने के साथ-साथ गठबंधन की राजनीति में भी उथल-पुथल पैदा कर सकते हैं।
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