Balasore train Accident: क्या है इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम, जिसमें हुई गड़बड़ी और हो गया ओडिशा रेल हादसा

Balasore train Accident: ओड़िसा के बालासोर में बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास शुक्रवार शाम करीब सात बजे कोरोमंडल एक्सप्रेस मुख्य लाइन के बजाय लूप लाइन में प्रवेश करने के बाद वहां खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई थी। इस हादसे की चपेट में बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस भी आ गई थी।

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Updated Jun 4, 2023 | 04:33 PM IST

What is electronic interlocking system

क्या है इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल
मुख्य बातें
  • शुक्रवार को हुआ है ओडिशा में बड़ा रेलवे हादसा
  • एक के बाद एक 3 ट्रेनें हुईं हैं हादसे की शिकार
  • दो यात्री ट्रेन और एक मालगाड़ी हुई हादसे का शिकार
Balasore train Accident: ओडिशा रेल हादसा, जिसे बालासोर ट्रेन एक्सीडेंट का नाम भी दिया जा रहा है, उसमें 288 लोगों की मौत हो चुकी है। ओडिशा के बालासोर में हुए इस हादसे में एक गड़बड़ी की वजह से तीन ट्रेनें हादसे का शिकार हो गईं। एक एक्सप्रेस, एक सुपरफास्ट और एक मालगाड़ी। यह हादसा इतना जबरदस्त था कि आज हादसे को हुए दो दिन हो चुके हैं, लेकिन उस रूट पर रेल सेवा बहाल नहीं हो पाई है। अब जो रेलवे की ओर से जानकारी सामने आई है, उससे यह पता चला है कि इस हादसे के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में हुई गड़बड़ी जिम्मेदार है।

क्या है इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम (What is Electronic Interlocking System)

रेलवे का इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम पर ही ट्रेनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम, रेलवे जंक्शनों, स्टेशनों और सिग्नलिंग प्वाइंट पर ट्रेन की आवाजाही के सुरक्षित और कुशल संचालन को सुनिश्चित करता है। यह सिग्नल, पॉइंट (स्विच) और ट्रैक सर्किट के आंकड़ों पर काम करता है। इसमें गलती की गुंजाइश काफी हद तक कम होती है। मानवीय भूल का खतरा भी नहीं होता है, जिससे यह सिस्टम काफी अच्छा माना जाता रहा है।

काफी समय से सेवा में है इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम

इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम रेलवे का एक अभिन्न अंग है, जिसके माध्यम से एक यार्ड में कार्यों को नियंत्रित किया जाता है। जो नियंत्रित क्षेत्र के माध्यम से ट्रेन के सुरक्षित मार्ग को सुनिश्चित करता है। रेलवे सिग्नलिंग अन-इंटरलॉक्ड सिग्नलिंग सिस्टम, मैकेनिकल और इलेक्ट्रो-मैकेनिकल इंटरलॉकिंग से लेकर आज के आधुनिक सिग्नलिंग तक एक लंबा सफर तय कर चुका है। इसमें कोई भी बदलाव आसानी से किया जा सकता है, क्योंकि यह सॉफ्टवेयर आधारित सिस्टम है।

कैसे करता है काम

इंटरलॉकिंग सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि पॉइंट- जो ट्रैक का मूवेबल सेक्शन होता, जिसे ट्रेनों को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर बदलने में इस्तेमाल किया जाता है। यह ट्रेन के गुजरने से पहले, निर्देश मिलते ही लॉक हो जाता है, ताकि ट्रेन सुरक्षित रूप से क्रॉस कर सके। ट्रैक सर्किट- ट्रैक पर स्थापित विद्युत सर्किट होते हैं जो ट्रेन की उपस्थिति का पता लगाते हैं। वे यह निर्धारित करने में मदद करते हैं कि ट्रैक का एक हिस्सा भरा हुआ है या खाली है, इंटरलॉकिंग सिस्टम इसी तरह से ट्रेनों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करता है।

बालासोर रेल हादसे में क्या हुआ

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ओडिशा रेल हादसे को लेकर रविवार को कहा कि ट्रेन हादसे की असल वजह की पहचान कर ली गई है। उन्होंने कहा कि हादसे की वजह रेलवे सिग्नल के लिए अहम प्वाइंट मशीन और इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से संबंधित है। वैष्णव ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में किए गए बदलाव की पहचान कर ली गई है जिसके कारण यह हादसा हुआ।
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