कांग्रेस, AIMIM ने किया 'खेल', दिल्ली चुनाव में AAP हो गई 'फेल', केजरीवाल के वोट बैंक में लगी सेंध

Delhi Assembly Election Result : बादली, सुल्तानपुर माजरा, बाबरपुर और मुस्तफाबाद पर दलित, मुस्लिम और प्रवासी मजदूरों की आबादी ज्यादा है, वहां भी कांग्रेस ने दमदार उम्मीदवार उतारकर आम आदमी पार्टी की जीत की राह मुश्किल कर दी। उत्तर पूर्व दिल्ली की सीलमपुर सीट पर मुस्लिम आबादी का दबदबा है। इस सीट पर मुस्लिम वोटर करीब 57 प्रतिशत हैं।

Delhi Chunav 2025

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025।

Delhi Assembly Election Result : दिल्ली चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की बड़ी जीत होती दिख रही है। रुझान करीब-करीब स्थिर हो गए हैं। अभी तक के रुझान यदि नतीजों में तब्दील हो गए तो राजधानी में भाजपा की सरकार बननी तय है। इस बार चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया है। उसके वोट शेयर करीब 34 प्रतिशत का इजाफा हुआ है तो वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) को भारी नुकसान हुआ है। केजरीवाल की पार्टी को करीब 35 फीसद वोट कम मिले हैं। मुस्लिम बहुल इलाकों में कांग्रेस को काफी ज्यादा वोट मिले हैं। दिल्ली में AAP की हार को केजरीवाल को बहुत बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा की इस जीत के पीछे एक्सपर्ट कई वजह देख रहे हैं। दिल्ली चुनाव नतीजे पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि दिल्ली में भाजपा सरकार बनाने जा रही है।

AIMIM-कांग्रेस ने उतारे मुस्लिम उम्मीदवार

एक्सपर्ट का कहना है कि इस चुनाव में AAP को सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने पहुंचाया है। मुस्लिम बहुल सीटों पर ओवैसी और कांग्रेस दोनों ने अपने उम्मीदवार कद्दावर उम्मीदवार उतारे। इससे मुस्लिम वोट तीन पार्टियों के बीच बंटा और इस वोट बंटवारे और त्रिकोणीय एवं चुतष्कोणीय लड़ाई का फायदा भाजपा को मिला। मुस्लिम वोट जहां बंटे वहीं, हिंदू वोट करीब-करीब एक मुश्त भाजपा को मिले।

AAP के वोट बैंक में लग गई सेंध

इनके अलावा जिन सीटों जैसे कि बादली, सुल्तानपुर माजरा, बाबरपुर और मुस्तफाबाद पर दलित, मुस्लिम और प्रवासी मजदूरों की आबादी ज्यादा है, वहां भी कांग्रेस ने दमदार उम्मीदवार उतारकर आम आदमी पार्टी की जीत की राह मुश्किल कर दी। उत्तर पूर्व दिल्ली की सीलमपुर सीट पर मुस्लिम आबादी का दबदबा है। इस सीट पर मुस्लिम वोटर करीब 57 प्रतिशत हैं। कभी यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। हालांकि, 2015 और 2010 के चुनाव में यहां से AAP विजयी हुई। कांग्रेस ने इस बार इस सीट पर अब्दुल रहमान को टिकट दिया। रहमान का मुकाबला AAP के चौधरी जुबेर अहमद से था। रहमान AAP के मौजूदा विधायक हैं जो चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए।

दलित वोटरों के बीच कांग्रेस ने बनाई पैठ

यही नहीं, दिल्ली की जिन सीटों पर मुस्लिम आबादी ज्यादा है, वहां कांग्रेस ने मुस्लिम उम्मीदवारों को खड़ा कर केजरीवाल के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं। इन सीटों पर कांग्रेस एक बड़े खिलाड़ी के रूप में उभरी। मुस्लिम बहुल वाली मटिया महल जहां मुस्लिम मतदाता करीब 60 फीसद, बल्लीमारान (मुस्लिम वोटर 50%) और चांदनी चौक (मुस्लिम वोट 30 फीसदी) पर कांग्रेस ने मजबूती से चुनाव लड़ा है। दलित बहुल सीट सीमापुरी और सुल्तानपुरी माजरा पर भी कांग्रेस ने अपना पूरा दम-खम लगाया। मुस्लिम बहुल सीटों पर एआईएमआईएम के उम्मीदवारों ने लोगों से वोट देने की भावुक अपील की। इसका असर यह हुआ कि मुस्लिम वोटर जो AAP के मतदाता थे, उन्होंने AIMIM को वोट दिया।

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कांग्रेस ने शीला दीक्षित के नाम पर मांगे वोट

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत में झुग्गी-झोपड़ी की अहम भूमिका रही है लेकिन इस बार कांग्रेस ने अपने पूर्व सीएम शीला दीक्षित का नाम लेकर केजरीवाल के इस वोट बैंक में सेंध लगाई। कांग्रेस के नेता झुग्गी-झोपड़ी में गए और उन्हें शीला दीक्षित के विकास कार्यों और उनके लिए शुरू की गईं कल्याणकारी योजनाओं को याद दिलाया। कांग्रेस ने बताया कि जेजे कॉलोनी की व्यवस्था उसी ने की। दलित वोटर आज भी शीला दीक्षित का आभार जताते हैं। कांग्रेस ने चुनाव में इस बात को भुनाया।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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