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दीघा में भाजपा की होगी हैट्रिक या लेफ्ट का खुलेगा खाता? जमीन तलाश रहीं सुशांत सिंह राजपूत की बहन दिव्या

Digha Assembly Election 2025: दीघा सीट से भाकपा (माले) ने दिव्या गौतम दांव लगाया तो भाजपा ने एक बार फिर संजीव चौरसिया को उम्मीदवार बनाया और प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली जनसुराज ने रितेश रंजन को मैदान में उतारा है। इस चुनाव में भाजपा और भाकपा (माले) के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है।

Digha Assembly Election.

दीघा विधानसभा सीट

Digha Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख के नजदीक आते ही राजनीतिक दलों ने वादों का पिटारा खोल दिया और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी तेज कर दिए। बिहार में 6 नवंबर दिन गुरुवार को पहले चरण की 121 सीटों पर मतदान होने वाला है जिसमें 1314 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है। इन्हीं सीटों में 'दीघा सीट' भी शामिल है, जहां से भाकपा (माले) की दिव्या गौतम मैदान में हैं तो चलिए विस्तार से दीघा सीट का हाल जानते हैं।

पटना जिले की दीघा विधानसभा सीट सिर्फ एक चुनावी क्षेत्र नहीं, बल्कि बिहार की बदलती राजनीति और विकास की कहानी का जीता-जागता सबूत है। इस सीट पर सबकी निगाहें टिकी रहती हैं, क्योंकि दीघा की 'महिला वोटर' किसी भी दल की किस्मत पलटने का माद्दा रखती हैं। ऐसा कहा जाता है कि दीघा में जिस तरफ महिलाओं का रुख होता है उसी दल को जीत मिलती है।

कौन-कौन आजमा रहा किस्मत

दीघा सीट से भाकपा (माले) ने दिव्या गौतम दांव लगाया तो भाजपा ने एक बार फिर संजीव चौरसिया को उम्मीदवार बनाया और प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली जनसुराज ने रितेश रंजन को मैदान में उतारा है। इस चुनाव में भाजपा और भाकपा (माले) के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। पिछले चुनाव में भी दोनों के बीच ही कड़ी टक्कर देखने को मिली थी, लेकिन भाजपा ने चुनावी बाजी मारी थी।

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दिव्या गौतम महागठबंधन की उम्मीदवार और भाकपा (माले) की एकमात्र महिला चेहरा हैं। लंबे समय से लेफ्ट की राजनीति में शामिल रही हैं। उनकी एक पहचान दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की ममेरी बहन के तौर पर भी है।

दीघा सीट का चुनावी सफर भले ही छोटा हो, लेकिन बेहद रोमांचक रहा है। 2008 में परिसीमन के बाद दीघा सीट अस्तित्व में आई और 2010 में यहां पहला विधानसभा चुनाव हुआ। 2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू की पूनम देवी ने 60,462 वोटों के बड़े अंतर से चुनावी सफलता हासिल की थी, जबकि 2015 में जदयू और भाजपा का गठबंधन टूटने के बाद भाजपा प्रत्याशी संजीव चौरसिया ने 24,779 वोटों के अंतर से चुनाव जीता था और 2020 में लगातार दूसरी बार संजीव चौरसिया ने जीत दर्ज की, लेकिन इस बार उनकी जीत का अंतर पिछने चुनावों से ज्यादा था। संजीव चौरसिया ने 2020 के विधानसभा चुनाव में भाकपा (माले) की शशि यादव को 46,234 वोट से शिकस्त दी थी।

जातिगत समीकरण

2020 के विधानसभा चुनावों में यहां 4,60,868 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 4,73,108 हो गए। यह क्षेत्र केवल 1.76 प्रतिशत ग्रामीण मतदाताओं के साथ पूरी तरह से शहरी है। दीघा में पटना नगर निगम के 14 वार्ड और छह पंचायतें शामिल हैं। पाटलिपुत्र हाउसिंग कॉलोनी जैसे पटना के सबसे समृद्ध और पॉश इलाके भी इसी क्षेत्र का हिस्सा हैं। गंगा नदी के किनारे बसा यह क्षेत्र अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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चुनावी गणित में जातिगत समीकरणों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यद्यपि जाति-आधारित जनसंख्या का कोई आधिकारिक डेटा नहीं है, लेकिन यहां कायस्थ समुदाय की बड़ी संख्या मानी जाती है, जिसे पारंपरिक रूप से भाजपा का मजबूत समर्थक माना जाता है। इसके अलावा, 2020 के आंकड़ों के अनुसार, यहां अनुसूचित जाति के मतदाता 10.68 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाता 9.4 प्रतिशत थे।

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अनुराग गुप्ता
अनुराग गुप्ता Author

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