चकाई विधानसभा चुनाव 2025
Chakai Assembly Constituency Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव का माहौल गर्म है। तमाम राजनीतिक दल हर सीट पर जीत का समीकरण बैठाने में जुटे हुए हैं। लेकिन राज्य में कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जहां हर बार मतदाताओं का मिजाज बदल जाता है। जमुई जिले की चकाई विधानसभा सीट भी ऐसी ही एक ऐसी ही सीट मानी जाती है। बिहार में विधानसभा चुनाव दो चरणों में संपन्न होंगे, जिसमें 243 सीटों में से चकाई विधानसभा क्षेत्र भी शामिल है। इस सीट पर मतदान 11 नवंबर 2025 को दूसरे चरण में होगा और वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी।
चकाई में इस बार बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी और आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी। बीते 35 वर्षों में यहां कोई भी विधायक अपनी सीट पर दोबारा कब्जा नहीं जमा पाया है। यानी, जो भी नेता एक बार चुना गया, अगली बार चुनाव हार गया। चकाई की राजनीति को लेकर जानकार भी असमंजस में रहते हैं, क्योंकि यहां का जनमत हमेशा अप्रत्याशित रहा है। यह सीट राजनीतिक विश्लेषकों के लिए भी पहेली बनी हुई है, क्योंकि यहां जनता का मूड हर बार कुछ नया संकेत देता है। दिलचस्प बात यह है कि इस सीट पर अस्थिरता के बावजूद दो परिवारों का दबदबा बना रहा है। अब तक हुए 15 विधानसभा चुनावों में से 13 बार सत्ता की कुर्सी श्रीकृष्ण सिंह और फाल्गुनी प्रसाद यादव के परिवारों के बीच ही घूमती रही है। सिर्फ 1972 और फरवरी 2005 में इस परंपरा में बदलाव देखने को मिला, लेकिन कुछ ही समय बाद वही पुराने चेहरे फिर से सत्ता में लौट आए।
चकाई विधानसभा सीट पर पहला चुनाव 1962 में हुआ था, जब यह सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित थी। उस समय सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार लखन मुर्मू ने कांग्रेस प्रत्याशी भागवत मुर्मू को 2,404 वोटों के अंतर से हराकर पहली बार विधायक बनने का मौका हासिल किया। इसके बाद 1967 में यह सीट सामान्य श्रेणी में आ गई, और यहीं से शुरू हुआ दो प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों के बीच लंबा मुकाबला।
1967 और 1969 के चुनावों में श्रीकृष्ण सिंह ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की और अपना दबदबा कायम किया। हालांकि, 1972 के चुनाव में कांग्रेस के चंद्रशेखर सिंह ने यह वर्चस्व तोड़ दिया। बाद में वे बिहार के मुख्यमंत्री भी बने। 1977 में फाल्गुनी प्रसाद यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतकर राजनीति में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने जनता पार्टी के नरेंद्र प्रसाद सिंह को बेहद करीबी मुकाबले में सिर्फ 95 वोटों से पराजित किया। इसके बाद 1980 के चुनाव में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर दोबारा जीत दर्ज की, जिससे उनकी राजनीतिक पकड़ और मजबूत हो गई।
1985 में श्रीकृष्ण सिंह के पुत्र नरेंद्र सिंह ने पहली बार चकाई विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर राजनीति में अपनी शुरुआत की। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए फाल्गुनी यादव को 33,128 वोटों के बड़े अंतर से पराजित किया। इसके बाद नरेंद्र सिंह ने 1990 में जनता दल और 2000 में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में भी जीत दर्ज की, जिससे उनकी राजनीतिक पकड़ मजबूत होती गई। वहीं, फाल्गुनी यादव ने 1995 और अक्टूबर 2005 के चुनाव में वापसी करते हुए कुल चार बार इस सीट पर जीत हासिल की। साल 2005 में दो बार विधानसभा चुनाव हुए। फरवरी में नरेंद्र सिंह के बेटे अभय सिंह ने लोक जनशक्ति पार्टी के प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की, लेकिन उसी वर्ष अक्टूबर में फाल्गुनी प्रसाद यादव ने एक बार फिर से बाजी मारते हुए अंतिम बार विधायक बने और अपनी राजनीतिक पकड़ को फिर साबित किया।
2010 में श्रीकृष्ण सिंह के परिवार की तीसरी पीढ़ी के सुमित कुमार सिंह ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के टिकट पर चुनाव लड़ा और बेहद करीबी मुकाबले में जीत हासिल की। इसके बाद 2015 के चुनाव में यादव परिवार से सवित्री देवी ने राजनीति में कदम रखा। राजद के टिकट पर उन्होंने सुमित कुमार सिंह को 12,113 वोटों से हराया और चकाई से जीतने वाली पहली महिला विधायक बनीं। हालांकि, 2020 के चुनाव में सुमित कुमार सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में वापसी की और बेहद कड़े मुकाबले में सवित्री देवी को महज 581 वोटों के अंतर से हराकर एक बार फिर विधायक बने।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें चुनाव से जुड़ी सभी छोटी बड़ी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। भारत के चुनाव (Elections) अपडेट और विधानसभा चुनाव के प्रमुख समाचार पाएं Times Now Navbharat पर सबसे पहले ।