CBSE Sugar Board: बच्चों की सेहत सुधारने के लिए CBSE की अनोखी पहल, अब स्कूलों में लगेंगे शुगर बोर्ड, जानें क्या होगा इसका फायदा

CBSE Sugar Board: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' के 122वें एपिसोड के जरिए देशवासियों से बात की। इस खास एपिसोड में उन्होंने कई अहम मुद्दों पर अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने सीबीएसई के शुगर बोर्ड के फैसले की भी सराहना की। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे की आखिर शुगर बोर्ड क्या है और इससे बच्चों को क्या फायदा मिलेगा।

CBSE Sugar Board

CBSE Sugar Board

CBSE Sugar Board: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य पहल की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य स्कूलों में छात्रों के बीच अत्यधिक चीनी सेवन के खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इस पहल के तहत, सभी संबद्ध स्कूलों को 'शुगर बोर्ड' स्थापित करने का निर्देश दिया गया है, जो छात्रों को स्वस्थ आहार विकल्पों के बारे में शिक्षित करने में मदद करेगा। इसके अलावा स्कूलों को छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए जागरूकता सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। सभी स्कूलों को 15 जुलाई 2025 तक इन गतिविधियों की रिपोर्ट और तस्वीरें CBSE को प्रस्तुत करनी होंगी।

बीते कुछ सालों में भारत में बच्चों में टाइप 2 मधुमेह और मोटापे के मामलों में वृद्धि देखी गई है। CBSE के आंकड़ों के अनुसार, 4 से 10 वर्ष के बच्चे अपनी दैनिक कैलोरी का लगभग 13% और 11 से 18 वर्ष के किशोर लगभग 15% चीनी से प्राप्त कर रहे हैं, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सिफारिश केवल 5% है। इस बढ़ते स्वास्थ्य संकट का मुख्य कारण स्कूलों और उनके आसपास आसानी से उपलब्ध स्नैक्स और प्रोसेस्ड फूड्स हैं। इसलिए CBSE ने शुगर बोर्ड पहल के माध्यम से छात्रों को प्रारंभिक स्तर पर ही स्वस्थ आहार विकल्पों के प्रति जागरूक करने का निर्णय लिया है।

शुगर बोर्ड क्या है?

CBSE द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार, शुगर बोर्ड एक शैक्षिक डिस्प्ले बोर्ड है, जिसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को अत्यधिक चीनी के सेवन के जोखिमों के बारे में जागरूक और शिक्षित करना होगा। बोर्ड ने स्पष्ट किया कि इन 'शुगर बोर्डों' पर नीचे दी गई आवश्यक जानकारी प्रदर्शित की जानी चाहिए:

  • बच्चों के लिए रिकमंडेट डेली शुगर का इंटेक।
  • आमतौर पर खाए जाने वाले फूड और ड्रिंक्स में चीनी की मात्रा।
  • ज्यादा चीनी के सेवन से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम।
  • स्वस्थ आहार विकल्प, जैसे फल, साबुत अनाज, और कम-चीनी वाले स्नैक्स।
  • रिसर्च से पुष्ट बढ़ती स्वास्थ्य चिंताएं।

देश भर के कई स्कूलों ने इस पहल का स्वागत किया है। कुछ स्कूलों ने पहले से ही जंक फूड पर प्रतिबंध और स्वस्थ भोजन विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं। अब, शुगर बोर्ड की स्थापना से यह प्रयास और भी मजबूत होगा।

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अंकिता पाण्डेय author

मैं अंकिता पान्डे Timesnowhindi.com जुड़ी हूं । मैं उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर प्रतापगढ़ में पली बढ़ी हूं। शुरुआती पढ़ाई लिखाई भी वहीं रहकर हुई। ज...और देखें

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