मर्डर के तार अतीक अहमद तक लेकिन उमेश पाल पर क्यों भड़कीं थीं पूजा पाल, कौन हैं वो
बताया जा रहा है कि उमेश पाल की हत्या के 24 घंटे के बाद समाजवादी पार्टी की विधायक पूजा पाल उनके घर पहुंची थीं। उमेश पाल का परिवार से बहस भी हुई थी हालांकि समझाने बुझाने के बाद माहौल ठंडा हुआ।
पूजा पाल, समाजवादी पार्टी की विधायक
Who is Pooja pal: तारीख 25 फरवरी 2023, समय शाम के पांच बजे। एक शख्स अपने घर में दाखिल हो रहा होता है कि एकाएक गोलियां चलने लगती हैं। उस शख्स के साथ उसका गनर भी होता है। अंधाधुंध फायरिंग और बमबाजी में की चपेट आए दो की मौत हो जाती है और तीसरा अस्पताल में मौत से लड़ाई लड़ रहा है। अब सवाल यह है कि हमला किस पर हुआ। जिस शख्स पर हमला हुआ उसका नाम उमेश पाल था और वो बीएसपी विधायक रहे राजू पाल हत्याकांड का मुख्य गवाह था। इस हत्याकांड में गुजरात की जेल में बंद कुख्यात माफिया अतीक अहमद का नाम सामने आया है। पीड़ित परिवार ने अतीक अहमद, उसकी पत्नी, दो बेटों और भाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी है। पुलिस तफ्तीश और मेडिकल रिपोर्ट में यह बात सामने आ रही है कि कुल सात बदमाशों में से से दो शूटर अतीक के हैं और उमेश पाल को सात गोली मारी गई थी। इन सबके बीच पूजा पाल को लेकर क्या खुलासा हो रहा है उसे भी समझना जरूरी है। बता दें कि पूजा पाल (इस समय समाजवादी पार्टी की विधायक) बीएसपी विधायक रहे राजू पाल की पत्नी और रिश्ते में उमेश पाल की बहन लगती हैं।
उमेश पाल पर क्यों भड़की थीं पूजा पाल
बताया जा रहा है कि पूजा पाल एक बार उमेश पाल के घर गई थीं और वहां पर अतीक अहमद के गुर्गों को देखा था। जब उन्होंने अतीक के गुंडों को देखा तो उमेश पाल से पूछा था कि आखिर ये लोग कैसे यहां पर। उस घटना के बाद दोनों में मनमुटाव भी था। बता दें कि उमेश पाल भले ही राजू पाल से करीबी तौर पर जुड़ा रहा को जब गवाही का समय आया तो उसने अतीक के पक्ष में गवाही दी और कहा कि उसका अपहरण कर दबाव में बयान दिलाया गया।
अतीक अहमद, राजू पाल, उमेश पाल और पूजा पाल, सभी कड़ियों को समझें
- प्रयागराज वेस्ट एक तरह से अतीक के दबदबे वाला इलाका माना जाता रहा है।
- अतीक अहमद कई दलों के जरिए विधायक और एमपी बनने में कामयाब रहा
- समाजवादी पार्टी और बीएसपी की तरफ से टिकट मिला
- 2005 में बीएसपी विधायक राजू पाल सीन में आते हैं
- अतीक अहमद के भाई को हराकर राजू पाल विधानसभा में दाखिल होते हैं।
- विधायक बनने के दो महीने बाद ही 25 जनवरी 2005 को हत्या होती है
- आरोप अतीक अहमद पर लगता है
- हत्या के समय राजू पाल के साथ उमेश पाल भी होते हैं
- उमेश पाल, राजू पाल का करीबी होने की वजह से मुख्य गवाह बनता है।
- इस बीच उमेश पाल के घर अतीक के गुर्गे दिखाई देते हैं जिस पर राजू पाल की पत्नी सवाल पूछती हैं।
- उसके बाद उमेश पाल और पूजा पाल के रिश्तों में खटास आती है।
- उमेश पाल, अतीक अहमद के पक्ष में गवाही करता है। लेकिन अपहरण और दबाव की भी बात कहता है।
- राजू पाल हत्याकांड में जिरह अपने अंतिम चरण में थी
- करीब 6 हफ्ते में फैसला आना था।
- 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या हो जाती है।
पूजा पाल ने बताया जान को खतरा
बता दें कि समाजवादी पार्टी एमएलए पूजा पाल ने अपनी जान पर भी खतरा बताया है और योगी आदित्यनाथ सरकार से सुरक्षा की मांग की है। इस बीच विधानसभा में 25 फरवरी को जब नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने सवाल उठाए तो योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गुंडों और माफियाओं को किसने पाला था। उनकी सरकार माफियाओं के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पर काम कर रही है और उन्हें मिट्टी में मिला देंगे।
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