Best Places to Visit Near Prayagraj: यह संगम नगरी के पौराणिक मंदिर, जानिए क्या है इनका इतिहास

Best Places to Visit Near Prayagraj: त्रिवेणी संगम की नगरी प्रयागराज में कई पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर मौजूद है। संगम तट पर मौजूद ‘मनकामेश्वर मंदिर’ का वर्णन धर्म ग्रंथों में मिलता है। श्रीराम जब वनवास पर जा रहे थे तो यहां पर भगवान शिव का जलाभिषेक किया था। मान्यता है कि यहां पर आने वाले भक्‍तों की भगवान शिव हर मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

Ancient Temple of Prayagraj

प्रयागराज मनकामेश्वर मंदिर

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • कामदेव को भस्म करने के बाद लिंग के रूप में यहां हुए स्‍थापित
  • मनकामेश्वर के साथ यहां सिद्धेश्वर और ऋणमुक्तेश्वर भी विराजमान
  • स्कंद पुराण और पदम पुराण में किया गया है इस मंदिर का वर्णन

Best Places to Visit Near Prayagraj: त्रिवेणी संगम की नगरी प्रयागराज को सनातन धर्म का केंद्र माना जाता है। यहां पर कई ऐसे पौराणिक और आध्यात्मिक स्थल मौजूद हैं जो इस नगरी की प्राचीनता और पौराणिकता महत्‍व को बताते हैं। यहां के अनेकों मंदिर रामायण काल और महाभारत काल से जुड़े हैं और इनका वर्णन धर्म ग्रंथों में मिलता है। भगवान शिव को समर्पित ऐसा ही एक पौराणिक मंदिर ‘मनकामेश्वर मंदिर’ गंगा,यमुना और सरस्वती के संगम तट पर मौजूद है। इस मंदिर में पूरे साल भक्‍तों की भीड़ लगी रहती है। मान्यता है कि यहां पर आने वाले भक्‍तों की भगवान शिव हर मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इसलिए यहां पर आसपास के जिलों के अलावा दूसरे राज्‍यों के भक्‍त भी पहुंचते हैं।

इस मंदिर में भगवान मनकामेश्वर के अलावा सिद्धेश्वर और ऋणमुक्तेश्वर भी शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। इसके अलावा यहां पर हनुमान जी भी दक्षिणमुखी रूप में विराजमान हैं। यहां भैरव, यक्ष और किन्नर भी विराजमान हैं। धार्मिक मान्यता है कि जहां पर भगवान शिव विराजमान होते हैं, वहां पर माता पार्वती का भी वास होता है। ऐसे में यहां आने वाले भक्‍तों को सभी के दर्शन और आर्शिवाद मिलता है। यहां पर सावन माह के अलावा सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि जैसी खास तिथियों पर हजारों-लाखों भक्‍तों की भीड़ उमड़ती है।

प्रभु राम ने यहां किया था भगवान शिव का जलाभिषेकमनकामेश्वर मंदिर के प्रबंधक ब्रम्हचारी श्रीधरानंद कहते हैं कि, इस पौराणिक मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण और पदम पुराण में कामेश्वर पीठ के तौर पर मिलता है। भगवान शिव ने कामदेव को भस्म करने के बाद यहीं पर लिंग के रूप में विराजमान हो गए थे। बताया जाता है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम जब वनवास जा रहे थे तो प्रयागराज में अक्षयवट के नीचे अपने भ्राता लक्ष्मण और माता सीता के साथ रूके थे। यहां से आगे बढ़ने से पहले प्रभु राम इस मंदिर पहुंच कर भगवान शिव का जलाभिषेक किया था। 14 वर्ष के वनवास के बाद जब श्रीराम वापस अयोध्या लौटने लगे तो पुनः यहां पर रूककर मनकामेश्वर शिव का दर्शन किया था। मान्‍यता है कि 51 सोमवार मनकामेश्वर महादेव के दर्शन करने से सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है। भक्‍तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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