नोएडा को मिल सकते हैं बांग्लादेश के हिस्से के 10 अरब डॉलर के ऑर्डर
Noida: बांग्लादेश के बिगड़े राजनीतिक हालात और हिंसा पर नोएडा के रेडीमेड गारमेंट्स के निर्यातक नजर बनाए हुए हैं। इन निर्यातकों का मानना है कि बांग्लादेश के बिगड़े हालात उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इन दिनों बांग्लादेश राजनीतिक संकट और हिंसा में फंसा हुआ है। देश की प्रधानमंत्री देश छोड़ चुकी हैं। बिगड़े हालतों की वजह से कुछ महीनों से वहां का व्यापार भी लगभग ठप पड़ा है। ऐसे में नोएडा के निर्यातकों को उम्मीद है कि वहां के बिगड़े हुए हालात उनके लिए संजीवनी का काम कर सकते हैं और बांग्लादेश को विदेशों से मिले अनेक ऑर्डर उन्हें मिल सकते हैं। उद्यमियों को लगता है कि इन बिगड़े हालातों में अगले तीन महीने में उन्हें 8 से 10 अरब डॉलर यानी करीब 839 अरब रुपये का रेडिमेड गारमेंट्स का ऑर्डर मिल सकता है।
मिल सकता है 839 अरब रुपये का ऑर्डर
आपको बता दें कि बांग्लादेश दुनिया का एक प्रमुख टैक्सटाइल निर्यातक देश है, जहां हर माह करीब 3.5 से 3.8 बिलियन डॉलर के कपड़े एक्पोर्ट किए जाते हैं। ऐसे में बांग्लादेश के हालात से भारत के टैक्सटाइल इंडस्ट्री को फायदा हो सकता है। वहां मची उथल-पुथल से एक्सपोर्ट का एक बड़ा हिस्सा भारत में शिफ्ट हो सकते हैं। हालांकि, चीन और इंडोनेशिया की नजर भी इस पर है, ऐसे में भारतीय निर्यातक को यह डर है कि चीन और इंडोनेशिया उनके अरमानों पर पानी फेर सकते हैं।
इंटरनेशनल खरीदार तलाश रहे ऑप्शन
बांग्लादेश में आए संकट से इंटरनेशनल खरीदार दूसरे ऑप्शन की तलाश कर रहे हैं और उनकी नजर भारत की तरफ है। ऐसे में अनुमान है कि अगर बांग्लादेश के एक्पोर्ट का 10 से 11% तिरुपुर जैसे भारत के केंद्रों में आता है तो भारत को हर महीने 8 से 10 बिलियन डॉलर का ऑर्डर मिलेगा।
भारत लौट सकते हैं बड़े ब्रांड्स
इसे लेकर नोएडा परिधान निर्यात क्लस्टर के अध्यक्ष ललित ठुकराल का कहना है कि रेडिमेड गारमेंट्स के कारोबार में बांग्लादेश उनका सबसे प्रमुख प्रतिद्वंद्वी है। उसे हमसे ज्यादा ऑर्डर मिलते हैं और वह ज्यादा एक्सपोर्ट करता है। इसके साथ ही जारा और मैंगो जैसे बड़े ब्रांड भी बांग्लादेश से ही अपने ऑर्डर बनावाते हैं, लेकिन उम्मीद है कि ऐसे हालात में ये ब्रांड्स वापस भारत की तरफ लौटेंगे।
भारत में उत्पाद तैयार करना महंगा
अगर ऐसा होता है तो करीब आठ से दस बिलियन डालर के ऑर्डर मिल सकते हैं। हालांकि, उनका ये भी कहना है कि दूसरे देशों में उन पर ड्यूटी नहीं लगती और भारत में यह 9% है। यहां पर जीएसटी और अन्य टैक्स की वजह से उत्पाद तैयार करना महंगा होता है, जिससे कि सरकार को इसमें छूट देनी चाहिए।
चीन और इंडोनेशिया की भी नजर
हालांकि, इन ऑर्डर को लेने के लिए चीन और इंडोनेशिया के कारोबारी भी लगे हुए हैं। वहीं सरकारी सुविधाओं की वजह से वहां उनके उत्पाद सस्ते भी हैं। एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैन्यूफैक्चरर्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुलमणि गुप्ता का इस बारे में कहाना है कि नोएडा के रेडिमेड गारमेंट के निर्यातकों को बांग्लादेश में बिगड़े हालात का सीधा लाभ हो सकता है।
भारतीय कारोबारियों को है नुकसान
शशि नागिया जो रेडिमेड गारमेंटस की प्रमुख निर्यातक हैं उनका कहना है कि बांग्लादेश के इन हालात का नुकसान भी भारत के कारोबारियों को है। वहां टीशर्ट का काम ज्यादातर किया जाता है। कॉटन और दूसरे कपड़े भारत से ही बांग्लादेश भेजे जाते हैं। ऐसे में बांग्लादेश के इन हालातों से भारत को नुकसान होगा। दूसरे देशों के ऑर्डर भी भारत की तुलना में वियतनाम में ही अधिक जाने की संभावना है। वियतनाम में गारमेंट सस्ता है और उसकी गुणवत्ता भी अच्छी है।