Fiscal Deficit: अप्रैल-जुलाई में राजकोषीय घाटा पूरे साल के टारगेट के 17.2% पर
Fiscal Deficit: महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक राजकोषीय घाटा पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य का 17.2 प्रतिशत रहा है। जुलाई के अंत तक 2,76,945 करोड़ रुपये रहा है।
देश का राजकोषीय घाटा बढ़ा (तस्वीर-Canva)
Fiscal Deficit: चालू वित्त वर्ष के पहले चार माह में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य का 17.2 प्रतिशत रहा है। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, कुल मिलाकर राजकोषीय घाटा जुलाई के अंत तक 2,76,945 करोड़ रुपये रहा है। पिछले वित्त वर्ष (2023-24) की इसी अवधि में घाटा बजट अनुमान (बीई) का 33.9 प्रतिशत था।
केंद्रीय बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.6 प्रतिशत था। कुल मिलाकर, सरकार का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को 16,13,312 करोड़ रुपये तक सीमित रखना है।
चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के लिए केंद्र सरकार के आय-व्यय के आंकड़ों का खुलासा करते हुए सीजीए ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए शुद्ध कर राजस्व 7.15 लाख करोड़ रुपये या बजट अनुमान का 27.7 प्रतिशत था। जुलाई, 2023 के अंत तक शुद्ध कर राजस्व संग्रह अनुमान का 25 प्रतिशत था। जुलाई तक के चार महीनों में केंद्र सरकार का कुल व्यय 13 लाख करोड़ रुपये या बजट अनुमान का 27 प्रतिशत रहा। एक साल पहले समान अवधि में यह खर्च बजट अनुमान का 30.7 प्रतिशत था।
कुल व्यय में से 10,39,091 करोड़ रुपये राजस्व खाते में और 2,61,260 करोड़ रुपये पूंजी खाते में थे। कुल राजस्व व्यय में से 3,27,887 करोड़ रुपये ब्याज भुगतान के लिए तथा 1,25,639 करोड़ रुपये प्रमुख सब्सिडी के लिए थे।
सीजीए ने कहा कि जुलाई तक केंद्र द्वारा करों के हिस्से के रूप में राज्य सरकारों को 3,66,630 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 57,109 करोड़ रुपये अधिक है। राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और राजस्व के बीच का अंतर है। यह सरकार द्वारा आवश्यक कुल उधारी का संकेत है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि केंद्र का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई अवधि में आधे से अधिक घटकर 2.8 लाख रुपये रह गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 6.1 लाख करोड़ रुपये था। इसका कारण चुनावी महीनों के दौरान पूंजीगत व्यय में कमी और भारतीय रिजर्व बैंक से प्राप्त पर्याप्त लाभांश था। उन्होंने कहा कि राजस्व प्राप्तियों का परिदृश्य काफी अनुकूल प्रतीत होता है, जबकि पूंजीगत व्यय और विनिवेश लक्ष्य हासिल होने की संभावना कम है। (इनपुट भाषा)
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | बिजनेस (business News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
रामानुज सिंह author
रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वह बिजनेस टीम में ...और देखें
End of Article
संबंधित खबरें
Gold-Silver Rate Today 11 September 2024: सोना और चांदी हुए महंगे, 71590 रु पर आए गोल्ड के रेट, यहां जानें अपने शहर के रेट
Stocks To Watch Today: ऑयल इंडिया, इंडिगो, यूको बैंक और IREDA समेत इन शेयरों पर रखें नजर, चेक करें पूरी लिस्ट
Bajaj Housing Finance IPO: बजाज हाउसिंग फाइनेंस के आईपीओ को दूसरे दिन 7.5 गुना सब्सक्रिप्शन मिला
Cash Challenges: बैंक जमा की तुलना में लोन बढ़ोतरी अधिक होने से नकदी की चुनौतियां संभव
Onion Price: दिल्ली में प्याज के दाम में लगी आग, हुआ 80 रुपये प्रति किलो
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited