डिजिटल फ्रॉड पर लगेगी लगाम ! बैंक मिलकर डेवलप कर रहे यूनीक ऑनलाइन पोर्टल, जानें आपको कैसे होगा फायदा
Common Negative Registry Of Fraudsters: बैंकों ने नए पोर्टल पर रिजर्व बैंक के साथ चर्चा भी शुरू कर दी है। ये पोर्टल कर्जदाताओं को धोखाधड़ी के मामलों पर आसानी से जुड़ने और एक खाते से अलग-अलग खातों में पैसे ट्रांसफर होने वाले पैसे को रोकने और उसका पता लगाने में मदद करेगा।
बैंकों ने पोर्टल पर रिजर्व बैंक के साथ चर्चा शुरू की
- बैंक तैयार कर रहे नया पोर्टल
- डिजिटल फ्रॉड पर लगेगी लगाम
- बैंक कर रहे आरबीआई के साथ चर्चा
Common Negative Registry Of Fraudsters: डिजिटल फ्रॉड (Digital Frad) पर लगाम लगाने के लिए देश के बैंक एक बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। बैंक धोखेबाजों की एक कॉमन निगेटिव रजिस्ट्री तैयार करने की योजना बना रहे हैं जो डिजिटल धोखाधड़ी को रोकने और ऐसे मामलों का तेजी से सॉल्यूशन प्रोवाइड करने के लिए सभी बैंकों को रियल टाइम में जानकारी हासिल करने में मदद करेगी। कॉमन निगेटिव रजिस्ट्री एक ऑनलाइन पोर्टल होगा।
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आरबीआई के चर्चा शुरू
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार बैंकों ने प्रस्तावित पोर्टल पर रिजर्व बैंक (RBI) के साथ चर्चा भी शुरू कर दी है। ये पोर्टल कर्जदाताओं को धोखाधड़ी के मामलों पर आसानी से जुड़ने और एक खाते से अलग-अलग खातों में पैसे ट्रांसफर होने वाले पैसे को रोकने और उसका पता लगाने में मदद करेगा।
कैसे होती है धोखाधड़ी
डिजिटल फ्रॉड के ज्यादातर मामलों में, पैसा अलग-अलग बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन में फैले कई खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता है। कई बार इसका पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है, जिससे पैसा वापस मिलने में देरी होती है। कॉमन पोर्टल इन दिक्कतों को खत्म कर सकता है।
आरबीआई के ऑनलाइन विवाद समाधान (ओडीआर) और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) की तरफ से प्रोवाइड किए गए यूनिफाइड डिस्प्यूट एंड इश्यू रेजोल्यूशन (UDIR) के सिंक्रोनाइजेशन पर विचार-विमर्श चल रहा है।
2022-23 में कितने फ्रॉड हुए
2022-23 के दौरान, सरकारी बैंकों ने 21,125 करोड़ रु से जुड़े 3,405 धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए, जबकि प्राइवेट बैंकों ने 8,727 करोड़ रु से जुड़े 8,932 ऐसे मामले दर्ज किए। यह सारे मामले 1 लाख रु या उससे अधिक की धोखाधड़ी के हैं।
आरबीआई के निर्देशानुसार एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर या एसओपी तैयार किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अनधिकृत लेनदेन को बीच में ही रोक दिया जाए और एक प्रभावी, मजबूत सिस्टम स्थापित किया जाए।
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