गजब: देश का अनोखा रेलवे स्टेशन, जिसे भारतीय रेलवे नहीं बल्कि ग्रामीण चलाते हैं

Weird Fact: भारत में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है, जिसका संचलान भारतीय रेलवे नहीं बल्कि ग्रामीण करते हैं। एक समय था जब इस स्टेशन को बंद किया जा रहा था, लेकिन ग्रामीण इसके विरोध में धरने पर बैठ गए।

Unique jalsu railway station run by villagers Know All About It

ग्रामीण करते हैं इस स्टेशन का संचलान

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • देश का अनोखा रेलवे स्टेशन
  • भारतीय रेलवे नहीं बल्कि जालसू नानक हॉल्ट रेलवे स्टेशन को ग्रामीण चलाते हैं
  • इस स्टेशन पर 10 से ज्यादा ट्रेनें रुकती हैं

Ajab Gajab News: खबर की हेडिंग पढ़कर ही आपको समझ में आ गया होगा कि ये मामला काफी अजीबोगरीब है। आखिर हो भी क्यों ना? भला ऐसे कैसे हो सकता है, किसी रेलवे स्टेशन को आखिर ग्रामीण कैसे और किस तरह चला सकते हैं? आपके मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे होंगे। तो आज हम आपको ना केवल इन सभी सवालों का जवाब देंगे बल्कि ये भी बताएंगे कि आखिर इस तरह का फैसला क्यों लिया गया?

देश में सभी स्टेशनों का संचालन भारतीय रेलवे द्वारा किया जाता है। लेकिन, एक ऐसा स्टेशन है जिसका भारतीय रेलवे से कोई लेना-देना नहीं है। बल्कि, वहां के ग्रामीण ही इसका पूरी तरह संचालन करते हैं। इस रेलवे स्टेशन का नाम जालसू नानक हॉल्ट रेलवे स्टेशन है। ये रेलवे स्टेशन राजस्थान में है और नागौर जिले से तकरीबन 82 किलोमीटर दूर है। रिपोर्ट के अनुसार, इस स्टेशन का संचालन गांव वाले ही करते हैं। टिकट काटने से लेकर एक स्टेशन पर जितने काम होते हैं सभी गांव वाले करते हैं। इस स्टेशन 10 से ज्यादा ट्रेनें रुकती हैं। स्टेशन से हर महीने 30 हजार से ज्यादा आमदनी हो रही है और तकरीबन 1500 टिकट बेचे जाते हैं।

स्टेशन चलाने के लिए धरने पर बैठे थे ग्रामीण

रिपोर्ट के अनुसार, एक समय इस स्टेशन का संचालन भारतीय रेलवे ही करता था। साल 1976 में इस स्टेशन को चालू किया गया था। लेकिन, पॉलिसी के तहत उन रेलवे स्टेशन को बंद कर दिया गया, जो कम रेवेन्यू वाले थे। लिस्ट में इस स्टेशन का भी नाम था। साल 2005 में जब स्टेशन को बंद करने की बात सामने आई तो लोगों ने विरोध किया और 11 दिनों तक धरने पर बैठे रहे। हालांकि, गांव वाले ही इस स्टेशन को चलाएंगे इस शर्त पर स्टेशन को खोलने की बात रखी गई। गांव वालों ने इस शर्त को मान लिया और चंदा इकट्ठा कर डेढ़ लाख रुपए जमा किए गए। पांच हजार की सैलरी पर एक ग्रामीण को टिकट बेचने के लिए रखा गया। तब से लेकर अब तक ये स्टेशन ग्रामीण ही चला रहे हैं।

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Kaushlendra Pathak author

मूलरूप से बिहार के मधुबनी जिले का रहने वाला हूं और समस्तीपुर जिले में पला-बढ़ा। 12वीं करने के बाद देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का रूख किया और दिल्ल...और देखें

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