IND vs ENG: अश्विन ने पिता को समर्पित किया 500वां टेस्ट विकेट, कही दिल छू लेने वाली बात
Ravichandran Ashwin on 500 Test wickets: भारतीय टीम के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्निन ने टेस्ट में 500 विकेट पूरे करने के बाद इस खास उपलब्धि को अपने पिता को समर्पित किया है। उन्होंने साथ ही अपने मुश्किल दौर के बारे में भी बताया।
रविचंद्रन अश्विन
37 साल के अश्विन ने तीसरे टेस्ट के दूसरे दिन यह उपलब्धि हासिल की। उन्हें यह उपलब्धि हासिल करने के लिए सिर्फ एक विकेट की दरकार थी। इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज जैक क्राउली उनकी गेंद को स्वीप करने के प्रयास में हवा में उछाल गए और शॉर्ट फाइन लेग पर रजत पाटीदार ने आसान कैच लपका।अश्विन में हमेशा सर्वश्रेष्ठ बनने की इच्छा रही है लेकिन 2018-19 के बीच ऐसा दौर भी आया जब इस दिग्गज स्पिनर को लगा कि उनके लिए सब कुछ खत्म हो गया है। अपने 98वें टेस्ट में खेलते हुए अश्विन ने अपने करियर के उस बुरे दौर के बारे में बात की।
अश्विन ने 2018 के दौर को बताया सबसे खराब
अश्विन ने दूसरे दिन का खेल खत्म के बाद ‘जियो सिनेमा’पर कुंबले से कहा, 'मेरे लिए जीवन उतार-चढ़ाव के बारे में रहा है और मेरे लिए सबसे बुरा दौर मेरे जीवन में 2018 और 2019 के बीच का चरण था। मैं आईसीसी का साल का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर बना था और मैं दुनिया में शीर्ष पर था। और वहां से गर्त में जाना वास्तव में मेरे जीवन का सबसे बुरा समय था।'
अश्विन ने कहा कि यह वह दौर था जब उन्हें नहीं पता था कि वह कभी क्रिकेट खेलने का लुत्फ उठा भी पाएंगे या नहीं। यह 2018 की बात है जब पेट की चोट के कारण अश्विन साउथम्पटन में स्पिन की पूरी तरह से अनुकूल पिच पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाए और इंग्लैंड के खिलाफ भारत टेस्ट मैच हार गया। वर्ष के अंत में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ श्रृंखला भी उतनी ही खराब थी क्योंकि एडीलेड में पहले टेस्ट में 86 ओवर फेंकने के बाद उन्होंने उस श्रृंखला में बाकी मैच नहीं खेले और तत्कालीन कप्तान विराट कोहली को उनसे सुधार करने का आग्रह करना पड़ा।
अश्विन ने 500 विकेट को बताया खास उपलब्धि
अश्विन ने यह स्वीकार करने में संकोच नहीं किया कि 500 विकेट बहुत मायने रखते हैं।उन्होंने कहा- 'देखिए मैं झूठ बोलूंगा अगर मैं कहूं कि 500 विकेट का कोई मतलब नहीं है। यह बहुत मायने रखता है।अश्विन टेस्ट क्रिकेट में 500 विकेट के आंकड़े को छूने वाले दुनिया के नौवें गेंदबाज हैं। वर्ष 2011 में पदार्पण करने वाले अश्विन ने अपने 98वें टेस्ट में यह उपलब्धि हासिल की।चेन्नई के इंजीनियरिंग स्नातक अश्विन ने शीर्ष क्रम के बल्लेबाज के रूप में शुरुआत की और ऑफ स्पिनर की भूमिका निभाने से पहले मध्यम गति की गेंदबाजी में भी हाथ आजमाया। किशोरावस्था में पीठ की चोट के कारण उन्हें स्पिन गेंदबाजी को अपनाना पड़ा।
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