योगिनी एकादशी कब है 20 या 21 जून, नोट कर लें सही तारीख और मुहूर्त

Yogini Ekadashi Kab Hai 2025: सनातन धर्म में योगिनी एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं जो मनुष्य इस एकादश का उपवास सच्चे मन से रखता है उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां आप जानेंगे योगिनी एकादशी की पूजा विधि और मुहूर्त।

योगिनी एकादशी कब है 20 या 21 जून, नोट कर लें सही तारीख और मुहूर्त

योगिनी एकादशी कब है 20 या 21 जून, नोट कर लें सही तारीख और मुहूर्त

Yogini Ekadashi Kab Hai 2025: योगिनी एकादशी का व्रत निर्जला एकादशी और देवशयनी एकादशी के बीच में पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार ये व्रत रखने से मनुष्य को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। ये एकादशी तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं योगिनी एकादशी कब है और इसकी पूजा विधि और मुहूर्त क्या रहेगा।

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योगिनी एकादशी कब है 2025 (Yogini Ekadashi Kab Hai 2025)

योगिनी एकादशी 21 जून 2025 को मनाई जाएगी। इसकी शुरुआत 21 जून की सुबह 7 बजकर 18 मिनट पर होगी और समाप्ति 22 जून की सुबह 4 बजकर 27 मिनट पर होगी। इस एकादशी व्रत का पारण 22 जून की दोपहर 1 बजकर 47 मिनट से शाम 4 बजकर 35 मिनट के बीच किया जा सकेगा।

योगिनी एकादशी पूजा विधि (Yogini Ekadashi Puja Vidhi 2025)

  • प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें, भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें और व्रत का संकल्प करें।
  • भगवान की दीप, धूप, पुष्प, तुलसी, पंचामृत इत्यादि का प्रयोग करते हुए विधि विधान पूजा करें।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें और विष्णु सहस्रनाम पढ़ें।
  • दिनभर फलाहार करें या निर्जला व्रत रखें।
  • शाम को पीपल का पूजन करें।
  • रात में जागरण करें, कथा पढ़ें या सुनें और भजन-कीर्तन करें।
  • दूसरे दिन द्वादशी तिथि आरंभ होने पर ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान देकर व्रत का पारण करें।

योगिनी एकादशी का महत्व (Yogini Ekadashi Ka Mahatva 2025)

योगिनी एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायी व्रत है, जो आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसे मोक्षदायिनी एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि यह व्रत सभी पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति कराता है। शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार, इस व्रत के प्रभाव से भयंकर श्राप से मुक्ति और जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है। जो भक्त श्रद्धा से उपवास कर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें रोग, दरिद्रता और बाधाओं से छुटकारा मिलता है।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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