Somvati Amavasya Vrat Katha In Hindi
Somvati Amavasya Vrat Katha In Hindi (सोमवती अमावस्या व्रत कथा): सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। कहते हैं इस अमावस्या पर व्रत रखने से व्यक्ति की समस्त मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। सोमवती अमावस्या पर दान का भी विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं इस दिन दान करने से ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है। 2 सितंबर को सोमवती अमावस्या है। ऐसे में इस दिन विधि विधान पूजा करने के बाद सोमवती अमावस्या की कथा जरूर पढ़ें।
सोमवती अमावस्या व्रत कथा (Somvati Amavasya Vrat Katha In Hindi)
सोमवती अमावस्या की कथा के अनुसार एक गरीब ब्राह्मण परिवार था। उस परिवार में पति-पत्नी और उसकी एक पुत्री रहती थी। उनकी पुत्री बेहद संस्कारवान एवं गुणवान थी लेकिन गरीब होने की वजह से उसकी शादी नहीं हो पा रही थी। एक दिन उस ब्राह्मण के घर पर एक साधु महाराज पधारें। वे उस कन्या के सेवा भाव से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने उस कन्या को लंबी आयु का आशीर्वाद दिया साथ ही ये भी बताया कि लड़की के हाथ में विवाह योग नहीं है।
तब ब्राह्मण दम्पति ने साधु से इसका उपाय पूछा। साधु महाराज ने बताया कि तुम्हारे घर से कुछ ही दूरी पर एक गांव में सोना नाम की धोबिन रहती है। उसका एक बेटा और बहू है। वह महिला बहुत ही आचार-विचार की और संस्कार संपन्न होने के साथ पति परायण है। यदि आपकी कन्या उस धोबिन की सेवा करे और वह महिला इसकी शादी के समय इसे अपने मांग का सिंदूर लगा दे तो आपकी कन्या का विवाह हो जाएगा। जिससे कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है।
यह सुनकर ब्राह्मणी ने अपनी बेटी को धोबिन की सेवा करने के लिए कहा। अगले दिन से ही वह कन्या प्रात: काल उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर सारा काम करने लगी। लेकिन धोबिन के उठने से पहले ही अपने घर वापस आ जाती। एक दिन सोना धोबिन ने अपनी बहू से पूछा कि, तुम सुबह उठकर घर का सारा काम कर देती हो और मुझे पता भी नहीं चलता। बहू ने कहा मां मुझे तो लगा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम कर देती हैं क्योंकि मैं तो देर से उठती हूं। यह सब जानकार दोनों सास-बहू अपने घर की निगरानी करने लगी।
कई दिनों के बाद उस धोबिन ने देखा कि सुबह-सुबह एक कन्या मुंह ढके उनके घर में आकर सारा काम करने के बाद चली जाती है। एक दिन जब वह कन्या काम करने धोबिन के घर से जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह से छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं? तब कन्या ने धोबिन को साधु महाराज द्वारा कही गई सारी बात बता दी। सोना धोबिन कन्या की मदद के लिए तैयार हो गई। उस समय सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे।
सोना धोबिन अपनी बहू से कहती है कि जब तक मैं वापस ना आ जाऊं तुम घर पर ही रहना। सोना धोबिन ने जैसे ही अपनी मांग का सिन्दूर उस कन्या की मांग में लगाया, वैसे ही उसके पति की मृत्यु हो गई। उसे अपने पति की मृत्यु का पता चल गया उस दिन वह घर से निराजल ही चली थी, यह सोचकर कि रास्ते में जहां पीपल का पेड़ मिलेगा वही उसे भंवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके फिर जल ग्रहण करेगी।
उस दिन संयोग से सोमवती अमावस्या थी। धोबिन ने ब्राह्मण के घर मिले पूए-पकवान की जगह ईंट के टुकड़ों से 108 बार भंवरी दी और साथ ही 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा भी की और उसके बाद जल ग्रहण किया। सोना धोबिन के ऐसा करते ही उसके पति के मृत शरीर में वापस जान आ गई। कहते हैं तभी से सोमवती अमावस्या प्रसिद्ध हो गई।